Special Session of Parliament: संसद का विशेष सत्र जारी है। 22 सितम्बर तक यह सत्र चलेगा और इस दौरान चार अहम बिल पास किये जाने हैं। सत्र की शुरुआत आज प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) के भाषण से हुई। बड़ा जोड़दार भाषण था, प्रधानमंत्री (PM Modi) ने लोकतंत्र और संसदीय परम्परा की काफी चर्चा की और पुराने संसद भवन के इतिहास और उसकी गाथा पर भी रौशनी डालने की कोशिश की। उन्होंने कई बातों का जिक्र भी किया और अंत में यही कहा कि लोकतंत्र जीवित रहे यही सबकी चाहत है और इसे और आगे मजबूत करने की जरूरत है।
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संसद में फिर कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे की बारी आयी। उन्होंने कई तरह की बातें की और अंत में केंद्र सरकार पर हमलावर हो गए। उन्होंने मोदी सरकार (PM Modi) पर जमकर हमला किया। उन्होंने कहा एक कविता के जरिये बहुत कुछ कहा। कविता को पढ़ते हुए खड़गे ने कहा कि बदलना है तो अब हालात बदलो नाम बदलने से क्या होता है। उन्होंने कहा कि देना है तो युवाओं को रोजगार दो, सबको बेरोजगार करके का होता है? दिल को थोड़ा बड़ा करके देखों लोगों को मारने से क्या होता है?कुछ कर नहीं सकते तो कुर्सी छोड़ दो, बात-बात पर डराने से क्या होता है? अपनी हुक्ममरानी पर तुम्हें गरूर है लोगों को डराने, धमकाने से क्या होता है? खड़गे बोलते जा रहे थे और लोग हंस रहे थे। संसद के भीतर ठहाके लगते रहे।
खड़गे ने आगे कहा कि 1950 में जब हमने लोकतंत्र अपनाया तो बहुत से विदेशी विद्वानों को लगता था कि यहां लोकतंत्र विफल हो जायेगा। क्योंकि यहां करोड़ाें अंगूठे छाप लोग हैं। तब ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल ने यहां तक कहा था कि अंग्रेज चले गए तो उनके द्वारा स्थापित न्यायपालिका, स्वास्थ्य सेवाएं रेल और लोक निर्माण का पूरा तंत्र ख़त्म हो जायेगा। उन लोगों ने हमें बहुत कम आंका था। हमको वे लोग अनपढ़, अंगूठा छाप, कहते थे, कहते थे कि ये लोग लोकतंत्र को संभाल नहीं पाएंगे। लेकिन हमने टिक कर दिखा दिया। हमें बार-बार टोका जाता है कि 70 साल में क्या किया? हमने 70 साल में इस देश को लोकतंत्र दिया। उसे मजबूत किया। हमारे नड्डा साहब हमें छोटा दिखाने के लिए हमें इंडी बोलते हैं। नाम बदलने से कुछ नहीं होता हम तो इंडिया हैं।
पीएम मोदी (PM Modi) पर हमला करते हुए खड़गे ने कहा कि अटल जी ने अपने कार्यकाल में 21 बार बयान दिया था। मनमोहन सिंह ने 30 बार बयान दिया। सिर्फ हमारे मौजूदा प्रधानमंत्री ऐसे हैं जो पिछले 9 सालों में परंपरागत बयानों को छोड़कर सिर्फ दो बार बयान दिया है। ये लोकतंत्र हैं? सभापति जी इसे कैसे सुधारते हैं इसे हम आप पर ही छोड़ देते हैं।
खड़गे यही नहीं रुके। उन्होंने कहा कि नेहरू जी का मानना था कि मजबूत विपक्ष की अनुपस्थिति का अर्थ है व्यवस्था में महत्वपूर्ण खामियां। अगर मजबूत विपक्ष नहीं है। लेकिन अब जब एक मजबूत विपक्ष है तो ईडी और सीबीआई के माध्यम से इसे कमजोर करने का काम किया जा रहा है। उन्हें ले जाऊं और अपनी वाशिंग मशीन में डाल दो और जब पूरी तरह से साफ़ हो जाए उन्हें अपनी पार्टी में स्थान दे दो। आप देख सकते हैं कि आज क्या हो रहा है? पीएम संसद में कम ही आते हैं और जब आते हैं तो इसे इवेंट बनाकर चले जाते हैं।
बोलते-बोलते खड़गे फिर से मणिपुर पर आ गए। उन्होंने कहा कि इधर-उधर जा रहे हैं लेकिन मणिपुर नहीं गए। हम आखिरी सत्र में बहस चाहते हैं। उन्होंने कहा कि रात में दौड़ते-दौड़ते यहां पहुंचा हूं। यहां आने से पहले मैंने सोंचा था कि आज का दिन बहुत अच्छा है। हमारे चेयरमैन साहब गुस्से में नहीं होंगे और किसी को डराएंगे भी नहीं। सभी को प्रेम से लेकर चलेंगे। इसी उम्मीद के साथ आया था। आज का दिन ख़ुशी का दिन है। संजय सिंह और राघव चड्ढा को लेकर आइये। अगर स्पेशल सेशन के पहले दिन दो सदस्यों को बाहर रखना ठीक नहीं लगता। अब बड़ा दिल दिखाइए और गुस्सा मत कीजिये। खड़गे बोल रहे थे और संसद ठहाके लगा रही थी।