G20 Summit Brazil: जानें पीएम मोदी द्वारा आयोजित सम्मेलन के बारे में सभी महत्वपूर्ण बातें
ब्राजील में आज से 19वां जी-20 शिखर सम्मेलन शुरू हो गया है। इसमें भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रियो डी जेनेरियो पहुंच गए हैं। यह शिखर सम्मेलन 18 और 19 नवंबर को दो दिनों तक चलेगा। पिछली बार जी-20 शिखर सम्मेलन भारत में आयोजित किया गया था। शिखर सम्मेलन के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी रियो पहुंच गए हैं।
G20 Summit Brazil: दुनिया में 195 देश हैं। इनकी अपनी सीमाएं हैं और ये दूसरे देशों के साथ अपनी सीमाएं साझा करते हैं। लेकिन इनके आपसी संबंध सिर्फ़ सीमाओं तक सीमित नहीं हैं। इनमें से कुछ देश अपने हितों को साधने और बड़े मुद्दों पर एकता दिखाने के लिए कई समूह बनाते हैं।
G7, BRICS, ASEAN, SAARC कुछ ऐसे समूह हैं। जहाँ एक नहीं बल्कि कई देश एक साथ आते हैं, साथ बैठते हैं और भविष्य के लिए रणनीति बनाते हैं। ऐसा ही एक शक्तिशाली समूह है G20। यह एक ऐसा मंच है जहाँ दुनिया की 20 बड़ी और उभरती अर्थव्यवस्थाएँ वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करती हैं।
इनकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि G20 के सदस्य देश दुनिया की 85% GDP, 75% वैश्विक व्यापार और दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत 2023 में इस समूह की मेजबानी करेगा। इस साल अध्यक्षता ब्राज़ील के हाथों में है।
ब्राजील – इस दक्षिण अमेरिकी देश में 18-19 नवंबर को G20 की 19वीं बैठक हो रही है। इसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और दूसरे बड़े नेता हिस्सा ले रहे हैं। इस खास मौके पर आइए जानते हैं कि G20 का इतिहास क्या रहा है और वो सबकुछ जो इसे खास बनाता है।
G20 क्या है और इसका गठन क्यों हुआ?
जैसा कि नाम से पता चलता है, G20 20 देशों का समूह है। इस समूह में शामिल 19 देश हैं अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका। समूह का 20वां सदस्य यूरोपीय संघ है, जो यूरोपीय देशों का एक मजबूत समूह है।
इस समूह के गठन का विचार 1999 में एशिया में आए आर्थिक संकट से आया था। उस समय विभिन्न देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों ने एक ऐसा मंच बनाने के बारे में सोचा जहां वैश्विक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर चर्चा की जा सके।
वर्ष 2007 तक इसकी बैठकों में केवल सदस्य देशों के वित्त मंत्री ही शामिल होते थे। लेकिन वर्ष 2008 के आर्थिक संकट को देखते हुए यह निर्णय लिया गया कि अब जी-20 बैठक में सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों के बजाय राष्ट्राध्यक्ष यानी सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी भाग लेंगे।
पहली बैठक कब हुई थी?
जी-20 की पहली बैठक वर्ष 2008 में अमेरिका के वाशिंगटन में हुई थी। यह वह समय था जब दुनिया वैश्विक आर्थिक संकट से जूझ रही थी। अब तक इस समूह की कुल 18 बैठकें हो चुकी हैं। दूसरी बैठक वर्ष 2009 में ब्रिटेन में हुई थी।
वैसे, शुरुआती दौर में जी-20 का आयोजन साल में दो बार होता था। 2011 से इसका आयोजन साल में एक बार हो रहा है। इसलिए तीसरी बैठक साल 2009 में फिर से अमेरिका में हुई। इस तरह अमेरिका एकमात्र ऐसा देश है जिसने जी-20 की दो बार मेज़बानी की है।
चौथी बैठक 2010 में कनाडा में आयोजित की गई, उसके बाद फ्रांस, मैक्सिको, रूस, ऑस्ट्रेलिया, तुर्की, चीन, जर्मनी, अर्जेंटीना, जापान, सऊदी अरब, इटली, इंडोनेशिया में कार्यक्रम आयोजित किए गए। भारत ने 18वीं बैठक की मेजबानी की।
एक और बात, जी-20 के सदस्य देशों के अलावा हर साल अध्यक्षता करने वाला देश कुछ देशों और संगठनों को अतिथि के तौर पर भी आमंत्रित करता है। उदाहरण के लिए, जी-20 2024 के अतिथि देश अंगोला, मिस्र, नाइजीरिया, नॉर्वे, पुर्तगाल, सिंगापुर, स्पेन और यूएई हैं।
किन मुद्दों पर चर्चा होती है?
जैसा कि हमने ऊपर बताया, इस समूह के गठन का उद्देश्य अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना था। लेकिन समय के साथ इसका दायरा बढ़ता गया। अब इस शिखर सम्मेलन में सिर्फ़ अर्थव्यवस्था ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भी चर्चा होती है।
उदाहरण के लिए, 2015 में जब तुर्की में जी-20 की बैठक हुई थी, तो यह पहली बार था कि 20 सदस्य देशों ने प्रवासन और शरणार्थी संकट पर ध्यान केंद्रित किया। इसके अलावा, वित्तीय क्षेत्र में सुधार और जलवायु परिवर्तन से निपटने की योजनाओं के लिए समर्थन पर भी सहमति बनी।
जी-20 कैसे काम करता है?
दरअसल, जिस भी देश को G20 की अध्यक्षता मिलती है, वही उस साल इसकी बैठकों का आयोजन करता है। बैठक का एजेंडा पेश करता है। इसके अलावा G20 दो ट्रैक के ज़रिए काम करता है।
पहला है फाइनेंस ट्रैक और दूसरा है शेरपा ट्रैक। फाइनेंस ट्रैक वित्तीय और आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित होता है। जिसमें सभी देशों के वित्त मंत्री और सेंट्रल बैंक गवर्नर मिलकर काम करते हैं।
शेरपा ट्रैक में सदस्य देशों के राजनयिक प्रतिनिधियों के स्तर पर चर्चा शामिल है। शेरपा दरअसल वे लोग होते हैं जो किसी मिशन को सुविधाजनक बनाने के लिए काम करते हैं। शेरपा ट्रैक में कृषि, संस्कृति, डिजिटल अर्थव्यवस्था, शिक्षा, ऊर्जा और पर्यटन जैसे विषय शामिल हैं।
G20 की अध्यक्षता कैसे निर्धारित की जाती है?
अब इस बार जी-20 की मेज़बानी ब्राज़ील कर रहा है, लेकिन सवाल यह है कि यह कैसे तय होता है कि शिखर सम्मेलन का नेतृत्व कौन सा देश करेगा? दरअसल जी-20 के अध्यक्ष का फ़ैसला एक त्रिगुट द्वारा किया जाता है। इसमें भूतपूर्व, वर्तमान और भावी अध्यक्ष शामिल होते हैं।
अगर इस बार का उदाहरण लें तो भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका की तिकड़ी है। 2023 में भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था। 2024 में इसका आयोजन ब्राजील में किया जा रहा है। 2025 में दक्षिण अफ्रीका में जी-20 के आयोजन के साथ ही यह तिकड़ी समाप्त हो जाएगी। दक्षिण अफ्रीका में इसके आयोजन से हर देश को जी-20 की अध्यक्षता मिल जाएगी। इसके बाद 2026 से फिर से अमेरिका को जी-20 की अध्यक्षता मिल जाएगी।
जी-20 बैठक का क्या फायदा है?
इस सम्मेलन में लिए गए निर्णयों का पालन करने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है। बैठक के अंत में जी-20 देशों के संयुक्त वक्तव्य पर भी आम सहमति बनती है, जिसकी जिम्मेदारी आमतौर पर अध्यक्षता करने वाले देश की होती है।
हालांकि, 2022 में जब इंडोनेशिया के बाली में जी-20 की बैठक हुई तो पहली बार ऐसा हुआ कि सभी राष्ट्राध्यक्ष एक साथ फोटो खिंचवा नहीं पाए। दरअसल, यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका और रूस के बीच तनातनी चल रही थी। 15 दौर की बातचीत के बाद भी घोषणापत्र जारी करने पर सहमति नहीं बन पाई। इसके बाद पश्चिमी देशों ने अपने हिसाब से बाली घोषणापत्र जारी किया।