INDIA alliance Meeting Delhi: सच तो बहुत कुछ है और राजनीति में सच से परे भी बहुत से काम होते हैं जो चौंकाते भी हैं और भ्रमित भी करते हैं। पांच राज्यों के चुनाव परिणाम सामने आ चुके हैं। तीन राज्यों में बीजेपी की प्रचंड जीत भी हो चुकी है। एक राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है जबकि मिजोरम में सत्ता पलट चुकी है और छह दलों के गठबंधन की सरकार बनने जा रही है। देश का असली सच तो यही है।
लेकिन इस सच से इतर भी बहुत कुछ होता दिख रहा है। जिस दिन चुनाव परिणाम सामने आ रहे थे उसी दिन कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने 6 दिसंबर को इंडिया गठबंधन की बैठक करने का ऐलान किया और सभी दलों को दिल्ली में आमंत्रित भी किया। लेकिन अब खबर आ रही है कि इस गठबंधन के मुख्य अगुआ रहे नीतीश कुमार इस बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं। शामिल तो अखिलेश यादव भी नहीं हो रहे हैं और लगे हाथ ममता बनर्जी भी अभी शामिल होने से मना किया है। सबके अपने -अपने कारण है।
तीन राज्यों में चुनावी हार के बाद इंडिया गठबंधन की यह पहली बैठक होने जा रही है। देश भर की नजर इस बैठक पर लगी हुई है। इंडिया गठबंधन के सदस्य दलों को भी इस बैठक पर नजर है और उम्मीद भी। लेकिन जानकारी मिल रही है कि नीतीश कुमार इस बैठक में भाग नहीं लेंगे। यह बड़ी खबर है। भर्मित करने वाली खबर है। आखिर क्यों नीतीश कुमार बैठक से भाग रहे हैं ? वे तो इस गठबंधन के अगुआ रहे हैं। सबसे पहले मोदी को हराने का संकल्प भी उन्होंने ही लिया था।
नीतीश कुमार क्यों इस बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे इसको लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन जदयू के नेता का कहना है कि नीतीश कुमार को अभी डॉक्टर ने आराम करने की सलाह दी है। उनकी तबीयत ठीक नहीं है। वे वायरल बुखार से पीड़ित हैं ,इसलिए अभी दिल्ली की बैठक में वे शामिल नहीं हो सकते। लेकिन यह खबर जरूर सामने आयी है कि जदयू की तरफ से पार्टी अध्यक्ष लल्लन सिंह और संजय झा बैठक में शामिल होंगे। इधर राजद की तरफ से खबर मिली है कि इंडिया गठबंधन की बैठक प्रमुख लालू यादव और तेजस्वी यादव शामिल होंगे।
बता दें कि कांग्रेस के चुनावी खेल को लेकर सपा और जदयू में नाराजगी भी रही है। तीन दिसंबर को जब चुनावी परिणाम आ रहे थे और तीन राज्यों में बीजेपी की बढ़त चल रही थी तब जदयू नेता किसी त्यागी ने कहा था कि ”यह नतीजे बेहतर भी हो सकते थे। इस परिणाम को इंडिया गठबंधन से मत जोड़ा जाए। इंडिया गठबंधन इस चुनाव में कही नहीं था। यहाँ सिर्फ कांग्रेस चुनाव लड़ रही थी। ये इलाके कांग्रेस के गढ़ माने जाते हैं। पिछले चुनाव में तीनो राज्यों में कांग्रेस की जीत हुई थी और सरकार भी बनी थी। लिहाजा यह बीजेपी की जीत और कांग्रेस की हार है। इस चुनाव का इंडिया गठबंधन से कोई लेना देना नहीं है। कांग्रेस ने इस चुनव में इंडिया गठबंधन से दुरी बनाये हुई थी। अब साफ़ हो गया है कि कांग्रेस अकेले बीजेपी को परास्त नहीं कर सकती। ”
अब देखना होगा कि इंडिया गठबंधन की इस बैठक में कितनी पार्टियां शामिल होती है और फिर आगे की क्या रणनीति बनती है।