TMC Parliament and BJP MP Nishikant Dubey News! राजनीतिक बयानों के मायने होते भी है और नहीं भी। एक समय था जब कोई भी नेता जब कोई राजनीतिक बयान देता था तो कई दिनों तक राजनीतिक गलियारों में हलचल रहती थी। तब नेताओं के प्रति जनता के मन में इज्जत भी होती थी और नेता भी जनता के होते थे। लेकिन आज कुछ भी नहीं है। नेता लोग चुनाव जरूर जीत जाते हैं लेकिन जनता के मन में छाप नहीं होती। न नेता जनता के बन पाते ऐन और नहीं ही जनता नेता की हो पाती है। लेकिन बड़ा सच यही है कि देश की राजनीति दौर रही है और नेता लोग मालामाल हो रहे हैं। नेताओं की कमाई कहाँ से आती है यह सब जानते हैं लेकिन कोई कुछ बोलता ही नहीं। क्या उनको मिलने वाले वेतन और भत्ते से उनकी कमाई बढ़ती है ? अगर ऐसा है तो उनका परिवार कैसे चलता है ? उनके रोज के खर्च कैसे चलते हैं ? उनकी राजनीति कैसे चमकती है ? बहुत से सवाल है ?
लेकिन अब खेल कच्छ और ही हो रहा है। अब नेता लोग एक दूसरे का मान मर्दन भी कर रहे हैं। लगता है कि एक पार्टी दूसरी पार्टी को नीचा दिखाने में पीछे नहीं हटना चाहती .कोई भी पार्टी अब सामने वाले को खत्म करने को तैयार है। संसद के भीतर ही क्या -क्या हुए हैं यह कौन नहीं जानता ? अभी बीजेपी सांसद और बसपा सांसद लके बीच ही क्या कुछ हुआ था कौन नहीं जानता ? संसद के प[िछले सत्र के दौरान टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा और बीजेपी नेता निशिकांत दुबे के बीच पढ़ाई – और प्रमाणपत्र को लेकर क्या कुछ हुआ कौन नहीं जानता ? महुआ मोइत्रा ने सांसद निशिकांत दुबे पर हमला किया था और उनके पढ़ाई लिखाई पर सवाल उठाते हुए उन्हें घेरा था। है। दुबे जी ने भी बड़ा अआरोप सांसद महुआ मोइत्रा पर लगा दिया है। दुबे जी ने कहा है कि महुआ पैसे लेकर संसद में सवाल पूछती है। यह बड़ा आरोप है। अगर यह साबित हो जाता है तो उन्ही सदस्यता भी जा सकती है और आगे की राजनीति भी खराब हो सकती है।
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अब महुआ मित्र ने निशिकांत दुबे और उनके वकील को लीगल नोटिस भेजा है। उन्हें नोटिस में कहा है कि उन्होंने जो झूठे आरोप लगाए हैं उसे वापस लें। और सार्वजानिक माफ़ी भी मांगे। लेकिन क्या यह सब संभव है ? यह लड़ाई आगे भी चलेगी। सामने चुनाव है और कोई भी पार्टी अभी इस विवाद में पड़ने को तैयार नहीं है। हो सकता है कि यह लड़ाई कोर्ट में चलती रहे।
दुबे जी को शांति यह मिल सकती है कि महुआ ने किया यह सब उसी का जवाब है। महुआ ने भी दुबे को बदनाम ही किया था ,उनके चरित्र पर ही सवाल किया था। उनकी पढ़ाई -लिखाई को झूठा ही बताया था। यह सब बदले की राजनीति के तौर पर देखा जा रहा है। यह बदले की राजनीति आगे कहाँ तक जाएगी कोई नहीं जानता।
महुआ मोइत्रा ने कहा है कि अगर हमने जो नोटिस दिया है उसकी प्राप्ति के 24 घंटे के भीतर उस पर अनुपालन नहीं होता है तो हम आगे की कार्यवाही करेंगे और ऐसी कार्यवाही उनके जोखिम ,लागत और परिणाम पर होगी। बता दें कि क़ानूनी नोटिस के अनुसार मार्च 2023 में मोइत्रा ने शैक्षणिक योग्यता और अपने चुनाव नामांकन पत्रों में सम्बंधित खुलासों के सम्बन्ध में बीजेपी सांसद के दावों की प्रमाणिकता पर सवाल उठाया था और फिर उसके बाद यह खेल शुरू हो गया। यह आगे तक जारी रहेगा। कोई किसी से कम नहीं है। चरित्रहीन राजनीति में किसी से यह कैसे अपेक्षा की जा सकती है कि कोई किसी के चरित्र पर दाग नहीं लगाए .यहाँ तो जस का तस होता दिख रहा है।