Maharashtra NCP Crisis : राजनीति की हर चाल तो सफलता के लिए चली जाती है लेकिन कभी-कभी वही चाल जब विपरीत दिशा में जाती है तो खुद ही रिंग मास्टर मुश्किलों में फंस जाते हैं। मौजूदा समय में भले ही यह दिख रहा है कि बीजेपी ने महाराष्ट्र (Maharashtra NCP Crisis) में अपने दोनों बड़े विरोधियों को कमजोर कर दिया। लेकिन क्या शरद पवार इस खेल में हार जायेंगे? 83 साल के शरद पवार जल्दी में हार नहीं मान सकते। उनके पास भी कई दांव है। वे दांव खेलने के ही मास्टर रहे हैं। वे आज भी राजनीति के रिंग मास्टर हैं तभी तो लोग यह भी कहते हैं कि उनके पेट में क्या कुछ भरा हुआ है यह कोई नहीं जानता। यह खेल अभी लम्बा चलेगा और कहा जा रहा है कि अजित पवार चाहे जितना भी खेल कर लें अंत में जीत शरद पवार की ही होगी।
लेकिन अभी इस पूरे इस खेल का संचालन तो बीजेपी कर रही है। सारे मोहरे वही फेंक रही है। हर चाल उसी की है। लक्ष्य एक ही है कि चाहे जैसे भी हो महाराष्ट्र की सत्ता पर उसकी पैठ बने और लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत हो ताकि केंद्र की सत्ता उसके हाथ से नहीं निकल पाए। याद रहे यूपी में लोकसभा की 80 सीट के बाद महाराष्ट्र ही वह दूसरा राज्य है जहां से लोकसभा के 48 सांसद चुनाव जीतकर संसद तक पहुंचते हैं। जिस पार्टी को इन दोनों राज्यों में जीत, मानो केंद्र में उसकी सरकार बन गई।
अब जो स्थिति बन रही है उसके मुताबिक बीजेपी ही महाराष्ट्र में फंसती जा रही है। पहले उसने शिवसेना को तोड़ाऔर अब एनसीपी (Maharashtra NCP Crisis) को खंडित कर दिया। अब बीजेपी और शिंदे गुट को अपने ही लोगों की बगावत झेलनी पड़ेगी। कल तक विचारधारा की लड़ाई बताते हुए शिवसेना को दो हिस्सों में बांटने वाली बीजेपी खुद विचारधारा के जाल में फंसती नजर आ रही है।
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अजित पवार की एंट्री से शिंदे गुट में कोहराम मचा हुआ है। शिंदे गुट के नेता संजय शिरसाट ने कहा है कि राजनीति में जब भी हमारे प्रतिद्वंदी हमारे साथ आना चाहते हैं तो हमें उन्हें शामिल करना पड़ता है और बीजेपी ने यही सब किया है। लेकिन एनसीपी के बागी नेताओं के आने के बाद अब हमारे नेता ही नाराज हैं। क्योंकि एनसीपी (Maharashtra NCP Crisis) के शामिल होने के बाद अब हमारे नेताओं को मनचाहा पद नहीं मिलेगा। हमारे बहुत से नेता एनसीपी नेताओं के आने से खुश नहीं है। हमने इसकी जानकारी सीएम और डिप्टी सीएम को दे दी है और उन्हें इस बारे में सोचना होगा।
शिंदे गुट वाले संजय शिरसाट ने कहा है कि हम हमेशा से एनसीपी और शरद पवार के खिलाफ ही रहे हैं। शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को मोहरा बनाकर सरकार चलाई थी। महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री होकर भी हमारा नहीं था। हमारा विरोध जायज है। हम पहले भी उद्धव ठाकरे को यही कहते थे एनसीपी का साथ छोड़ दें। उन्होंने कहा कि सीएम शिंदे इसका हल निकाल लेंगे।
जाहिर है बीजेपी और शिंदे गुट के नेताओं के सामने सवाल उस विचारधारा का है जिसके खिलाफ वह लड़ते रहे हैं। आज उसी एनसीपी नेताओं को सत्ता के लिए साथ में रख लिया गया है। वह भी तब जब बागी एनसीपी नेता पार्टी को छोड़कर शिंदे गुट या बीजेपी में शामिल नहीं हुए हैं। बल्कि वह खुद को एनसीपी नेता बताते हुए सरकार का हिस्सा बने हैं और एनसीपी पर अपना दवा ठोक रहे हैं। ऐसे में बीजेपी और शिंदे गुट के बीच बगावत न शुरू हो जाए यह कोई बड़ी बात नहीं है।