Maharashtra News: महाराष्ट्र में बजट सत्र शुरू है। इधर सुप्रीम कोर्ट में 16 विधायकों की अयोग्यता के मामले की हर दिन सुनवाई चल रही है। अगर सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत का फैसला उद्धव गुट के पक्ष में फैसला जाता है तो महाराष्ट्र का सारा खेल ही बदल सकता है। उद्धव गुट का अंतिम आसरा भी शीर्ष अदालत के फैसले पर ही टिका हुआ है। लेकिन बजट सत्र के लिए शिंदे गुट ने जो व्हिप जारी किया है वह उद्धव गुट को भारी पड़ रहा है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि उद्धव गुट के बचे 14 विधायकों पर अंतिम निर्णय लेने की तलवार लटक गई है। अगर उद्धव गुट के बचे विधायक व्हिप का उलंघन करते हैं तो उनकी सदस्यता जा सकती है। महाराष्ट्र विधान सभा का कार्यकाल अभी डेढ़ साल बचा हुआ है ऐसे में कौन विधायक ऐसा होगा जो अपनी सदस्यता को छोड़ने को तैयार होगा ? उद्धव गुट की सबसे बड़ी चिंता अब यही बढ़ गई है।
बता दें कि पिछले दिनों चुनाव आयोग ने शिवसेना पार्टी शिंदे गुट के हवाले कर दिया था। इसके साथ ही शिवसेना के चुनाव चिन्ह भी शिंदे गुट को ही दे दिया गया है। अब जब शिवसेना शिंदे गुट के पास है तब इस गुट के व्हिप का पालन उन सभी विधायकों को करना होगा जो शिवसेना से चुनाव जीतकर आये थे ,अभी शिंदे गुट के पास 40 शिवसेना के विधायक है जबकि बाकी के 14 विधायक उद्धव गुट के साथ हैं। शिवसेना के पिछले चुनाव में 54 विधायक चुनाव जीतकर आये थे। अब मुश्किल है कि कोई भी विधायक व्हिप का उलंघन करता है तो उसकी विधायकी ख़त्म हो जाएगी ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि उद्धव के कुछ विधायक अपनी विधायकी बचाने के लिए शिंदे गुट के साथ जा सकते हैं। और ऐसा हुआ तो उद्धव गुट को एक और बड़ा झटका लगेगा। याद रहे उद्धव गुट के एक विधान सभा पार्षद भी पिछले दिनों पाला बदल कर शिंदे गुट के साथ चले गए है। इसके साथ ही अधिकतर सांसद भी शिंदे गुट के साथ ही है।
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हालांकि यह भी संभव है कि उद्धव गुट के बचे विधायक व्हिप का पालन भी करें और फिर उद्धव गुट के साथ भी बचे रहें। लेकिन बाद में फिर इस पर भी पेंच फंस सकता है। इधर उद्धव गुट लगातर यह कह रहा है कि जल्द ही महाराष्ट्र में समय से पहले चुनाव हो सकते हैं लेकिन शरद पवार ने इसकी सभावना को नकार दिया है। इसके बाद अब इस बात की संभावना ज्यादा हो गई है कि उद्धव गुट में फिर से एक बड़ी टूट हो सकती है। सामने नगर निगम का चुनाव है। शिंदे गुट की चाहत है कि सारे शिवसैनिक एक छतरी के नीचे आ जाए और फिर मुंबई और पुणे नगर निगम चुनाव को जीता जाए। बीजेपी भी यही यही चाहत रखती है। लम्बे समय से बीएमसी पर शिवसेना का कब्जा है। इस बार बीजेपी किसी भी तरह से बीएमसी पर कब्जा चाहती है। ऐसे में शिंदे गुट की मजबूती बीजेपी की राह आसान कर सकती है।