Malegaon Blast Verdict Update: मालेगांव ब्लास्ट में सभी आरोपी बरी, गवाहों के पलटते ही कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला!
मालेगांव विस्फोट मामले में विशेष एनआईए अदालत ने सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया है. इसमें साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी और सुधाकर द्विवेदी शामिल थे. इसमें साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित पर सबसे गंभीर आरोप थे. जांच एजेंसियों ने कहा था कि विस्फोट में इस्तेमाल हुई बाइक साध्वी प्रज्ञा की थी. वहीं कर्नल प्रसाद पुरोहित पर RDX खरीदने का आरोप था. लेकिन, इन आरोपों को लेकर कोई अदालत में कोई सबूत नहीं जुटाया जा सका.
Malegaon Blast Verdict Update: साल 2008 के मालेगांव बम धमाका मामले में गुरुवार को अदालत ने आखिरकार अपना फैसला सुना दिया है। NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) की विशेष अदालत ने इस मामले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। इसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और कर्नल पुरोहित समेत कुल 7 लोग शामिल थे।
क्यों बरी हुए सभी आरोपी?
खबरों के मुताबिक, अदालत का यह फैसला इसलिए आया क्योंकि कोई भी चश्मदीद गवाह अपने पुराने बयानों पर कायम नहीं रहा। यानी, जितने भी गवाह थे, वे सुनवाई के दौरान अपनी पिछली गवाही से पलट गए, जिसके चलते आरोपियों को दोषमुक्त (blameless) करार दिया गया।
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क्या था पूरा मामला?
आपको याद दिला दें कि 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास खड़ी मोटरसाइकिल में बंधे एक बम में जबरदस्त धमाका हुआ था। इस धमाके में छह लोगों की जान चली गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के अलावा, जिन सात लोगों पर UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत मुकदमा चल रहा था, उनमें लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर और समीर कुलकर्णी शामिल थे।
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जांच का लंबा सफर
इस मामले की जांच शुरुआत में महाराष्ट्र के ATS (एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड) ने की थी। ATS ने दावा किया था कि धमाके में इस्तेमाल हुई मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने मुहैया कराई थी और यह उनके नाम पर ही रजिस्टर्ड थी। ATS ने यह भी आरोप लगाया था कि धमाके से पहले भोपाल (Bhopal) और इंदौर (indore) सहित कई शहरों में साजिश रचने के लिए बैठकें हुई थीं।
हालांकि, बाद में इस मामले की जांच NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) को सौंप दी गई थी।
अब खत्म हुआ 17 साल पुराना केस
इस घटना से जुड़ा मुकदमा 2018 में शुरू हुआ था और 19 अप्रैल, 2025 को इसकी सुनवाई पूरी हुई थी। अदालत ने फैसला सुनाने के लिए इसे सुरक्षित रख लिया था। आज, गुरुवार को, अदालत ने इस मामले में अपना अंतिम फैसला सुनाकर सभी आरोपियों को बरी कर दिया है, जिससे 17 साल पुराने इस बहुचर्चित केस पर विराम लग गया है।
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