जानिए क्या है मंडला कला और इसका महत्व….
Mandala art in Indian art: हमारे जीवन मैं कला का एक महत्वपूर्ण स्थान है। और भारत में चित्रकला का इतिहास बहुत पुराना रहा हैं। इतिहास तथा संस्कृति में ‘कला’ का अर्थ है। सौन्दर्य, सुन्दरता और आनन्द है लेकिन आज के युग में हम अपनी कला को भुलते जा रहे है। हम अगर आज की पीढ़ी से पुछे की कला क्या है। या फिर कला का महत्व क्या है तो कोई भी शायद जवाब नी दे पाएगा ऐसे में हम बात करे मंडला कला की तो शायद ही कोई इस कला को जानता होगा, क्या आपने भी मंडला कला के बारे में सुना है? कभी आपके मन में ये प्रश्न आया है कि मंडला आर्ट क्या है? वर्तमान में यह कला कही खो सी गई है। आइए आज आपको बताते है इस कला के बारे में। और जानते है इस कला की गहराई को जो दिखने में बहुत सुंदर लगती है।
यदि आप कला में रुचि रखते हैं तो आपने निश्चित रूप में मंडला आर्ट के बारे में सुना होगा। मंडला, कला के सबसे प्राचीन कला है। मंडला शब्द संस्कृत से लिया गया है और इसका अर्थ है “चक्र” और यह एक डिज़ाइन या पैटर्न है। मंडला कला का एक गहन इतिहास रहा है। कई लोगों और संस्कृतियों का मानना है। कि मंडलों का गहरा आंतरिक अर्थ है। बौद्धों, तिब्बतियों और हिंदुओं ने सदियों से मंडलों की मनोरम सुंदरता में अर्थ और शांति को पाया है। मंडल का डिज़ाइन एक तरह से ब्रह्माण्ड को दर्शाता है और ब्रह्माण्ड में मौजूद संतुलन को चिन्हित करता है। जिस तरह ब्रह्माण्ड अपने में सभी वस्तुओं को समा लेता है, उसी तरह मंडल में चिन्हित सभी आकर उसके केंद्र में समा जाते हैं। इस तरह मंडला हमारे आंतरिक दुनिया और बाहरी वास्तविकता के बीच संबंध का प्रतिनिधित्व करते हैं।
आज हम इस आर्ट की बात इसलिए कर रहे है क्योंकी यह कला जयपुर के मधुबनी आर्ट से लेकर कलमकारी आर्ट, ट्राइबल आर्ट से राजस्थानी आर्ट और मॉडर्न पेंटिंग तक के रंग जयपुर में एक ही जगह पर नज़र आई है। ये अद्भुत सतरंगी नज़ारा था।
आपको बता दे की 16 जून को शुरू होने वाली तीन दिवसीय मंडला आर्ट गैलरी की चित्र प्रदर्शनी में मोबाइल और गैजेट्स में उलझी युवा पीढ़ी को अपने पारम्परिक हुनर से रूबरू कराने वाली कलाकार और आयोजक है, वसुधा शर्मा युवा कलाकार और मंडला आर्ट गैलरी की संस्थापक वसुधा शर्मा ने बताया कि, विद्याधर नगर में लगने वाली इस चित्र प्रदर्शनी में 9 युवा कलाकारों ने अपनी 50 से ज़्यादा पेंटिंग्स और विभिन्न हस्तकलाओं का प्रदर्शन किया है।
उल्लेखनीय है कि ये अधिकतर कलाकार 15 से 16 वर्ष की उम्र के हैं। वसुधा ने प्रदर्शनी के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि, आजकल बच्चे सृजनात्मक कामों से दूर होकर मोबाइल और गैजेट में उलझते जा रहे हैं। ज़रूरत है कि वो अपने जड़ों की ओर फिर लौटे और अपनी पारपंरिक कलाओं को संजोकर रखे। आपको बता दे की राजस्थान विश्वविद्यालय के ड्राइंग और पेंटिंग विभाग से मास्टर्स डिग्रीधारक वसुधा, इन दिनों शहर के टीन-एज आर्टिस्टों की प्रेरणास्त्रोत हैं।
यंग आर्टिस्ट और एंटरप्रेन्योर वसुधा का मूल उद्देश्य उभरते हुए कलाकारों को प्रोत्साहित करना, ट्रेनिंग देना और कला प्रदर्शन के राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के मौके देना है। वसुधा पिछले आठ सालों से इसी मिशन पर अग्रसर है। और वे अब तक 250 से ज़्यादा बच्चों को विभिन्न आर्ट की ट्रेनिंग दे चुकी है। शहर के टीन-एज कलाकारों की विविध कलाओं से सजी मंडला आर्ट गैलरी की इस चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन अंतरराष्ट्रीय स्तर के चित्रकार और मुख्य अतिथि रामू जी रामदेव ने किया। साथ ही इस मौके पर बतौर विशिष्ट अतिथि एमजीपीएस की प्रिंसिपल डॉ. सुनिता वशिष्ठ भी बच्चों का उत्साह बढ़ाने के लिए मौजूद थीं। साथ ही कैंडलविक स्कूल की प्रिंसिपल डॉ. राज राठौड़ ने भी प्रदर्शनी में आकर बच्चों का उत्साह बढ़ाया। इस मौके पर प्रदर्शनी के साथ ही एक किताब का भी विमोचन किया गया। “8 साल की यात्रा” नामक इस किताब में आर्टिस्ट वसुधा शर्मा की कलाकृतियों के साथ ही उनके और स्टूडेंट्स के कला सफ़र का ब्यौरा है।
आपको बता दे की यह आर्ट युवा पीढ़ी को रोजगार भी प्राप्त कराएगी। यह मंडला आर्ट युवा पीढ़ी को अपने सपने साकार करने का जरीया भी बनेगी। मोबाइल और गैजेट्स में उलझी युवा पीढ़ी को अपने पारम्परिक हुनर से रूबरू कराने वाली है यह मंडला आर्ट।