Latest Headlines News Wsest Bengal Sandeshkhali: पश्चिम बंगाल (Latest Headlines News Wsest Bengal Sandeshkhali) में ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) के गुंडों ने ऐसा आतंक बरपाया है जिसकी आवाज पूरे हिंदुस्तान में सुनाई दे रही है। जी हां बरसों से दबी उत्पीड़न की चिंगारी अब ज्वाला बनकर बंगाल के सियासी माहौल को दहका रही है। संदेशखाली में उत्पीड़न और अत्याचार से भरी इन चीखों का संदेश कहीं ममता बनर्जी की सियासी जमीन के लिए ज्वालामुखी न बन जाए, कहीं बंगाल में दीदी की सियासी जमीन खिसक तो नहीं जाएगी।
बसीरहाट के एसपी एच. एम. रहमान का कहना है कि अगर कोई भी कानून अपने हाथ में लेगा पुलिस कठोर से कठोर ऐक्शन लेगी। लेकिन साहब अभी तक पुलिस मुख्य आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। अब इसके पीछे क्या कारण है ये तो पुलिस की जानती होगी। लेकिन ये बंगाल (Latest Headlines News Wsest Bengal Sandeshkhali) पुलिस के लिए शर्म की बात है कि पुलिस अभी तक मुख्य आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है, ममता बनर्जी के मुंह से एक शब्द नहीं निकला है…ममता के पास इतना भी समय नहीं था कि वो पीड़ित महिलाओं से मुलाकात कर सकें, उनका दर्द बांट सकें और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कह सके। अगर वो ऐसा करतीं तो शायद उनके वोटबैंक में कमी आ जाती।
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बंगाल में (Latest Headlines News Wsest Bengal Sandeshkhali) लगातार ऐसी खबरें सामने आती हैं। ये कोई पहली दफा नहीं हुआ इससे पहले भी कई दफा ऐसी घटनाएं होती आ रही है। याद कीजिए साल 2006 को उस समय बंगाल में लेफ्ट पार्टी की सरकार थी और मुख्यमंत्री थे बुद्धदेव भट्टाचार्या। बुद्धदेव ने किसानों से बिना सिंगूर के लोगों का मन टटोले वहां की 1 हजार एकड़ जमीन नैनो कार के लिए टाटा को दे दी थी। जबरन जमीन हथियाने से नाराज किसानों ने इसका विरोध किया। उस विरोध प्रदर्शन में अगुवा नेताओं के तौर पर टीएमसी चीफ ममता बनर्जी सबसे आगे नजर आ रही थीं। .ममता बनर्जी ने करीब 2 साल तक सिंगूर प्लांट पर जनता के साथ संग्राम लड़ा। नतीजा टाटा को सिंगूर से हटाकर प्लांट को गुजरात के साणंद में शिफ्ट करना पड़ा था।
बुद्धदेव भट्टाचार्य को गरीबों और आम लोगों की सरकार माना जाता था। यही वजह थी तब बुद्धदेव के पास 176 सीटें थी और साथियों के साथ मिलकर 235 सीटों का दम । जबकि टीएमसी के पास सिर्फ 30 सीटें ही थीं। लेकिन इसे किसानों का गुस्सा कहिए या ममता बनर्जी की किसानों मजदूरों में पैदा की गई चेतना। जिसने 2011 के विधानसभा चुनाव में 30 सीटों वाली TMC को सियासी जमीन को 184 सीटों तक पहुंचा दिया और सत्तासीन सीपीएम को 40 सीटों पर लुढ़का दिया था। जाहिर था सिंगूर मुद्दे ने ममता बनर्जी की सियासी जमीन के लिए खाद पानी का काम किया…चुनाव परिणामों के बाद बुद्ददेव भट्टाचार्या ने माना था कि किसानों से बात न करना…स्थानीय मुद्दों को ठीक से न समझ पाना उनकी बहुत बड़ी भूल थी।
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अब सवाल ये उठता है कि कहीं वहीं गलती आज ममता बनर्जी तो नहीं कर रही हैं…कहीं जनता के मुद्दों की अनदेखी ममता को भारी न पड़ जाए। उसके पीछे है संदेशखाली में महिलाओं की रोती बिलखती, सुलगती उबलती आवाज पर ममता बनर्जी की चुप्पी। संदेशखाली में वर्षों से फलफूल रहे शाहजहां शेख के घिनौने साम्राज्य के खिलाफ वहां की महिलाओं ने 7 फरवरी को पहली बार प्रदर्शन किया था। तब से लेकर आजतक ममता बनर्जी चुप हैं। वो भी तब जब वो खुद महिला हैं और महिलाएं ही संदेशखाली में (Latest Headlines News Wsest Bengal Sandeshkhali) सबसे बड़ी पीड़ित हैं। खास बात ये है कि सिंगूर में तब जनता के साथ ममता बनर्जी खड़ी थीं, जबकि आज उसी जनता के साथ बीजेपी और दूसरे दल भी शामिल हैं…ये सभी दल ममता सरकार पर शाहजहां को शह देने और तुष्टीकरण के आरोप लगाते रहे हैं।