G20: दुनिया के टॉप राष्ट्राध्यक्षों के साथ दिल्ली में महामंथन का दौर जारी है। समिट में विकासशील देशों के आर्थिक मुद्दे खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा पर जोर, जलवायु परिवर्तन और रूस- यूक्रेन युद्ध के साथ–साथ सामाजिक प्रभाव जैसे मुद्दों पर चर्चा होनी है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब समिट का उद्घाटन किया तो सबसे पहले G20 में अफ्रीकी यूनियन की स्थाई सदस्यता पर जोर दिया। पीएम ने कहा कि मैं कार्रवाई शुरू करने से पहले अफ्रीकन यूनियन को सदस्य के रूप में आमंत्रित करता हूं।
यानी कि अब भारत ने जी-20 सम्मेलन में चीन को चित कर दिया है। प्लान तैय़ार है कि खुद को कैसे विदेश नीति के मोर्चे पर चीन से एक कदम आगे रखा जाए। भारत की चाहत थी कि G20 में अफ्रीकन यूनियन को भी शामिल किया जाए।और अब लंबे समय बाद अफ़्रीकन यूनियन को G20 में स्थायी सदस्य के रूप में शामिल कर लिया गया है। G20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन हुए सेशन में पीएम नरेंद्र मोदी ने अफ्रीकन यूनियन को आधिकारिक रूप से शामिल करने का ऐलान किया है।भारत की चाहत है कि वो ‘ग्लोबल साउथ’ का नेतृत्व करे। और चीन का इरादा भी कुछ यही है। यही वजह है कि दोनों देश अफ्रीकी देशों से अपने संबंध मजबूत बनाने की कवायद में हैं।और अगर G- 20 समिट में अफ्रीकन यूनियन को स्थाई सदस्यता मिली है तो ये बाजी अब भारत के हाथ है।
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अगर देखा जाए तो अफ्रीका महाद्वीप में भारत 1950 के दशक से ही अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुका है।पिछले 70 साल में भारत ने मिस्र।दक्षिण अफ्रीका।नाइजीरिया, जैसे देशों के साथ अपने रिश्ते मजबूत किए हैं।और जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं।तब से लगातार अफ्रीकी देशों का दौरा करते रहे हैं। इधर चीन भी अपना निवेश अफ्रीकी देशों में अपने फायदे लिए करना चाह रहा है।और भारत अच्छी तरह जानता है कि कि अगर उसे अफ्रीका में चीन को पछाड़ना है।तो एक बड़े प्लान के साथ काम करना है।यही वजह है कि भारत जी- 20 में अफ्रीकन यूनियन को शामिल करने की वकालत करता रहा है।