STANDARD DEDUCTION: स्टैंडर्ड डिडक्शन में संभावित बढ़ोतरी से मध्यम वर्ग को राहत, जानें क्या है यह टैक्स बेनिफिट
STANDARD DEDUCTION: बजट 2025 में महंगाई नियंत्रित करने के लिए संभावित टैक्स सुधारों में स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाया जा सकता है। यह वेतनभोगी और पेंशनभोगी करदाताओं को मिलने वाली एक निश्चित छूट है, जिससे उनकी टैक्स योग्य आय कम होती है। हालांकि, स्व-रोजगार और HUF इसके पात्र नहीं हैं। इसकी सीमा बढ़ने से मध्यम वर्ग को राहत मिलने की उम्मीद है।
STANDARD DEDUCTION: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को देश का आम बजट पेश करेंगी। इस बार के केंद्रीय बजट से मध्यम वर्ग और वेतनभोगी करदाताओं को राहत मिलने की उम्मीद की जा रही है। सरकार के आर्थिक एजेंडे में ‘विकसित भारत’ विजन को ध्यान में रखते हुए कर प्रणाली को और सरल बनाने और लोगों को अधिक बचत के अवसर देने पर जोर दिया जा सकता है।
महंगाई को नियंत्रित करने के उपायों के साथ-साथ सरकार कुछ महत्वपूर्ण टैक्स सुधार भी कर सकती है। इसमें सबसे प्रमुख बदलाव स्टैंडर्ड डिडक्शन से जुड़ा हो सकता है, जिसे बढ़ाए जाने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।
स्टैंडर्ड डिडक्शन क्या है?
स्टैंडर्ड डिडक्शन एक निश्चित राशि होती है, जिसे सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है और जो वेतनभोगी या पेंशनभोगी व्यक्तियों की टैक्सेबल इनकम से ऑटोमैटिक रूप से घटा दी जाती है। इसका सीधा फायदा यह होता है कि करदाता की कुल टैक्स देनदारी कम हो जाती है।
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उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति की सालाना टैक्सेबल इनकम 10 लाख रुपये है और स्टैंडर्ड डिडक्शन के तहत उसे 50,000 रुपये की छूट मिलती है, तो उसकी टैक्सेबल इनकम घटकर 9.5 लाख रुपये रह जाएगी। इससे उसकी कुल टैक्स देनदारी में भी कमी आएगी।
ओल्ड टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन
ओल्ड टैक्स रिजीम में करदाताओं को 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है। इसे वित्त वर्ष 2018-19 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फिर से लागू किया था। इससे पहले 2005-06 में इसे हटा दिया गया था।
इसके तहत वेतनभोगी और पेंशनर्स दोनों ही इस लाभ का फायदा उठा सकते हैं। यह डिडक्शन यात्रा भत्ता (Transport Allowance) और चिकित्सा भत्ता (Medical Allowance) को हटाकर दिया गया था।
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न्यू टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन
शुरुआत में न्यू टैक्स रिजीम के तहत कोई स्टैंडर्ड डिडक्शन नहीं था, लेकिन वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार ने इसे लागू किया और 50,000 रुपये तक की छूट दी।
वर्ष 2024 में इसे बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया गया था, जिससे टैक्सपेयर्स को और अधिक राहत मिली। अब 2025 के बजट में इसे और बढ़ाने की अटकलें लगाई जा रही हैं।
स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए कौन पात्र है?
स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ केवल वेतनभोगी (Salaried) और पेंशनर्स (Retired Taxpayers) को ही मिलता है। यानी, अगर कोई व्यक्ति नौकरी करता है या फिर सेवानिवृत्त होकर पेंशन प्राप्त कर रहा है, तो वह इसका लाभ ले सकता है।
हालांकि, स्व-रोजगार (Self-Employed) और हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) को इस छूट का फायदा नहीं मिलता है।
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बजट 2025 में स्टैंडर्ड डिडक्शन पर क्या बदलाव संभव?
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ती महंगाई और आम लोगों पर टैक्स का बोझ कम करने के उद्देश्य से स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को बढ़ाया जा सकता है। अगर ऐसा होता है, तो वेतनभोगी और पेंशनभोगी करदाताओं को बड़ी राहत मिलेगी।
वर्तमान में ओल्ड टैक्स रिजीम में यह 50,000 रुपये और न्यू टैक्स रिजीम में 75,000 रुपये है। सरकार इसे बढ़ाकर 1 लाख रुपये तक कर सकती है ताकि करदाताओं को अधिक बचत का लाभ मिले।
मध्यम वर्ग को राहत मिलने की उम्मीद
मध्यम वर्ग के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन में वृद्धि एक बड़ा कर लाभ होगा, क्योंकि यह बिना किसी अतिरिक्त दस्तावेज़ या निवेश की आवश्यकता के सीधे इनकम टैक्स कम करता है।
अगर सरकार बजट 2025 में इसे बढ़ाती है, तो यह वेतनभोगी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए एक सकारात्मक कदम होगा।
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