नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जापान का दो दिवसीय यात्रा में भारत ने जो राजनीतिक कूटनीति अपनायी है, उससे चीन के होश उड़े हुए हैं। प्रशांत हिन्द को किसी भी दबाब से मुक्त रखने के लिए बने 2017 में बने क्वाड अपनी एक्शन के मूड में हैं। इस क्वाड में भारत, जापान, अमेरिका और आस्ट्रेलिया शामिल हैं। इन चारों देश के राष्ट्राध्यक्षों की परस्पर मुलाकात में सकारात्मक बातचीत से विश्व स्तर पर भारत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दबदबा बढा है।
इस दो दिवसीय जापान यात्रा में विभिन्न मंचों पर अपने संबोधनों में मोदी ने इशारे ही इशारों में स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब किसी भी दुश्मन देश के नापाक इरादों को कामयाब नहीं होने देगा। उनका अप्रत्यक्ष रुप से उनका निशाना चीन ही था। मोदी के तेवरों को देख चीन और उसके पिछलग्गू पाकिस्तान की नींद उड़ी हुई है।
इसके साथ ही पीएम मोदी और अमेरिकी पीएम बाइडेन जो की द्विपक्षीय वार्ता ने चीन की बेचैनी को और बढा दिया है। मोदी ने जहां रुस और यूक्रेन के युद्ध को रुस पर निशाना साधा है। यह अलग बात है कि रुस और यूक्रेन के बीच युद्ध को चलते हुए तीन महीने हो गये हैं और यूक्रेन दुश्मन देश को जमकर टक्कर दे रहा है। क्वाट में शामिल जापान, अमेरिका और आस्ट्रेलिया ने खुलकर रुस की आलोचना की है और यूक्रेन का समर्थन करते हुए उसको हर तरह का सहयोग कर रहे हैं। भारत अब तक इस युद्ध में तटस्थ रहा है, इसके बावजूद चारों देश के रिश्ते मजबूत हैं।
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क्वाड की चतुर्भुज सुरक्षा संवाद में चीन की दादागिरि शिकंजा कसने पर रणनीति पर विचार किये जाने से भी बौखलाया हुआ है। चीन इन दिनों गलवान पर हमला करने की तैयारी कर रहा है, इस पर अमेरिकी प्रधानमंत्री बाइडेन जो ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि चीन ने गलवान की तरफ आंख उठायी तो अमेरिका गलवान को हर संभव मदद करेगी। दरअसल चीन गलवान के अपना हिस्सा मानता है, जबकि गलवान खुद को एक स्वतंत्र भाग मानता है। एक तरह के बाइडेन ने चीन को अपनी हरकतों से बाज आने की चेतावनी दी है।
इसी के साथ भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी पीएम बाइडेन जो के बीच हुई वार्ता से चीन को परेशान होना लाजमी है। चीन अमेरिका की इस चेतावनी को भारत और चीन की सीमाओं पर व्याप्त तनाव के संदर्भ में भी मान रहा है। भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया की हुई चतुर्भुज सुरक्षा संवाद में भी चीन की विश्व समुदाय को नुकसान देने वाली बढती गतिविधियों पर भी अकुंश लगाने पर बल दिया है। बहरहाल भारत का सारी दुनिया में डंका बज रहा है, जिससे चीन दुनिया के अलग-थलग सा होने लगे है, ऐसे में उसके माथे पर चिंता की लकीरें होना स्वाभाविक है।