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MP Politics:चुनावी राज्यों में मध्यप्रदेश बीजेपी के लिए बड़ा सिरदर्द 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और एक दूसरे केंद्रीय मंत्री भी सिंधिया समर्थकों की टिकट कम करने के पक्ष में हैं। इससे सिंधिया और उनके समर्थक दोनों चिंता में हैं। सूत्रों का कहना है कि भाजपा के कई नेता इस बार चुनाव से पहले अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद पटेल बड़े दावेदार बताए जा रहे हैं तो नरोत्तम मिश्रा और कैलाश विजयवर्गीय भी दावेदार हैं।


MP News (मध्यप्रदेश समाचार)! संघ का गढ़ रहा मध्यप्रदेश इस बार बीजेपी के लिए सिरदर्द बना हुआ है। एक तो कांग्रेस पूरी मेहनत से सूबे में राजनीति को अपने पक्ष में करने की लड़ाई लड़ रही है तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के बदले किसी नए चेहरे के साथ चुनाव लड़ने की मांग बीजेपी के भीतर हो रही है।

बीजेपी के भीतर मध्यपरदेश में कई गुट बने हुए हैं। शिवराज का अपना गुट है तो नरोत्तम मिश्रा का अपना गुट गुट। सिंधिया का अपना गुट है तो विजयवर्गीय का अलग गुट। लेकिन इन सबसे इतर उन विधायकों का भी एक गुट खड़ा हो गया है जो पला बदलकर सिंधिया के साथ बीजेपी में चले गए थे और अब बीजेपी इन विधायकों को टिकट नहीं देने के मूड में है। बीजेपी का तर्क है तब सरकार बनाने के लिए इनका उपयोग किया गया था। अब इन विधायकों की जगह अपने पार्टी के नेताओं को टिकट दिया जायेगा। बीजेपी के भीतर बहुत कुछ चल रहा है।    

 कहने के लिए दस राज्यों में चुनाव इस साल हो रहे हैं लेकिन इनमे  मध्य प्रदेश की स्थिति अलग है। पिछले चुनाव में 15 साल के बाद भाजपा हारी थी हालांकि उसके डेढ़ साल बाद ही कांग्रेस को तोड़ कर भाजपा ने अपनी सरकार बना ली। लेकिन उसके बाद से ही सरकार और पार्टी दोनों कई तरह की मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। कमलनाथ से सत्ता छीन कर जब से शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने तब से उनके हटने की चर्चा होती रही। हालांकि वे अपनी कुर्सी बचाए रखने में कामयाब रहे हैं। लेकिन इस बार बीजेपी के भीतर शिवराज के खिलाफ जिस तरह के स्वर उठ रहे हैं ,लगता है चुनाव से पहले बीजेपी आलाकमान को कोई निर्णय लेना होगा। 

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चुनाव से पहले पार्टी के सामने सबसे बड़ी समस्या केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बने हैं। उनके करीबियों ने दो तरह की चर्चा चलवाई हुई है। पहली चर्चा यह है कि उनको भाजपा आलाकमान मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद का दावेदार पेश करेगा। उनको प्रदेश की राजनीति के लिए भेजा जा रहा है। उनकी तरफ से दूसरी चर्चा यह चलवाई गई है कि नेहरू-गांधी परिवार के किसी सदस्य ने उनसे संपर्क किया है और कांग्रेस में उनकी वापसी की बात हो रही है। ध्यान रहे भाजपा ने मध्य प्रदेश में ‘मिशन 200’ का ऐलान किया है। यानी पार्टी 230 में से दो सौ सीट जीतने का लक्ष्य लेकर लड़ रही है। सिंधिया को पता है कि अगर भाजपा को पूर्ण बहुमत आया तो उनकी हैसियत और घटेगी।


दूसरी समस्या यह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ और उनसे अलग भी कांग्रेस के करीब 25 विधायक पार्टी छोड़ कर भाजपा से जुड़े हैं। वे सभी विधानसभा चुनाव की टिकट मांग रहे हैं लेकिन भाजप और संघ के एक बड़े सेक्शन की ओर से इसका विरोध हो रहा है। कहा जा रहा है कि उस समय सरकार बनानी थी तो उनको साथ लिया गया। अब पार्टी को अपने पुराने कार्यकर्ताओं को नेताओं को ही टिकट देना चाहिए।

यह भी कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और एक दूसरे केंद्रीय मंत्री भी सिंधिया समर्थकों की टिकट कम करने के पक्ष में हैं। इससे सिंधिया और उनके समर्थक दोनों चिंता में हैं। सूत्रों का कहना है कि भाजपा के कई नेता इस बार चुनाव से पहले अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद पटेल बड़े दावेदार बताए जा रहे हैं तो नरोत्तम मिश्रा और कैलाश विजयवर्गीय भी दावेदार हैं।

पार्टी के कई लोकसभा सांसद इस बार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट मांग रहे हैं, जिससे दावेदारी बढ़ने का अंदेशा है। कहा जा रहा है कि जिन लोगों को अगले साल अप्रैल-मई के लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने या हार जाने का अंदेशा लग रहा है वैसे भी कुछ नेता विधानसभा की टिकट मांग रहे हैं। उमा भारती भी इस बार चुनाव लड़ना चाहती है और वे जिस तरह से राजनीति करती दिख रही है उससे भी बीजेपी परेशान है। ऐसे में बीजेपी हाई कमान इन सारे मसलों को कैसे साध पाती है इसे देखने की बात होगी।

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Neetu Pandey

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