नई दिल्ली: मुगलों के समय (Mughal Harem) के बहुत से ऐसे किस्से और कारनामें हैं जिनके बारे में बहुत से लोगों को नही पता है। इसी में एक है मुगलों की हरम की कहानी। अगर इतिहास की बात करें तो मुगल साम्राज्य के हरम के किस्से बहुत मशहूर हैं। हरम यानी एक ऐसा स्थान जहां अधिक संख्या में स्त्रियां रहती थीं, वहां सिर्फ शहंशाह ही जा सकते थें। मुगलों के दौर में हरम में 5 हजार से ज़्यादा औरते रहती थीं, जिसमें रानियां, रखैलें, दासियां और महिला कामगार शामिल थीं। अरबी भाषा में हरम का मतलब होता है वो पवित्र स्थान जहां मुगलों के हरम में केवल बादशाह को ही जाने की छूट थी।
हरम में सारी औरतों की थी अलग ज़िम्मेदारियां
मुगलों के हरम (Mughal Harem) में हज़ारों औरते थीम और ज़िम्मेदारियां भी अलग होती थीं। इसी के साथ औरतों की ज़िम्मेदारी और औदें के कारण उनके रहने की जगह भी अलग थी। बाग-बगीचे संवारना, चमकदार पर्दों की व्यवस्था करना, फौव्वारों की देखरेख, शमां को बुझने से रोकना ऐसे तमाम काम उनकी जिम्मेदारी का हिस्सा होते थे।
विदेशों से आती थी औरतें
हरम में केवल औरतें रहती थी और किसी भी मर्द की वहां जाने की मनाही थी, इसी वजह से वहां की सुरक्षा भी औरतों के ही हाथ में थी। मुगलों के हरम की देख-रेख के लिए विदेशों से औरतों को बुलाया जाता था, जो कद-काठी से मजबूत होती थीं। बाहर से औरतों को बुलाने का एक और कारण ये भी था कि उन्हें हिन्दुस्तानी भाषा भी नही आती थी। भाषा ना आने के वजह से वो सिर्फ काम पर ध्यान देती थीं और किसी से बात नही करती थी।
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नज़राने की होती थी कीमत
मुगलों की तरह हरम को व्यवस्थित रखना किसी दूसरी सल्तनत के राजा के लिए आसान नहीं था। उसकी सबसे बड़ी वजह पैसा थी। हरम में बड़े पैमाने पर रखी गईं औरतों की तनख्वाह के लिए बेशुमार दौलत की जरूरत होती है। उस दौर में बड़े पद पर तैनात एक महिला को 1600 रुपय महीने तक मिलते थे। यह वो दौर था जब 1 तोला सोना मात्र 10 रुपये में आ जाता था। औरतों की निगरानी करने वाली दरोगा को इतना वेतन मिलता था कि हर महीने किलोभर सोना खरीदा जा सके. कहा जाता है कि उस दौर में 5 रुपये में पूरे महीनेभर का खर्च आराम से चल जाता था।
हरम के लिए थे कई शहर
मुगलों के शासन में हरम का अस्तित्व हमेशा था। इसका सही रूप अकबर के समय से देखा जाता है, जहांगीर के समय यह व्यवस्था अपने चरम पर थी और औरंगजेब के समय यानी मुगल शासन के पतनकाल में हरम का अस्तित्व खत्म होने लगा था। उसके बाद हरम रंगरलियों का अड्डा बन चुका था। मुगल काल में कई शहरों में हरम थे, मुख्य शाही हरम आगरा, दिल्ली, फतेहपुर सिकरी और लाहौर में होते थे।