SliderTo The Pointउत्तराखंडखेल खेल मेंट्रेंडिंगन्यूज़बड़ी खबर

New record in Tehri lake: टिहरी झील में पिता-बेटों ने किया कमाल, बिना लाइफ जैकेट के 18 किलोमीटर तैरकर बनाया नया रिकॉर्ड

Father and sons did wonders in Tehri Lake, created a new record by swimming 18 kilometers without life jacket.

New record in Tehri lake: टिहरी झील में एक अद्वितीय और साहसिक कारनामा करते हुए टिहरी के मोटना गांव के निवासी त्रिलोक सिंह रावत (52) और उनके दो बेटों ऋषभ (23) और पारस (18) ने बिना लाइफ जैकेट के 18 किलोमीटर की दूरी तैरकर एक नया रिकॉर्ड कायम किया है। इस उपलब्धि के साथ उन्होंने अपने ही पिछले रिकॉर्ड को तोड़कर तैराकी में एक नई मिसाल पेश की है। इस बार उन्होंने अपने पिछले 15 किलोमीटर के रिकॉर्ड में 3 किलोमीटर की बढ़ोतरी की है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

नया रिकॉर्ड स्थापित:

टिहरी बांध की विशाल और गहरी झील में तैराकी करना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन त्रिलोक सिंह रावत और उनके बेटों ने न केवल इस चुनौती को स्वीकार किया, बल्कि इसे पूरी दृढ़ता और साहस के साथ पूरा भी किया। इस रोमांचक और प्रेरणादायक प्रयास में, टीएचडीसी के जूनियर ऑफिसर हरीश गिरि (46) भी उनके साथ तैराकी में शामिल हुए। हरीश गिरि ने कोटी कॉलोनी से छाम (कंडीसौड़) तक की लगभग 18 किलोमीटर की दूरी महज 8 घंटे में पूरी कर अपने नाम एक नया कीर्तिमान स्थापित किया।

कैसे पूरा किया गया यह साहसिक सफर:

इस साहसिक सफर की शुरुआत सुबह 8 बजे हुई। चारों तैराकों ने एकसाथ कोटी कॉलोनी से तैराकी प्रारंभ की। हरीश गिरि ने इस चुनौतीपूर्ण यात्रा को सबसे पहले पूरा किया और केवल 8 घंटे में छाम (कंडीसौड़) तक पहुँचकर अपनी तैराकी क्षमता का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। उनके बाद, ऋषभ ने इस दूरी को 9 घंटे 20 मिनट में तय किया और शाम 5 बजकर 20 मिनट पर लक्ष्य पर पहुंचे। इसके कुछ ही देर बाद, पारस ने 9 घंटे 29 मिनट में दूरी पूरी की और शाम 5 बजकर 29 मिनट पर अपने लक्ष्य तक पहुँचकर अपने पिता और भाई के साथ इस गौरवशाली सफर का हिस्सा बने।

पिता त्रिलोक सिंह रावत ने अपनी अदम्य इच्छाशक्ति और मजबूत संकल्प का परिचय देते हुए 9 घंटे 45 मिनट में यह सफर तय किया और शाम 5 बजकर 45 मिनट पर छाम (कंडीसौड़) पहुंचे। इस सफलता को देखकर स्थानीय लोग बहुत खुश हुए और उन्होंने चारों तैराकों का फूल-मालाओं और ढोल-नगाड़ों के साथ जोरदार स्वागत किया।

पिछला रिकॉर्ड तोड़कर स्थापित की नई मिसाल:

इससे पहले, त्रिलोक सिंह रावत और उनके बेटों ने 12 और 15 किलोमीटर की तैराकी करके अपना नाम दर्ज कराया था। लेकिन इस बार उन्होंने अपनी ही सीमाओं को पार करते हुए 18 किलोमीटर की दूरी तैरकर एक नया इतिहास रच दिया। ऋषभ ने बताया कि उन्होंने 12 साल की उम्र में ही तैराकी सीखना शुरू कर दिया था और बचपन से ही इस खेल के प्रति उनका गहरा लगाव रहा है। पारस, जो वर्तमान में पतंजलि यूनिवर्सिटी में बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन स्पोर्ट्स (BPES) की पढ़ाई कर रहे हैं, ने भी इस सफलता का श्रेय अपने पिता को दिया और कहा कि इस उपलब्धि के पीछे उनके पिता का मार्गदर्शन और प्रेरणा शामिल है।

हरीश गिरि का भी कमाल:

टीएचडीसी में जूनियर ऑफिसर के पद पर कार्यरत हरीश गिरि ने भी इस साहसिक प्रयास में हिस्सा लिया और सबसे पहले कोटी कॉलोनी से छाम कंडीसौड़ तक की दूरी को पूरा किया। पुरानी टिहरी के रहने वाले हरीश गिरि ने बताया कि तैराकी के प्रति उनका जुनून बचपन से ही था, हालांकि शुरुआत में उन्हें घर वालों से इसके लिए डांट भी मिलती थी। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आज इस सफलता को हासिल कर वे बेहद खुश हैं। उन्होंने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने परिवार, उच्चाधिकारियों और सभी प्रशंसकों को दिया।

नशे से दूर रहने की अपील:

त्रिलोक सिंह रावत ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि अगर जीवन में आगे बढ़ना है और कुछ बड़ा करना है, तो सबसे पहले नशे जैसी बुरी आदतों से दूर रहना होगा। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को अपनी ऊर्जा और समय को खेल, शिक्षा और समाज के कल्याण के कार्यों में लगाना चाहिए। उन्होंने बताया कि तैराकी जैसी गतिविधियाँ न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बनाती हैं।

आईटीबीपी और एसडीआरएफ की रही महत्वपूर्ण भूमिका:

इस चुनौतीपूर्ण तैराकी अभियान के दौरान आईटीबीपी एडवेंचर्स टिहरी और एसडीआरएफ की टीम भी मौजूद रही। इन टीमों ने तैराकों को हर संभव सहायता और मार्गदर्शन प्रदान किया, ताकि उनका यह सफर सुरक्षित और सफलतापूर्वक पूरा हो सके।

स्थानीय लोगों का मिला जबरदस्त समर्थन:

स्थानीय लोगों ने भी इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर गर्व महसूस किया और चारों तैराकों का स्वागत बड़े ही उत्साह के साथ किया। तैराकों के छाम (कंडीसौड़) पहुँचने पर ढोल-नगाड़ों के साथ उनका स्वागत किया गया। लोगों ने फूल-मालाओं से उनका सम्मान किया और उनके साहस की प्रशंसा की।

खेलों में रुचि रखने वालों के लिए प्रेरणा:

त्रिलोक सिंह रावत और उनके बेटों की यह उपलब्धि न केवल उत्तराखंड के लोगों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है। यह दिखाता है कि अगर व्यक्ति में कुछ कर गुजरने का जुनून और लगन हो, तो उम्र या परिस्थिति कभी भी सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती। इस साहसिक तैराकी ने यह सिद्ध कर दिया कि एक साधारण व्यक्ति भी असाधारण कारनामे कर सकता है, बशर्ते उसके पास आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प हो।

Written By। Mansi Negi । National Desk। Delhi

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button