New Delhi: NIA ने PFI पर तगड़ा ‘प्रहार’ किया है. 12 राज्य, 100 से ज्यादा गिरफ्तारी की है, देशभर में टेरर फंडिंग और कैंप चलाने के मामले में पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया गया. उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक NIA-ED की ताबड़तोड़ छापेमारी हुई. ये कार्रवाई अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई बताई जा रही है. तो क्या समझा जाए कि PFI पर बैन लगाने की तैयारी हो चुकी है?
PFI के 12 ठिकानों पर NIA समेत 5 एजेंसियों ने छापा
PFI यानि PEOPLE FRONT OF INDIA ये एक ऐसा संगठन है, जिस पर आरोप है कि वो हिंदुस्तान को बर्बाद करने की नापाक सोच रखता है. जिस पर आतंकी कनेक्शन से लेकर विदेशी फंडिंग और देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहने का आरोप है. जिसकी सोच हिंदुस्तान को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की है. जो हिंदुत्व का नामो निशान मिटाने की सोच रखता है. लेकिन बुधवार की रात PFI के लिए काल की रात थी. उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक PFI के 12 ठिकानों पर NIA समेत 5 एजेंसियों ने छापे मारे, और 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया.
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आतंकी कनेक्शन, टेरर फंडिंग और कट्टरपंथियों को तैयार करने के लिए कैंप चलाने के मामले में PFI के खिलाफ देशभर में सबसे बड़ा अभियान चलाया गया. दिल्ली, यूपी, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार, असम में PFI और उससे जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की. जिला से लेकर प्रदेश स्तर तक के चीफ को गिरफ्तार किया गया. राज्यों में PFI के दफ्तरों को सील कर दिया गया.
इनमें से ज्यादातर लोग NRC-CAA के विरोध में हुए दंगों के आरोपी भी हैं. NIA ने यूपी से भी 8 लोगों को गिरफ्तार किया. बाराबंकी से मोहम्मद वसीम नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. जो पेशे से दर्जी है. छापेमारी के दौरान वसीम के पास से कुछ डिजिटल डॉक्युमेंट्स और पेनड्राइव बरामद होने की भी बात की जा रही है. नदीम भी CAA के विरोध में हुए दंगों का आरोपी रह चुका है. परिजनों ने वसीम को ले जाने की बात तो कही, लेकिन मीडिया से कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.
एक तरफ जहां कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान बीजेपी और संघ पर नफरत फैलाने का लगातार आरोप लगा रहे हैं. देश तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं. तो दूसरी तरफ सपा मुखिया अखिलेश यादव और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी बीजेपी और संघ पर एक खास समुदाय को निशाना बनाने का आरोप लगा रहे हैं. तो उधर संघ प्रमुख मोहन भागवत से पांच मुस्लिम बुद्दिजीवियों ने पिछले महीने 22 अगस्त को मुलाकात की थी.
भागवत-मुस्लिम बुद्धिजीवी मुलाकात
इस मुलाकात का उद्देश्य संघ के प्रति मुसलिमों की सोच को सकारात्मक करना है. क्योंकि बुद्दिजीवियों के मुताबिक राजनैतिक दलों के लोग संघ के खिलाफ मुसलमानों को भड़काते हैं. जिससे वो आशंकित रहते हैं. वहीं मोहन भागवत ने चौंकाते हुए गुरुवार को दिल्ली में ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के मुख्य इमाम डॉ इमाम उमर अहमद इलियासी से मुलाकात की. हालांकि ये रूटीन मुलाकात बताई गई. लेकिन इस समय चल रही परिस्थितियों और संभवता पहली बार भागवत के खुद चलकर किसी इमाम से मिलने पर ये संदेश देने की कोशिश है, कि संघ मुस्लिम समुदाय से बेहतर संबध रखना चाहता है, और उनके मन में जो विद्वेष वोट बैंक के लिए कुछ राजनीतिक दलों ने भरा है उस भ्रम को दूर करना चाहता है. साथ ही संघ की चिंता ये भी है कि विदेशी कट्टरपंथी चोरी छिपे भारतीय मुस्लमानों के बीच कट्टरपंथ को हवा दे रहे हैं. जिसका असर CAA-NRCके प्रदर्शनों और उसके बाद हुए दंगों में देखने को मिला. जिसे प्रायोजित कराने में PFI ने बड़े स्तर पर भूमिका निभाई है.
PFI पर छापेमारी को लेकर बीजेपी के तेज तर्रार नेताओं गिरिराज सिंह और नरोत्तम मिश्रा ने इसे सही कदम बताते हुए आतंकी कनेक्शन पर कड़ा प्रहार बताया. बताया जा रहा है कि PFI पर एक्शन का प्लान 4 अगस्त को गृहमंत्री अमित शाह के कर्नाटक दौरे के दौरान बना था, और 7 अगस्त को प्लान पर काम करने के लिए टीम बनाई गई. टीम का मुख्य काम PFI की देश विरोधी गतिविधियों के सबूत इकट्ठा करना है. जो देश ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय लेवल पर भी इनके मंसूबों का खुलासा कर सकें. बताया जा रहा है कि 26 जुलाई को कर्नाटक में बीजेपी नेता प्रवीण नेट्टारू की हत्या के बाद से बीजेपी और संघ पर भारी दबाव था. इससे पहले उदयपुर के कन्हैयालाल और नागपुर के उमेश कोल्हे हत्याकांड में भी PFI के हाथ होने की बात सामने आई थी. देश में हुए दंगों में भी PFI की भूमिका सामने आई थी. जिसको लेकर अब तक का सबसे बड़ा एक्शन किया गया है. एक्शन के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने NIA के डीजी से भी मुलाकात की.अमित शाह के तेवर देखकर लगता है कि कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले PFI पर कहीं बैन ना लग जाए.
न्यूज वॉच इंडिया के लिए उत्पल देव कौशिक