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संसद में होगा सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच संख्या बल का मुकाबला

Delhi Ordinance Law: संसद में मणिपुर को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में घमासान जारी है। न कोई कार्यवाही और न कोई आश्वासन।लेकिन दोनों पक्षों के अपने -अपने तर्क से संसद के भीतर और बहार हंगामा मचा हुआ है। अगले सप्ताह लोकसभा में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होना है। विपक्ष ने संसद में चर्चा के लिए पीएम से बहुत गुहार लगाईं ,चिल्लाया भी लेकिन पीएम नहीं आये। अंत में हार कर विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव का सहारा लिया। संसद में अविश्वास प्रस्ताव दिया और स्पीकर ने इसे स्वीकार भी किया। अब इस पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री मोदी संसद में जवाब देने आएंगे। अविश्वास प्रस्ताव पर क्या होना है यह सब कोई जनता है। विपक्षी नेता भी जानते हैं और देश की जनता भी जनता भी जानती है। अविश्वास प्रस्ताव गिरेगा और सरकार की जीत होगी। सरकार पर कोई आंच नहीं आएगी। लेकिन नैरेटिव यह बनेगा कि सत्ता पक्ष ने विपक्ष को हरा दिया।

लेकिन इसी संसद में संख्या बल का एक और मुकाबला होना है। दिल्ली अध्यादेश विधेयक पर सत्ता पक्ष और विपक्ष पर मुकाबला होना है। संभव है कि अगले सप्ताह में यह मुकाबला भी देखने को मिले। केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा है कि अगले सप्ताह राज्यसभा में गवर्मेंट ऑफ़ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ़ दिल्ली संशोधन बिल लाया जायेगा। यह विधेयक दिल्ली में अधिकारीयों की नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए एक प्राधिकार गठित करने का प्रावधान करता है। विपक्षी सांसदों ने विधेयक का कडा विरोध किया है। विपक्ष का कहना है कि केंद्र सरकार के इस ऑर्डिनेंस ने दिल्ली सरकार की शक्तियां छीनकर उपराज्यपाल को दे दी है।

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बता दें कि दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर -पोस्टिंग के अधिकार का मामला काफी समय से सुप्रीम कोर्ट में लंबित था। लेकिन 11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला देते हुए दिल्ली सरकार को बड़ा अधिकार दे दिया और अधिकारियों के ट्रांसफर -पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिया। लेकिन सप्ताह भर के बाद केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश ला दिया और ये उपराज्यपाल को दे दिया। अब केंद्र सरकार लोकसभा और राज्यसभा में इस विधेयक को मंजूरी दिलाने को तैयार है। अब इसी मामले में सत्ता पक्ष और विपक्ष में मुकाबला होना है। लोकसभा में तो सरकार का बड़ा बहुमत है लेकिन राज्य सभा में संख्या बल ज्यादा होने के बाद भी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती है।

इस विधेयक के खिलाफ इंडिया गठबंधन में शामिल सभी दल तो एक साथ हैं लेकिन कुछ दल जो किसी भी गठबंधन में नहीं है उनके ऊपर ही सब कुछ निर्भर हो गया है। अगर ये दाल सत्ता पक्ष के साथ जाते हैं तो बीजेपी आसानी से ये बिल पास करा लेगी और वे नहीं चाहेंगे तो सत्ता पक्ष की मुश्किलें बढ़ेगी। विपक्ष का यही प्रयास है कि जो दल किसी गठबंधन में शामिल नहीं है वे विपक्ष का साथ दें। लेकिन यह सब विपक्ष का अपील भर है।

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बता दें कि बीजू जनता दल ,जगन रेड्डी की पार्टी ,बसपा ,किसी गठबंधन में अभी यही है। अभी तक ये सभी दल बीजेपी के साथ ही संसद में खड़े रहे हैं। जब जब सरकार को किसी मदद की जरुरत हुई इन दलों ने साथ दिया ,बिल पास करा दिया। लेकिन अभी अध्यादेश के मुद्दे पर ये दल चुप हैं। बीजेडी के सांसद अमर पटनायक ने कहा है कि उनकी पार्टी के भीतर इस बात को लेकर चर्चा हुई है लेकिन अभी उसे उजागर नहीं किया जा सकता। उनकी पार्टी समय आने पर निर्णय लेगी। उधर जदयू ने भी व्हिप जारी कर विधेयक के विरोध में अपना समर्थन जताया है। जदयू के सांसद हरिवंश भी हैं। वे अभी राज्यसभा में उपसभापति हैं। उनका रुख क्या होता है इसे भी देखना होगा।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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