उत्तर भारत राममय और दक्षिण भारत मोदीमय
Ayodhya Ram Mandir: कल 22 जनवरी को अयोधा मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कर दी जाएगी। प्रभु राम मंदिर में विराजमान हो जायेंगे। सनातन से जुड़े लोगों की मनोकामना पूरी हो जाएगी ,बीजेपी का संघर्ष ख़त्म हो जाएगा। यह बात और है कि मंदिर निर्माण और मंदिर बनाने के फैसले में भी सरकार का कोई योगदान नहीं है। यह तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश ही था जो मंदिर और मस्जिद विवाद को ख़त्म किया था। अयोध्या का विवादित जमीन मंदिर को मिला और मस्जिद के लिए अयोध्या से कुछ किलोमीटर दूर धन्नीपुर में मस्जिद के लिए जमीन दी गई। सारे संघर्ष और बखेरा अब ख़त्म हो चुके हैं। हर जगह शांति है। इधर मंदिर की तैयारी है और प्रभु राम की स्थापना की तैयारी चल रही है उधर धन्नीपुर में भी मस्जिद की तैयारी चल रही है। यह भी भारत का सबसे बड़ा मस्जिद होगा। इस मस्जिद में भी शिक्षा ,स्वास्थ्य की पढ़ाई होगी। दुनिया को आकर्षित करने वाला यह मस्जिद भी होगा।
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लेकिन सवाल तो यह है कि मंदिर का आयोजन जिस तरह से किया जा रहा है और उसके जरिए जिस तरह से राजनीति को साधने की कोशिश की जा रही है ,ऐसी राजनीति आज से पहले नहीं की गई थी। बीजेपी की यह राजनीति अब तक की सबसे मारक राजनीति है। इस राजनीति में संघ भी पूरी तरह से खुलकर बीजेपी के साथ खड़ा हो गया है। अब ही तक संघ छुपे तौर पर बीजेपी के साथ खड़ा रहता था लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। जानकार कह रहे हैं कि इसके पीछे के भी कुछ कारण है। संघ का भी शताब्दी वर्ष इस साल से शुरू हो रहा है। 24 और 25 संघ के लिए अहम वर्ष है। 2024 में लोकसभा चुनाव है। अगर इस चुनाव में बीजेपी की सरकार फिर से बन जाती है तो संघ का वह सपना पूरा हो जाएगा जो 2025 में वह गाजे बाजे के साथ अपना शतक वर्ष बनाएगा। यही वजह है कि बीजेपी से ज्यादा संघ को इस बात की चिंता है कि किसी भी तरह से मोदी की सरकार फिर बन सके।
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सरकार बनती है तो संघ की प्राथमिकता में शामिल सामान नागरिक संहिता कनून भी लागू हो जाएगा। संघ ने कश्मीर से धारा 370 को हटाने ,अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराने का संकल्प लिया था। ये दोनों संकल्प तो पूरे हो गए। एक मोदी सरकार ने संकल्प को पूरा किया तो दूसरा कोर्ट के आदेश से संकप पूरा हो गया। और अब सामान नागरिक कानून की बात है। अगर यह संकल्प भी पूरा हो जाता है तो संघ के सभी संकल्प पूरे हो जायेंगे। संघ की नजर में यही राम राज है और बीजेपी भी इसी राम राज्य की कल्पना करती रही है। अयोध्या में पूरा संघ पहुँच चुका है। संघ के सभी बड़े अधिकारी पहुँच गए हैं। आज मोहन भागवत भी अयोध्या पहुँच जायेंगे। उधर कल के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जहाँ पूरा संघ परिवार ,योगी सरकार और बीजेपी के लोग तत्पर हैं वही अयोध्या के राम को दक्षिण तक पहुंचाने की राजनीति पीएम मोदी खुद कर रहे हैं। वे लगातार दक्षिण भारत में डेरा डाल रखे हैं और दक्षिण के हर मंदिर और मठों का दर्शन कर रहे हैं। समा ऐसा बांधा गया है मानो मोदी इस देश के प्रधानमंत्री कम हैं वे इस देश के कोई मुनि, संत और ऋषि रूप है। देश एक यह मिजाज आज से पहले नहीं देखा गया था।
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दक्षिण में लगातार मोदी का दौरा इस बात को लेकर किया जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में राम लहर को कैसे प्रदर्शित किया जाए। राम लहर के नाम पर दक्षिण को कैसे साधा जाए। बस इतनी सी ही बात है। बीजेपी को लग रहा है कि उत्तर भारत का हिंदी बेल्ट में बीजेपी चार्म पर पहुँच चुकी है और अब अगर यही चरम दक्षिण के राज्यों में पहुँच बन जाती है टी खेल और सपना दोनों पूरा हो जायेगा। कर्नाटक विधान सभा चुनाव में हार के बाद बझप निरासह हो गई थी लेकिन अब फिर राम लहर से बीजेपी की उम्मीदे वहां बढ़ने लगी है पार्टी में जोश है। उमंग है। दक्षिण के दूसरे राज्यों में भी बीजेपी इस बार कुछ अलग कर सकती है। पिछले दस दिनों ने पीएम मोदी दक्षिण भारत को साध रहे हैं। राम मई बना रहे हैं। दक्षिण को समझ भी रहे हैं और समझा भी रहे हैं। जाहिर है राम के नाम पर दक्षिण को भी बीजेपी साध ले जा सकती है। और ऐसा हुआ तो संघ का शताब्दी साल का आननद भी देश उठाएगा।