IMPCL intensifies in Almora: अल्मोड़ा में IMPCL के निजीकरण का विरोध तेज: कांग्रेस ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी
अल्मोड़ा के मोहन क्षेत्र में स्थित आईएमपीसीएल कंपनी के निजीकरण की खबर ने विरोध की आग भड़का दी है। कांग्रेस ने इसे मुनाफे में चल रहे सरकारी संस्थान को बेचने की साजिश बताया है और उग्र आंदोलन की चेतावनी देते हुए मोर्चा खोल दिया है।
IMPCL intensifies in Almora: अल्मोड़ा के मोहन क्षेत्र में स्थित भारतीय औषधि निर्माण निगम (IMPCL) के निजीकरण की खबरों ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। कांग्रेस पार्टी ने इस सरकारी संस्थान को निजी हाथों में सौंपने की केंद्र सरकार की कथित योजना का कड़ा विरोध करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार लगातार मुनाफे में चलने वाली सार्वजनिक कंपनियों को अपने पूंजीपति मित्रों को बेचने में जुटी हुई है। उन्होंने IMPCL के निजीकरण को एक “षड्यंत्र” करार दिया और इसे आम जनता की आजीविका पर हमला बताया।
मुनाफे में चल रही कंपनी के निजीकरण पर सवाल
करन माहरा ने कहा कि IMPCL, जो कि आयुष मंत्रालय के अधीन एक सरकारी संस्थान है, पिछले तीन वर्षों से निरंतर मुनाफे में है। यह कंपनी प्राचीन शास्त्रीय विधियों से आयुर्वेदिक और यूनानी औषधियों का निर्माण करती है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, “जब यह कंपनी लगातार लाभ में है, तो फिर इसे निजी हाथों में क्यों सौंपा जा रहा है?” उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार अपने पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से इस तरह के संस्थानों का निजीकरण कर रही है।
IMPCL की अहमियत
IMPCL देश की एक महत्वपूर्ण औषधि निर्माण कंपनी है, जो लगभग 425 प्रकार की आयुर्वेदिक और यूनानी दवाइयों की आपूर्ति करती है। इतना ही नहीं, इस कंपनी के पास करीब 1200 दवाइयों के निर्माण का लाइसेंस है, जो इसे देश के सबसे बड़े आयुर्वेदिक और यूनानी औषधि निर्माताओं में से एक बनाता है। यह संस्थान केवल स्थानीय ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में अहम योगदान दे रहा है।
हजारों परिवारों पर खतरा
माहरा ने कहा कि इस संस्थान से करीब 5 हजार परिवारों की आजीविका जुड़ी हुई है। यदि इसका निजीकरण किया गया तो इन हजारों कर्मचारियों और उनके परिवारों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने IMPCL को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया जारी रखी, तो कांग्रेस पार्टी इसके खिलाफ उग्र आंदोलन करेगी।
निजीकरण की प्रक्रिया पर गंभीर आरोप
करन माहरा ने यह भी आरोप लगाया कि IMPCL को रणनीतिक निवेश की सूची में डालकर इसकी परिसंपत्तियों का मूल्यांकन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संस्थान के वर्तमान प्रबंधन ने कुछ राजनीतिक रसूखदार लोगों और निजी कंपनियों के साथ मिलकर निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की साजिश रची है। यह प्रक्रिया न केवल संस्थान को कमजोर करेगी, बल्कि इससे हजारों लोगों की आजीविका पर खतरा मंडराएगा।
कांग्रेस का आंदोलन का ऐलान
माहरा ने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेगी। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर IMPCL का निजीकरण रोका नहीं गया, तो कांग्रेस सड़क पर उतरकर आंदोलन करेगी। उन्होंने इस मामले में जनता से भी समर्थन मांगा और कहा कि यह केवल एक संस्थान की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह हजारों परिवारों की रोजी-रोटी का सवाल है।
IMPCL का ऐतिहासिक महत्व
IMPCL, मोहन, अल्मोड़ा में स्थित यह संस्थान आयुष मंत्रालय के अंतर्गत आता है और इसका आयुर्वेदिक और यूनानी औषधियों के निर्माण में एक लंबा इतिहास है। यह संस्थान पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसका निजीकरण न केवल आयुर्वेदिक चिकित्सा क्षेत्र को कमजोर करेगा, बल्कि देश की स्वास्थ्य सेवाओं पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ेगा।
सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर देश की संपत्तियों को “बेचने” का आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार केवल मुनाफे में चलने वाले संस्थानों को ही निजी हाथों में सौंप रही है। माहरा ने कहा कि IMPCL के निजीकरण का विरोध केवल कांग्रेस पार्टी का नहीं, बल्कि जनता का भी है।
आगे की रणनीति
कांग्रेस ने ऐलान किया है कि अगर सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो आने वाले दिनों में बड़ा आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई जनता की है और इसे हर हाल में लड़ा जाएगा।
IMPCL के निजीकरण को लेकर बढ़ते विरोध ने अल्मोड़ा में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और कांग्रेस का आंदोलन किस दिशा में जाता है।