Israel Hamas War Pakistan Entry: वैसे तो पाकिस्तान का आतंक प्रेम किसी से छिपा नहीं है। हर बार पाकिस्तान का प्रेम उजागर हो जाता है। लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठन और उनके आका सब पाकिस्तान से ही आतंक फैला रहे हैं। इसीलिए पाकिस्तान को दुनिया के किसी भी कोने में होने वाली आतंकी घटनाओं का समर्थन करने की आदत है। इसके लिए पाकिस्तान मजहबी चोला ओड़ने से भी पीछे नहीं हटता। पाकिस्तान का कहना है कि उन्होंने इजरायल को स्वीकार ही नहीं किया, चूंकि वहां पर मुसलमानों पर जुल्म हो रहे हैं, ये जुल्म रोकने चाहिए।
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दरअसल, पहली बार ये हुआ है कि फिलिस्तीनियों ने अपनी ताकत का अहसास कराया है और ऐसा इतिहास बना दिया है। कि इजारयल ये तारीख कभी नहीं भूलेगा। मुश्किल इस वक्त ये थी पूरी दुनिया के अंदर कि फिलिस्तीन के मुद्दे पर मुस्लिम देशों को अमेरिका और इजरायल ने अपने साथ कर लिया था और इजरायल को खुश करने के लिए अमन प्रोसेस के नाम पर फिलिस्तीनियों के खून के सौदे का सिलसिला जारी था।
जो इस वक्त नेतन्याहू ने कहा है हम युद्ध में हैं और हम युद्ध जीतेंगे। आपको उनके रिसोर्स के बारे में पता है कि टेक्नोलॉजी उनके पास है, पैसा उनके पास है पश्चिमी देश उनके साथ हैं इसमें जो नुकसान होगा सबसे ज्यादा वो फिलिस्तीनियों का होगा, मुसलमानों का होगा।वैसे तो पाकिस्तान खुद आतंक का सप्लायर और प्रमोटर है इसीलिए जब हमास ने आतंक का क्रूर चेहरा दिखाया तो पाकिस्तान को कोई हैरानी नहीं हुई। पाकिस्तान ने पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने खुद ये बात कही है। हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पाकिस्तानियों को इतिहास का आइना दिखाकर अलर्ट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शायद हमारे लोग( पाकिस्तानी भूल गए कि जिया-उल-हक का भी रोल रहा है जिया-उल-हक ने किस तरह अपनी फौज को भेजकर फिलिस्तीन के लोगों की जान ली थी ये इतिहास हम लोग भूल गए या हम याद करना नहीं चाहते। हमारे जो बॉर्डर हैं वहां जिस तरह हमले हो रहे हैं TDP के उससे बचाने वाला हमें कोई नहीं है यहां तक कि तालिबान भी हमारा साथ नहीं दे रहा है। आतंक के साथ पाकिस्तान हमेशा दिखता है और उसकी पैरवी करने से पीछे नहीं हटता, लेकिन पाकिस्तान के खुद के हालात खराब हैं। दुनिया में पाकिस्तानी खुद को आतंक पीड़ित भी साबित करना चाहते हैं। मगर हमास-इजरायल युद्ध में पाकिस्तान का रुख भविष्य में उसके लिए मुश्किल का सबब भी बन सकता है।
जब अरब देशों को ये पता चला कि या अरब देशों को जब यहां (पाकिस्तान) से बताया गया कि हम (पाकिस्तान) तो फिलिस्तानी के साथ खड़े हैं तो उन्होंने कहा पहले खुद के साथ तो खड़े हो जाओ हर 2 महीने बाद तो पैसे मांगने आ जाते हो तो अपना भीख मांगना छोड़ो और अपने काम से काम रखो तो ही बेहतर होगा बाकी दूसरों के झगड़े में टांग अड़ाने की हमारी पुरानी आदत है। इसीलिए हमने ये फैसला भी कर लिया है कि हमने हमास के साथ खड़े रहना है ये और बात है कि हमास वाले हमें पूछ तक नहीं रहे हैं।
हमास की हैवानियत से पूरी दुनिया हैरान है, इजरायल में महिलाओं और बच्चों के साथ आतंकियों ने जो बर्बरता की उसे कोई माफ नहीं कर सकता। लेकिन आतंक का गढ़ पाकिस्तान हमास के आतंकियों को साथ खड़ा है। इससे साफ है कि पाकिस्तान के लिए इंसानियत नहीं बल्कि आतंक का समर्थन ज्यादा जरूरी है।