Latest Political news Bihar Pashupati Paras: आरएलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति पारस ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि एनडीए में मेरे साथ अन्याय हुआ है इसलिए अब मैं खुद यह तय करूंगा कि मुझे कहां जाना है। उन्होंने इसका ऐलान 19 मार्च मंगलवार को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया।
राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (Rashtriya Lok Janshakti Party) के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने कहा, 5-6 दिन पहले मैंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि, मैं तब तक इंतजार करूंगा जब तक एनडीए सीटों की घोषणा नहीं कर देता। उन्होंने कहा, मैंने एनडीए की बहुत ईमानदारी से सेवा की है। पीएम नरेंद्र मोदी देश के बड़े नेता हैं, लेकिन हमारी पार्टी और हमारे साथ पर्सनली अन्याय हुआ है और इसी कारण मैं केंद्रीय मंत्री पद (Union Minister post) से Resign देता हूं।
एनडीए के सीट बंटवारे में एक भी सीट नहीं मिली.
सोमवार 18 मार्च को एनडीए ने बिहार की 40 लोकसभा सीटों के लिए शीट शेयरिंग (Sheet Sharing) का ऐलान किया। बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी (रामविलास), राष्ट्रीय लोक मोर्चा और HAM के बीच सीटों का बंटवारा हुआ। वहीं पशुपति कुमार पारस की पार्टी राष्ट्रीय एलजेपी को इस डिवीजन में एक भी सीट नहीं मिली है। गठबंधन में उनकी पार्टी को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है और वह तभी से नाराज हैं।
सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक, पशुपति पारस की पार्टी राजद के संपर्क में हैं। उम्मीद है कि, वह आज या कल में कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं। पशुपति पारस पहले ही कह चुके हैं कि वह हर हाल में हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ेंगे लेकिन अब यह सीट एनडीए में चिराग को मिल गयी है।
जेडीयू का कहना – ये बीजेपी और पशुपति कुमार पारस के बीच का मामला है
जेडीयू नेता नीरज कुमार का कहना है, बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व Constituent Parties से कम्यूनिकेट कर रहा था, इसमें जेडीयू का कोई रोल नहीं है। बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने ये फैसला चिराग पासवान के साथ मिलकर लिया। इस बात का तो पशुपति कुमार पारस ही बता सकते है कि उनका फैसला क्या है और वह कहां जा रहे हैं। नीतीश कुमार ने सभी का सम्मान किया है और कहा ये बीजेपी और पशुपति कुमार पारस के बीच का मसला है।
पशुपति पारस 2019 में सांसद बने
बता दे कि, पशुपति पारस 2019 में हाजीपुर सीट से लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने थे। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें अपने कैबिनेट में जगह दी और साथ ही केंद्र में मंत्री भी बनाया। लेकिन 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने भतीजे चिराग पासवान को परेफरेंस दिया और चाचा पशुपति कुमार पारस को सीधे तौर पर नजरअंदाज कर दिया।
पशुपति कुमार पारस राजद के संपर्क में आये
सूत्रों के मुताबिक, एनडीए के अंदर जगह नहीं मिलने से नाराज पशुपति कुमार पारस राजद के संपर्क में आ गए हैं। उनसे 5 सीटों पर भी चर्चा हुई है। ऐसी संभावना है कि एनडीए में हाजीपुर समेत अन्य सीटें चिराग पासवान की पार्टी को दी जाएंगी। वहीं, पशुपति कुमार पारस को महागठबंधन में सीटें मिल सकती हैं।
दरअसल, जिन सीटों पर चिराग अपने उम्मीदवार उतारेंगे, उन सीटों पर चाचा भी अपने उम्मीदवार उतारेंगे। पशुपति कुमार पारस मंगलवार को दिल्ली से पटना आ रहे हैं और इसके साथ तभी बहुत कुछ स्पष्ट हो जाएगा। वह बुधवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी कर सकते हैं।
नीतीश कुमार से मुलाकात नहीं हुई
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार शाम बिहार से दिल्ली पहुंचे। उम्मीद थी कि दिल्ली आने के बाद पशुपति कुमार पारस सीएम से मुलाकात करेंगे। हालांकि, अब इन दोनों प्रमुख नेताओं के बीच मुलाकात की संभावना नहीं है।
सोमवार शाम दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एनडीए की ओर से सीट बंटवारे को लेकर आधिकारिक घोषणा की गई। राष्ट्रीय एलजेपी को इसका इंतजार था। पशुपति कुमार पारस ने शुक्रवार को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा भी था कि वह आधिकारिक घोषणा का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन, हर हाल में वह हाजीपुर सीट से ही चुनाव लड़ेंगे। लेकिन, क्या वह अकेले चुनाव मैदान में उतरेंगे या महागठबंधन में शामिल होंगे? ये सवाल अब भी बना हुआ है। उस दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी उन्होंने इस सवाल का जवाब नहीं दिया। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देवजानी मित्रा के मुताबिक जल्द ही एक बैठक होगी और उसमें अगला कदम तय किया जाएगा।
बड़े नेताओं ने भी नहीं दी तरजीह
बिहार में सीटों के ऐलान से पहले ही एनडीए के अंदर क्या चल रहा है? ये साफ़ दिखने लगा था। क्योंकि, हाजीपुर सीट पर दावेदारी को लेकर चिराग पासवान अपने चाचा पर भारी पड़ते दिख रहे हैं। बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता लगातार चिराग के पक्ष में बात कर रहे थे। कुछ महीने पहले धीरे-धीरे सब कुछ सामने आना शुरू हो गया था।
एक तरफ चिराग गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिल रहे थे तो दूसरी तरफ सम्राट चौधरी और मंगल पांडे जैसे नेता पशुपति कुमार पारस से मिल रहे थे। इससे आप समझ सकते हैं कि कितना बड़ा फर्क आया था। बीजेपी की ओर से पशुपति कुमार पारस को किसी राज्य का राज्यपाल बनाने का ऑफर दिया गया था जिसे उन्होंने खारिज कर दिया था।