BRICS Summit: कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री रुस के लिए हुए रवाना
PM leaves for Russia to attend the BRICS Summit in Kazan
BRICS Summit: कज़ान में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार को रूस की दो दिवसीय यात्रा पर रवाना हो गए है।
बता दें कि 22-24 अक्टूबर तक रूस की अध्यक्षता में कज़ान में 16वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन आयोजित हो रहा है। ब्रिक्स सदस्य देशों के अपने समकक्षों और आमंत्रित नेताओं के साथ दिनों पक्षों की बैठक करने की उम्मीद भी है।
विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा, “‘न्यायसंगत वैश्विक विकास और सुरक्षा के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना’ विषय पर आयोजित यह शिखर सम्मेलन नेताओं को प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा।” इसमें आगे कहा गया, “यह शिखर सम्मेलन ब्रिक्स द्वारा शुरू की गई पहलों की प्रगति का आकलन करने तथा भावी सहयोग के लिए संभावित क्षेत्रों की पहचान करने का एक मूल्यवान अवसर प्रदान करेगा।”
यह 2024 में प्रधानमंत्री मोदी की दूसरी रूस यात्रा होगी क्योंकि वे 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जुलाई में मास्को गए थे। रूस की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक की। उन्हें मॉस्को के क्रेमलिन में रूस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल से भी सम्मानित किया गया।
रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार ने सोमवार को बताया कि भारत ब्रिक्स का संस्थापक सदस्य है और ब्रिक्स ढांचे के भीतर आर्थिक सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है, जिसे उन्होंने “एक बहुत ही मौलिक सिद्धांत” बताया।
मीडिया के साथ एक इंटरव्यू में विनय कुमार ने कहा कि, कज़ान में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में एजेंडे में कुछ मुद्दे शामिल हैं, जिनमें आर्थिक सहयोग का और विस्तार, राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार समझौता, सतत विकास, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन की समस्याओं के समाधान के लिए पीएम मोदी का LiFE मिशन, समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों के लिए डिजिटल समावेशन, वित्तीय समावेशन और भारत की कुछ उपलब्धियां शामिल हैं।
भारत के एजेंडे को लेकर कुमार ने कहा, “ब्रिक्स का संस्थापक सदस्य भारत है और ब्रिक्स ढांचे के भीतर आर्थिक सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है, जो कि एक मौलिक सिद्धांत है। पिछले कुछ वर्षों में, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में, वैश्विक दक्षिण के कई देशों और अन्य देशों में, ब्रिक्स के साथ सहयोग करने की रुचि बढ़ रही है। मुख्य मुद्दे जिनसे हम निपटेंगे, ब्रिक्स किन मुद्दों से निपट रहा है, हालांकि मैं नेताओं की बातचीत के बारे में भविष्यवाणी नहीं कर सकता।”
वहीं उन्होंने एजेंडे को लेकर कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे भी बताए। कहा जो कि आर्थिक सहयोग, विस्तार, राष्ट्रीय मुद्राओं और विकास की दिशा में काम करेगा। भारत में कुछ उपलब्धियों को साथी ब्रिक्स सदस्यों के साथ साझा करना, महिलाओं के नेतृत्व वाला विकास, डीपीआई या यूपीआई, इन्हें कैसे अधिक व्यापक रूप से स्वीकार्य बनाया जाए। अनिवार्य रूप से, वैश्विक दक्षिण के बड़े हिस्से के साथ आर्थिक सहयोग और लाभ साझा करना गहरा करना।”
एक औपचारिक समूह के रूप में ब्रिक की शुरुआत 2006 में जी-8 आउटरीच शिखर सम्मेलन के दौरान सेंट पीटर्सबर्ग में रूस, भारत और चीन के नेताओं की बैठक के बाद हुई।
इस समूह को 2006 में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की पहली बैठक के दौरान औपचारिक रूप दिया गया था। पहला ब्रिक्स शिखर सम्मेलन रूस में 2009 में हुआ था।
2010 में न्यूयॉर्क में ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक में दक्षिण अफ्रीका को शामिल करके ब्रिक्स का विस्तार करने पर सहमति हुई थी। दक्षिण अफ्रीका ने 2011 में सान्या में तीसरे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया था।
2024 में ब्रिक्स का और विस्तार होगा, जिसमें पांच नए सदस्य शामिल होंगे – मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात।
रूस में प्रधानमंत्री मोदी की गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताते हुए भारतीय राजदूत ने कहा, “प्रधानमंत्री की मुख्य गतिविधि निश्चित रूप से ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेना है। इसके अलावा, शिखर सम्मेलन के दौरान उनकी कुछ द्विपक्षीय बैठकें भी होंगी। इनमें से एक बैठक राष्ट्रपति पुतिन के साथ तय हो चुकी है। एक बार जब हम समय-सारिणी से जुड़े मुद्दों को सुलझा लेंगे, तो कुछ अन्य बैठकें भी तय हो सकती हैं।”
उन्होंने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जुलाई में प्रधानमंत्री मोदी की मास्को यात्रा के दौरान 2030 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार लक्ष्य तय किया था। उन्होंने कहा कि दोनों देश 2030 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार लक्ष्य हासिल करने के लिए योजनाओं और गतिविधियों पर काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की अगली बैठक नवंबर में निर्धारित है।
भारत-रूस के द्विपक्षीय संबंधों पर उन्होंने कहा कि, “प्रधानमंत्री की मास्को यात्रा के बाद दोनों नेताओं ने 2030 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर के व्यापार का लक्ष्य तय किया था, हम उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए गतिविधियों, योजनाओं और कार्यक्रमों को ठोस रूप देने के लिए काम कर रहे हैं। समूहों ने बैठक कर अंतर-सरकारी आयोग की आगामी बैठक नवंबर में तय की, जिसमे दोनों सह-अध्यक्षों द्वारा कई क्षेत्रों ओर नए लक्ष्यों को अंतिम रूप दिया जाएगा।”
उन्होंने कहा, “हमारी ओर से विदेश मंत्री इसमें भाग लेंगे। रूसी पक्ष से प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मोंटूरोव इसमें भाग लेंगे। इसलिए मैं फिर से यह अनुमान नहीं लगाना चाहता कि नेता किस बारे में बात करेंगे। लेकिन, निश्चित रूप से वे पिछली मुलाकात के बाद से द्विपक्षीय संबंधों और सहयोग में आई गति की समीक्षा करेंगे और शायद इस रिश्ते को आगे बढ़ाने के लिए हमें नई दिशाएं भी देंगे।”