BRICS Summit: प्रधानमंत्री मोदी ब्रिक्स की 15वीं बैठक में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका की राजधानी जोहान्सबर्ग (Johannesburg) के लिए रवाना हाे गए हैं । जोहान्सबर्ग में यह बैठक 22 से 24 तारीख के बीच होनी है। इस बैठक में ब्रिक्स (BRICS Summit) के सभी संस्थापक देश तो शामिल हो ही रहे, दर्जनों देशों को भी इस बैठक के लिए निमंत्रण भेजा गया है ।खबर है कि दुनिया के कई देश इस संगठन से जुड़ना चाहते हैं। इन देशों में मध्य पूर्व के भी कई देश हैं। बता दें कि आज से 15 साल पहले ब्रिक्स की स्थापना पांच देशों ने मिलकर की थी। इन देशों में शामिल है ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन और दक्षिण अफ्रीका। लेकिन अब इस संगठन से कई और देश भी जुड़ गए है और कई देश जुड़ने को तैयार है ।
ब्रिक्स (BRICS Summit) की यह बैठक 2019 के बाद पहली बार हो रही है। हालांकि कोरोना की वजह से अभी तक जो बैठक हुई है वह वर्चुअल ही हुई है लेकिन इस बार संगठन के संस्थापक सभी देश जोहान्सबर्ग पहुंच रहे है । रूसी राष्ट्रपति पुतिन इस बैठक में नहीं आ रहे है क्योंकि पुतिन के ऊपर यूक्रेन रूस युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय अदालत द्वारा गिरफ्तारी वारंट निकला हुआ है और अगर पुतिन इस बैठक में शामिल होते हैं तो उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है। इसलिए रूस की तरफ से वहां के विदेश मंत्री इस बैठक में पहुंच रहे हैं ।
भारत इस बार हालांकि कई देशों के साथ कई मुद्दों पर बातचीत करने को तैयार है लेकिन दुनियाभर की नजर पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग की संभावित मुलाकात पर टिकी है। उम्मीद की जा रही है कि जिनपिंग और पीएम मोदी एक साथ बैठ सकते हैं और कई मुद्दों पर बातचीत भी कर सकते हैं । अगर जिनपिंग और मोदी का सामना होता है तो कई मुद्दों पर बातचीत की संभावना भी बताई जा रही। हालांकि चीन के साथ किसी बड़े एजेंडे के तहत अभी बातचीत करने के लिए भारत तैयार नहीं है क्योंकि लद्दाख की सीमा पर चीन का अतिक्रमण जारी है। लेकिन जिनपिंग के साथ बात मुलाकात होती है तो कोई राह भी निकल सकती हैं ।
बता दें कि दक्षिण अफ्रीका के बाद प्रधानमंत्री ग्रीस जायेंगे । ग्रीस यानी यूनान के साथ भारत के ऐतिहासिक और पारंपरिक सम्बन्ध रहे है । भारत ग्रीस के साथ कई मुद्दों पर चर्चा करेंगे ताकि दोनों देशों के बीच के संबंध और बेहतर हो सके ।
चीन के साथ भारत की बातचीत क्या होगी या नहीं इस पर विदेश विभाग भी अभी चुप्पी साधे हुए है । विदेश सचिव ने कहा है कि आगे क्या कुछ होगा उसकी तैयारी की जा रही है । माना जा रहा है कि अगर जिनपिंग और मोदी के बीच कोई मुलाकात और बात होती है तो 2020 के बाद दोनों नेताओं की पहली मुलाकात होगी। 2020 में पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच जारी गतिरोध के बाद एक छोटी मुलाकात हुई थी।
खबर के मुताबिक इस बैठक में कई और देशों के साथ भी कई तरह के मामलों पर बातचीत करने को तैयार है। जब सभी नेता अलग-अलग नेताओं से मिलेंगे तो इन देशों के साथ के रिश्ते भी मजबूत किए जायेंगे। खबर ये भी है जिन दर्जनों देशों को आमंत्रित किया गया हैं उन सभी देशों के साथ भी भारत कई मुद्दों पर बातचीत कर सकता है ।