Narendra modi birthday 2023: ‘नरेंद्र मोदी’…एक ऐसा नाम, जो आज हर हिंदुस्तानी की जुबां पर है। हर भारतवासी के दिल में बसता है और दुनिया जिनको ‘बाहुबली’ नरेंद्र मोदी कहकर बुलाती है। RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के दफ्तर की साफ-सफाई करने वाले और रेलवे स्टेशनों पर चाय बेचने वाला एक मामूली सा शख्स, जिसकी ना कोई पहचान थी, ना कोई जानकारी थी और ना कोई पावर थी, आज वो व्यक्ति भारत ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बन गया है। जिसकी दुनिया फैन है, जिसको बड़ी-बड़ी महाशक्तियां सलाम करती हैं।
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जी हां हम बात कर रहे हैं नरेंद्र दामोदर मोदी (Narendra modi) की, जो अपनी आशावादिता, सच्ची लगन, सकारात्मकता और कठोर परिश्रम से भारत के प्रधानमंत्री बने। नरेंद्र मोदी (Narendra modi) का जन्म 17 सितंबर 1950 को हुआ। नरेंद्र मोदी की मां का नाम हीरा बा और पिता का नाम दामोदर दास मूलचंद मोदी है। नरेंद्र मोदी (Narendra modi) का जीवन बहुत संघर्षों से गुजरा। नरेंद्र मोदी छह भाई-बहनों में तीसरे नंबर के हैं। मोदी ने बचपन में अपने भाई और पिता के साथ चाय बेची थी। चाय बेचने के साथ-साथ नरेंद्र मोदी ने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी और वडनगर से स्कूली शिक्षा पूरी की। बताया ये भी जाता है कि नरेंद्र मोदी (Narendra modi) ने अपने स्कूल के दिनों के दौरान भारत-पाकिस्तान के युद्ध के दौरान मेहसाणा रेलवे स्टेशन पर सैनिकों को चाय बेचकर गुजारा किया था।
नरेंद्र मोदी (Narendra modi) शुरुआत से ही बहुत मेहनती थे, उनके अंदर कुछ कर गुजरने का जुनून था। तभी तो वह 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के ठीक बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ गए। RSS के नियमों के अनुसार नरेंद्र मोदी कार्यालय की साफ-सफाई और मेहमानों के लिए कुर्सियां बिछाते थे। जिसके बाद नरेंद्र मोदी(Narendra modi) अपनी छाप छोड़ते रहे।
1977 ये वो साल था जब नरेंद्र मोदी(Narendra modi) को आपातकाल विरोधी आंदोलन में सक्रिय भागीदारी को देखते हुए उन्हें संघ की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई। हर किसी की नजर नरेंद्र मोदी पर थी। और उनको अखिल विद्यार्थी परिषद (ABVP) की छात्र विंग का प्रभारी बना दिया गया।
संघ में तो नरेंद्र मोदी (Narendra modi) का हर कोई कायल हो चुका था, अब बारी थी राजनीति में एंट्री मारने की, साल 1985 में उनकी क्षमता, ईमानदारी और सकारात्मक सोच को देखते हुए उन्हें भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता दिलाई गई। पार्टी को भरोसा था कि नरेंद्र मोदी(Narendra modi) अपने दम पर पार्टी को आगे ले जाएंगे और हुआ भी कुछ ऐसा ही 1995 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को भारी भरकम जीत मिली। जिसके बाद एक बार फिर से नरेंद्र मोदी का प्रमोशन हुआ औऱ इस बार उनको भाजपा का राष्ट्रीय सचिव बना दिया गया और नरेंद्र मोदी का नई दिल्ली में ट्रांसफर कर दिया गया।
सीएम से पीएम बनने तक का सफर
पार्टी को चुनावों में अच्छी खासी जीत दिलाकर नरेंद्र मोदी ने ये तो साफ कर दिया था कि वो जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। साल 2001 ये वो साल था जब भारत की राजनीति को एक ऐसा नेता मिला जो ईमानदार था। नरेंद्र मोदी (Narendra modi) ने केशुभाई पटेल को रिप्लेस किया और गुजरात की कमान नरेंद्र मोदी के कंधों पर डाल दी। अब बारी थी पार्टी को 2002 में विधानसभा चुनाव जीताने की, नरेंद्र मोदी ने पार्टी के विश्वास को बिना ठेस पहुंचाए 2002 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को भारी जीत दिलाई। जिसके बाद नरेंद्र मोदी (Narendra modi) का विजय रथ आगे बढ़ता रहा। 2007 में उनको सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री से नामित किया गया। नरेंद्र मोदी (Narendra modi) मुख्यमंत्री के रूप में तो दमदार काम कर रहे थे, लेकिन 2014 में पार्टी को एक ऐसे चेहरे की तलाश थी जो प्रधानमंत्री बन सके, और पार्टी ने नरेंद्र मोदी को 2014 में प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतार दिया, बस फिर क्या था मोदी ने राजग गठबंधन के साथ 336 सीट जीतकर सरकार बना ली। और प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली। पीएम मोदी (Narendra modi) ने इस दौरान धुआंधार काम किए, जिसका नतीजा ये हुआ कि 2019 में भी जनता पर मोदी मैजिक चला और एक बार फिर से सरकार बना ली।