2014 से खाली लोक सभा नेता प्रतिपक्ष देश को इस साल मिलने जा रहा है। यह पद 2014 से खाली था। मगर इस बार कांग्रेस के पास पर्याप्त सीटें हैं। पिछले 10 सालों में कांग्रेस के सभी सांसदों की संख्या कुल लोकसभा सदस्यों के 10 प्रतिशत से कम थी। लेकिन यह पहली बार नहीं है जब नेता प्रतिपक्ष का पद खाली रहा हो। देश में ऐसा अभी तक आठ बार हो चुका है।
कब-कब खाली था यह दल?
पंडित जवाहर लाल नेहरू के समय विपक्षी दलों को नेता प्रतिपक्ष बनाने का मौका नहीं मिला। पहली, दूसरी और तीसरी लोकसभा में यह पद खाली रहा। चौथी लोकसभा में राम सुभाग पहली बार नेता प्रतिपक्ष बने थे। यह पद पांचवीं, सातवीं, और आठवीं लोकसभा में भी खाली रहा। 2014 में 16वीं और 2019 में 17वीं लोकसभा में भी विपक्षी दल नेता प्रतिपक्ष नहीं बना सके। 18वीं लोकसभा में पहली बार विपक्ष को नरेंद्र मोदी के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष नियुक्त करने का मौका मिला है। कुल मिलाकर, आठ बार लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली रहा है।
सालों बाद कांग्रेस के सामने बड़ा अवसर:
लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 240 सीटें मिली हैं। हालांकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को 292 लोकसभा सीटों के साथ पूर्ण बहुमत मिला है। कांग्रेस को 99 सीटों पर जीत मिली है जबकि 2019 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 52 सीटें जीत पाई थी, मगर इस बार उसके पास नेता प्रतिपक्ष के लिए पर्याप्त सीटें हैं।
नेता प्रतिपक्ष को मिलती हैं ये सुविधाएं:
नेता प्रतिपक्ष का पद कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है। उन्हें केंद्रीय मंत्री के बराबर वेतन, भत्ता और अन्य सुविधाएं मिलती हैं। आवास, चालक और कार की सुविधा भी प्रदान की जाती है। नेता प्रतिपक्ष को कर्मचारियों का स्टाफ भी मिलता है। वे लोक लेखा, सार्वजनिक उपक्रम और अनुमान जैसी महत्वपूर्ण समितियों के सदस्य होते हैं। कई अन्य संयुक्त संसदीय समितियों के भी सदस्य होते हैं। नेता प्रतिपक्ष को सीबीआई, एनएचआरसी, केंद्रीय सतर्कता आयोग और केंद्रीय सूचना आयोग के प्रमुखों की नियुक्ति करने वाली चयन समितियों का सदस्य भी बनाया जाता है। संसद में सरकार की नीतियों की आलोचना करने की स्वतंत्रता भी उन्हें होती है।