Politics in Bihar: CM आवास पर होती थी किडनैपिंग की सौदेबाजी’ लालू प्रसाद यादव के साले ने खोला काला चिट्ठा
1990 के दशक में लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के कार्यकाल में मुख्यमंत्री आवास पर दो लोगों का दबदबा था। ये थे साधु यादव और सुभाष यादव, जो लालू के साले थे। समय के साथ खासकर सुभाष यादव से लालू परिवार के रिश्ते खराब होते गए, जिनका अब परिवार से कोई नाता नहीं रहा। हाल ही में सुभाष ने लालू परिवार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
Politics in Bihar: बिहार की राजनीति में एक बार फिर से भूचाल आ गया है। राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के दिए बयान ने बिहार की राजनीति में बवाल खड़ा कर दिया है। बीजेपी-जदयू के साथ अपनों ने भी लालू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
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बिहार की राजनीति में एक बार फिर से भूचाल आ गया है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के साले और पूर्व राज्यसभा सांसद सुभाष यादव ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में ऐसे चौंकाने वाले खुलासे किए हैं, जो न सिर्फ लालू परिवार बल्कि पूरे बिहार की राजनीति को हिला कर रख देंगे। सुभाष यादव ने आरोप लगाया कि लालू यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए “मुख्यमंत्री आवास से अपहरण और फिरौती की डील” होती थी और लालू यादव खुद इन डीलों में शामिल रहते थे।
“CM आवास में बैठकें, फिरौती के रेट तय करते थे लालू!”
सुभाष यादव ने बताया कि “लालू जी के सीएम रहते हुए अपहरण और फिरौती की डील सीधे सीएम आवास से होती थी। लालू पूरी तरह से इसमें शामिल थे। फिरौती में कितने पैसे लेने हैं, यह भी वही तय करते थे। सीएम आवास में इसको लेकर बैठकें होती थीं, जिनमें उनके करीबी नेता शामिल होते थे।”
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“चारा घोटाला, अलकतरा घोटाला—सब लालू का काम!”
सुभाष यादव ने लालू यादव पर और भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “क्या मैं चारा घोटाले में पकड़ाया? क्या मैं अलकतरा घोटाले में पकड़ाया? हमें बदनाम किया गया। ये सब काम लालू यादव ने किया।
“किडनैपिंग केस में लालू और शहाबुद्दीन की भूमिका!”
सुभाष यादव ने एक खास किडनैपिंग केस का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि “पूर्णिया में एक किडनैपिंग हुई थी। इसका आरोप जाकिर हुसैन पर लगा था, जो अभी भी जिंदा है। इस केस में शहाबुद्दीन, प्रेमचंद गुप्ता और लालू यादव ने फोन करके जाकिर से पीड़ित को छोड़ने को कहा था। लेकिन असल में किडनैपिंग किसी और ने की थी। वह सहरसा जिले का रहने वाला था। हमलोगों को सब पता था।”
जब उनसे पूछा गया कि क्या इस केस में सीएम आवास की भी कोई भूमिका थी, तो सुभाष ने साफ कहा कि “हां, बिल्कुल थी। प्रेमचंद गुप्ता और लालू जी ने फरियाया था। जिसने किडनैप किया, वो मर गया। ये लोग तो खुद फरियाते थे।”
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क्यों बोले सुभाष यादव? परिवार से क्यों बिगड़ी बनती?
सुभाष यादव कभी लालू यादव के चहेते साले थे। 1997 में जब राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं, तो सुभाष ने पटना सचिवालय में क्लर्क की नौकरी छोड़कर उनके साथ काम करना शुरू कर दिया था। लेकिन अब उनकी लालू परिवार से नहीं बनती।
जदयू ने भी साधा निशाना
जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने भी लालू यादव के बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि आपके पुत्र ने आपको राजनीतिक रूप से अयोग्य घोषित कर दिया। NDA गठबंधन 225 सीट का लक्ष्य रखा है और ‘2025 से 2030 फिर से नीतीश’ तय हैं। यही यहां के लोगों की मनोदशा भी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट में लिखा, “लालू यादव, आप स्वस्थ रहें, निरोग रहें। परिवार में तो आपकी भूमिका शून्य है। परंतु, राजनीतिक तसीली-वसूली का सिलसिला यूं ही चलता रहे। पहले भी सरकार आपके रहते बनी थी, और आगे भी आपके रहते ही सरकार बनेगी। लेकिन सत्ता की कुर्सी आपसे दूर रहेगी।”
दिल्ली के बाद बिहार पर नजर
दिल्ली विधानसभा (delhi assembly election) में प्रचंड जीत के बाद BJP और NDA के नेताओं की नजर इस साल होने वाले बिहार विधानसभा (Bihar assembly election) पर है। BJP और NDA के नेताओं ने बिहार विधानसभा चुनाव में 225 सीटों पर विजय पाने के लक्ष्य को लेकर तैयारी शुरू कर दी है।
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