Punjab Politics News! पंजाब के तेज तर्रार नेताओं में शुमार कांग्रेसी नेता नवजोत सिंह सिद्धू एक अप्रैल को पंजाब की पटियाला जेल से रिहा हो रहे हैं। सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने करीब 35 साल पुराने रोडरेज के मामले में 19 मई, 2022 को एक साल की सजा सुनाई थी। उनकी इस सजा की अवधि 16 मई, 2023 को पूरी होनी थी, लेकिन उन्हें डेढ़ महीना पहले ही जेल से रिहा किया जा रहा है।
सजा अवधि से पहले सिद्धू को जेल से रिहा करने का कारण जेल में सजा काटने की अवधि के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू ने न तो कोई पैरोल लिया था और नहीं कोई छुट्टी। इस कारण पंजाब जेल विभाग ने जेल नियमों के प्रावधान के अनुसारउनकी सजा अवधि 45 दिन कम करके उन्हें एक को जेल से रिहा करने का निर्णय लिया था।
यूं तो नवजोत सिंह सिद्धू एक तेज तर्रार बड़बोला नेता माना जाता है। लेकिन साढ़े दस माह तक जेल की सलाखों के पीछे रहने के बाद उनकी सोच में जीवन व दुनियादारी, राजनीति के बारे में क्या कोई बदलाव आया है, इसका पता तो आने वाले समय में ही रख सकेगा, लेकिन जिस तरह से उनके जेल से रिहा होने से ठीक पहले पंजाब कांग्रेस के तमाम नेताओं ने जेल में जाकर उनसे मुलाकात की, उससे यह तो स्पष्ट है, वे फिर से सिद्धू की राजनीतिक सक्रियता चाहते हैं, लेकिन सिद्धू का अपना क्या नजरिया होगा, इसका अभी पता नहीं चल सका है।
हालांकि पंजाब कांग्रेस के कुछ नेताओं यह भी कहना है कि जिन कांग्रेसी नेताओं (शमशेर सिंह दूलो, लाल सिंह, महिंद्र केपी, प्रताप सिंह बाजवा) ने नवजोत सिंह सिद्धू से जेल में जाकर मुलाकात की है, वे पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिन्दर सिंह राजा वडिंग के साथ मिलकर नहीं चलते। इससे साफ जाहिर है कि ये नेता नवदीप सिंह सिद्धू का इस्तेमाल पंजाब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को कमजोर करने के लिए कर सकते हैं।
वैसे भी नवजोत सिंह सिद्धू पहले भी पंजाब प्रदेश अध्यक्ष अमरिंद सिंह राजा, पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और इससे पहले वे पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ भी बोलते रहे हैं। लेकिन अब सवाल उठता है कि जेल से बाहर आकर क्या नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब कांग्रेस को आगे बढ़ाने व मजबूत करने की दिशा में कोई सार्थक भूमिका निभाएंगे। या फिर पहले की ही अपने बड़बोलेपन से अपनी पार्टी के नेताओं को ही निशाना बनाकर पंजाब कांग्रेस की फजीहत कर आते रहेंगे।
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पंजाब कांग्रेस के कुछ नेता सिद्धू को वर्तमान पंजाब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ इस्तेमाल करने की मंशा रखते हैं। वे नवजोत सिंह सिद्धू को मोहरा बनाकर पंजाब कांग्रेस में परिवर्तन लाने व उसे मजबूत बनाने के लिए सिद्धू का प्रयोग कैसे करते हैं, उससे कांग्रेस को कितना फायदा अथवा नुकसान होता, यह तो समय ही बताएगा।
लेकिन फिलहाल इतना ज़रूर है कि आगामी लोकसभा चुनाव-2024 के मद्देनजर सिद्धू को भी सोच समझकर अपनी सक्रियता दर्शानी होगी। उन्हें अब निजी राजनीतिक महत्वाकांशा को दरकिनार कर खुद के राजनीति रूप से परिपक्व दिखाते हुए न पार्टी हित में कार्य करना होगा, तभी पंजाब में अब उनकी व कांग्रेस की स्थिति मजबूत हो सकेगी।