बजरंग दल विवाद: कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में बजरंग दल और पीएफआई पर बैन करने का वादा क्या किया कि बीजेपी की पूरी राजनीति ही बजरंग बली बनाम बजरंग दल पर जा टिकी । लग रहा है कि बीजेपी को बैठे बैठे एक चुनावी मुद्दा मिल गया । अब प्रधानमंत्री मोदी भी अपने भाषणों में बजरंग दल और बजरंगबली की चर्चा करते दिख रहे हैं। यह आजाद भारत का ऐसा सच है जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती । धार्मिक संगठनों और धार्मिक उन्माद के जरिए राजनीति साधने की यह कहानी हालाकि नई नही है लेकिन 21 वीं सदी का यह सच हमे डरा भी रहा है और भ्रमित भी कर रहा है ।
ये बजरंग दल है क्या ?
यह भगवान राम की सेना है या फिर समाज में नफरत फ़ैलाने वाला एक संगठन ।अगर भगवान श्री राम की यह सेना है तो इसे तो पवित्रता पूर्वक भगवान के लोगों की सेवा करनी चाहिए और प्रभु श्रीराम के आदर्शो पर चल कर मानवता की मिशाल पेश करनी चाहिए ।लेकिन सवाल है कि क्या मौजूदा बजरंग दल क्या यही कुछ कर रहा है ? हरगिज नही । ऐसे में बजरंग दल की कारगुजारियों को लेकर कोई आवाज उठा रहा है तो बीजेपी के लोगों को आपत्ति क्या है ? सब जानते हैं कि संघ की सभी संगठने हिंदुत्व को बढ़ावा देती हैं और अधिकतर हिंदुत्व को मानने वाले बीजेपी के वोटर हैं । क्या बीजेपी और संघ के लोग यह बता सकते हैं कि जो हिंदू बीजेपी और संघ के हिंदुत्व से वास्ता नहीं रखते और बीजेपी को वोट नहीं देते .
इनके बारे में संघ की क्या समझ है ?
याद रहे अभी तक बीजेपी को देश के 35 फीसदी लोगों का ही वोट मिलता रहा है । बाकी के राज्यों में यह आंकड़ा ज्यादा या कम हो सकता है लेकिन लोकसभा चुनाव में बीजेपी की यही स्थिति है ।लेकिन यह एक थोक वोट बैंक है जो किसी भी पार्टी को मिलने वाले वोट से ज्यादा होते हैं ।बाकी वोट बाकी दर्जनों पार्टियों में बिखर कर बेकार होते हैं । और भी को जीत सुनिश्चित हो जाती है ।
फिर भी सवाल यही है कि इन बेकार 65 फीसदी वोटों में से भी 15 फीसदी वोट मुसलमानो के भी निकाल दिए जाए तो करीब 50 फीसदी हिंदू वोट संघ और बीजेपी के हिंदुत्व को नहीं मानते ।लेकिन सनातनी हैं और प्रभु राम की भक्ति भी इनमे है ।बजरंगबली तो हिंदुओं के लिए एक ऐसे प्रेरणा स्वरूप ईश्वर हैं जो केवल भक्ति की मार्ग दिखाते हैं और दूसरों की सेवा का राह प्रशस्त करते हैं ।क्या बजरंग दल यही कुछ करता है ?ऐसे और भी बहुत से सवाल खड़े हो सकते हैं ।
कर्नाटक की यह चिंगारी राजस्थान तक पहुंच गई है ।वहां भी इसी साल के अंत में चुनाव होने हैं ।राजस्थान में बजरंगदल की राजनीति कुलांचे मार रही है । लेकिन कांग्रेस ने अपना स्टैंड साफ कर दिया है । राजस्थान के राहत मंत्री गोविंद मेघवाल ने पत्रकारों के सामने जो बात कही है उसे कोट करने की जरूरत है । मेघवाल ने कहा है कि कर्नाटक और राजस्थान का मामला अलग नही है ।अगर यहां भी बजरंग दल के लोग अपराध करेंगे ,गलत काम करेंगे तो यहां भी विरोध होगा । मेघवाल ने कहा कि अगर हमे महसूस हुआ यह बजरंग दल के नाम पर अपराध कर रहे हैं ,जय श्रीराम के नारे लगाकर बड़े से बड़े आपराधिक काम करते हैं
तो कांग्रेस इन्हे छूट नहीं देगी ।
मेघवाल ने कहा कि सच तो यही है कि अपराधियों को चुन चुन कर बजरंग दल में भर्ती किया जा रहा है । और यह काम संघ कर रहा है ।जिन लोगो का बैक ग्राउंड आपराधिक है उन्हे बजरंग दल में लाया जा रहा है ।
मेघवाल ने साफ किया कि कांग्रेस बजरंगबली का विरोध नहीं कर रही है ।लेकिन जो देवताओं के नाम पर दल बनाकर अपराध कर रहे हैं इस बात को लेकर ही कर्नाटक में बैन लगाने की बात कही गई है ।उन्होंने कहा कि 1948 में गांधी जी को गोडसे ने गोली मार दी थी ।तब के गृह मंत्री सरदार पटेल ने आरएसएस पर बैन लगा दिया था ।आज जिस तरह से आरएसएस बजरंग दल में आपराधिक लोगो की भर्ती कर रहे हैं ,धर्म के नाम पर लोगो से मारपीट करते हैं ,लोगों की हत्या करने की साजिश रचते हैं ,अगर कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार आएगी तो इस पर रोक लग जायेगी।
मेघवाल ने कहा कि पीएम मोदी कहते फिर रहे हैं कि कांग्रेस राम और बजरंगबली पर ताला लगाना चाहती है ।गजब की राजनीति हो रही है ।क्या कोई भगवान को कैद कर सकता है ? आज धर्म के नाम पर आज लगाकर संविधान को कमजोर किया जा रहा है । हमे संविधान की रक्षा करने की जरूरत है ताकि सबको न्याय और सबको उसका हक मिले ।