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Rajnath Singh: राजनाथ सिंह का बड़ा ऐलान, पाकिस्तान से जल्द वापस लेगें POK

अंग्रेजों ने जब भारत (Rajnath Singh) में प्रवेश किया तो ये जगह उन्हें आकर्षित कर गयी क्योंकि उन्हें पता चला कि यहां पर सोने समेत तमाम बहुमूल्य चीजों की भरमार है और उन्हें लगा कि कैसे भी ये जगह छोड़ेंगे नहीं।

नई दिल्ली: हाल ही में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) के एक बयान ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है जिसमें उन्होनें कहा कि बहुत ही जल्द पाकिस्तान के द्वारा कब्जाया गया कश्मीर वापस ले लिया जाएगा। लेकिन इसके साथ ही पाकिस्तान इसलिए भी परेशान है क्योंकि इससे बड़ी घटनाएं पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बॉर्डर पर घट रही हैं। आपको बता दें अफगानिस्तान के अंदर करीब 70 प्रतिशत लोग भारत को सबसे अच्छा दोस्त मानते हैं और सर्वे को पुख्ता बनाते हैं इंटरनेट पर मौजूद कई ऐसे वीडियो जिनमें किसी भी खेल में भारत के जीतने पर अफगानिस्तान में खुशी मनाई जाती है।

वाखान कॉरिडोर मानी जाती थी सोने की खान

अफगानिस्तान के लोगों को लगता है कि पाकिस्तान (Rajnath Singh) ने उनके साथ बड़ा धोखा किया है और इसी धोखे की वजह से अफगानिस्तान के कुछ कबिलाई लोग हैं। उनके द्वारा कश्मीर के ऊपर भी कब्जा करने की कोशिश की गई थी। अगर आप अफगानिस्तान के मैप को सही तरह से देखें तो उसके अंदर एक विचित्र चीज़ देखने को मिलने मिलती है और इस जगह का नाम है वाखान कॉरिडोर। ये जगह एक समय पर सोने की खान मानी जाती थी।

अंग्रेजों ने जब भारत (Rajnath Singh) में प्रवेश किया तो ये जगह उन्हें आकर्षित कर गयी क्योंकि उन्हें पता चला कि यहां पर सोने समेत तमाम बहुमूल्य चीजों की भरमार है और उन्हें लगा कि कैसे भी ये जगह छोड़ेंगे नहीं। फिर धीरे-धारे उन्होंने आस पास की जगहों को कब्जाना शुरू किया और इसमें अफगानिस्तान भी शामिल था। इस इलाके में एक खाइबर पास नाम का रास्ता आता था इसी खाइबर पास से बड़े-बड़े अक्रांताओं ने भारत में प्रवेश किया था और भारत में लूटपाट मचाई। जिसके बाद यहां कई अलग-अलग साम्राज्या स्थापित किए गए।

अंग्रेजों का बहुत बड़ा डर था कि भारत जैसा देश जिसे सोने की चिड़िया कहा जाता था वो कहीं उनके हाथ से निकल जाए और इस डर का कारण था सोवियत यूनियन। सोवियत यूनियन उन दिनों अफगानिस्तान के नजदीक पहुंच चुका था यानि सोवियत यूनियन हिंदकुश पहाड़ियों तक पहुंच चुका था। 1857 विद्रोह के समय अंग्रेज और डर गए कि अगर विद्रोही और सोवियत मिल गए तो अंग्रेजों को यहां से भागना पड़ेगा और इसके चलते अंग्रेजों ने अफगानिस्तान में एख कठपुतली सरकार बनाई। फिर उससे साइन करवाया कि यहां तक हमारा बॉर्डर है। इस मामले में पश्तून कबीले का ज्यादा हिस्सा अफगानिस्तान में है लेकिन काफी हिस्सा पाकिस्तान में भी है।

अफगानिस्तान पर भी था अग्रेंज़ो का कब्ज़ा

वहीं दूसरे विश्वयुद्ध के बाद अंग्रेज जब अलग-अलग देशों से बाहर निकल रहे थे और अपनी कठपुतली सरकारें बिठा रहे थे, उसी समय भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भी कुछ ऐसी ही सिचुएशन बन रही थी। क्योंकि मामला ये था कि जब भारत आजाद हो रहा था, तो उस समय अफगानिस्तान का जितना एरिया जिसे अंग्रेजों ने कब्जाया था। उसे आजाद होना चाहिए मगर आजाद करने के बजाए उसे पाकिस्तान को दे दिया गया है।

इस दौरान बलूचिस्तान पर भी कब्जा कर लिया गया, जो कभी अफगान का ही हिस्सा था यानि जब अंग्रेज गए तो पाकिस्तान ने अफगानिस्तान और साथ ही बलूचिस्तान और पश्तून वाले हिस्से पर कब्जा कर लिया और पश्तूनियों को कहा गया कि तुम जाकर कश्मीर में कब्जा कर लो। जब कब्जा हो जाएगा तो उस एरिया के बदले पश्तून वाला एरिया रिलीज कर दिया जाएगा लेकिन समय के साथ पाकिस्तान ने पश्तूनों को धोखा दिया और बलूच औऱ पश्तूनों के साथ बर्बरता की।

जिसके चलते दोनों देशों के रिश्ते कभी सामान्य नहीं हो पाए, वहीं दूसरी ओर अफगानिस्तान के लोग मानते हैं कि भारत के साथ उनका कभी कोई झगड़ा रहा नही, उल्टा भारत ने उन्हें हमेशा सम्मान दिया है। साथ ही भारत हमेशा मुश्किल वक्त में अफगानिस्तान के साथ खड़ा रहा और इसलिए अफगानिस्तान भारत को एक अच्छा दोस्त मानता है।

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तो कुलमिलाकर पाकिस्तान के अपने पड़ोसियों से रिश्ते अच्छे नहीं है जिसकी वजह से माना जा सकता है कि भारत जैसी महाशक्ति के सामने पाकिस्तान टिक नहीं पाएगा और उसे अकेले ही भारत का सामना करना होगा। उस वक्त अफगानियों की तरह पाकिस्तान भी बिखर जाएगा।

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Ashok Kumar

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