रामलला की मूर्ति बनाने के दौरान लगी थी आंख में गंभीर चोट, फिर भी नही रूके योगीराज!
Ram Mandir Pran Pratistha News - NewsWatchIndia
Ayodhya Ram Mandir News!अयोध्या राम मंदिर (ayodhya ram mandir) में मूर्तिकार अरुण योगीराज की तराशी हुई ‘रामलला’ की मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। मूर्तिकार योगीराज ने रामलला की मूर्ति को दिव्य और आलौकिक स्वरूप प्रदान करने के लिए दिन रात कड़ी मेहनत की। योगीराज की पत्नी विजेयता ने बताया कि अरुण योगीराज (arun yogiraj) ने किस प्रकार मूर्ति बनाने के लिए मेहनत की।
उन्होंने न आंख पर लगी चोट की चिंता की और न ही नींद की। कर्नाटक में मैसुरु के मूर्तिकार की फैमली खुशी से झूम रही है क्योंकि अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट (ayodhya rammandir trust) ने उनकी तराशी गई ‘रामलला’ की मूर्ति को राम मंदिर में स्थापित करने के लिए चुना है। योगीराज की पत्नी विजेयता ने बताया कि वह इस उपलब्धि से बेहद खुश हैं। उन्होंने एक किस्सा भी शेयर किया जिसमें बताया गया कि कैसे मूर्ति बनाते वक्त अरूण की आंख में चोट लग गई थी।
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योगीराज की पत्नी ने कहा, ‘मैं बहुत खुश हूं। हमें यह नेक काम करने का दायित्व सौंपा गया। जब यह कार्य (योगीराज को) दिया गया तो हमें पता चला कि इसके लिए अच्छे से अच्छा पत्थर मैसूरु के पास उपलब्ध है।’
हुआ ऑपरेशन
जिस पत्थर से श्रीराम की मूर्ति बना है, वह पत्थर बहुत सख्त था। इसे तराशते वक्त एक नुकीली परत योगीराज की आंख में चुभ गई। काफी प्रयास के बाद भी वह परत नहीं निकल सकी। योगीराज आंखों के चिकित्सक के पास गए। पत्थर के टुकड़े को ऑपरेशन के जरिए बाहर निकाला गया।
परिवार को नहीं दे पाते थे टाइम
योगीराज की पत्नी ने बताया कि दर्द के दौरान भी वह नहीं रुके और काम करते रहे। उनका काम इतना अच्छा था कि हर कोई प्रभावित हुआ। हम सभी को धन्यवाद देते हैं। उन्होंने कहा, अरूण योगीराज कई रात सोए नहीं और रामलला की मूर्ति बनाने में तल्लीन रहे। ऐसे भी दिन थे जब हम मुश्किल से बात करते थे और वह परिवार को भी मुश्किल से टाइम देते थे। अब ट्रस्ट की सूचना से सारी मेहनत की भरपाई हो गई है।’
पिता से सीखी कारीगरी
अरूण के भाई सूर्यप्रकाश ने कहा कहा, ‘yogiraj ने इतिहास रचा है और वह इसके हकदार थे। यह उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण है जो उन्हें इतनी ऊंचाइयों तक ले गया।’ suryaprakash ने कहा कि yogiraj ने मूर्तिकला की बारीकियां अपने पिता से सीखीं। वह बचपन से इसे लेकर उत्सुक थे।
5 साल के बच्चे रूप में मूर्ति
मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने 15 जनवरी यानि सोमवार को अयोध्या में ऐलान किया था कि नई मूर्ति में प्रभु राम को 5 वर्ष के बच्चे के रूप में खड़ी मुद्रा में दर्शाया गया है। उन्होंने कहा कि इसे 18 जनवरी को ‘गर्भगृह’ में ‘आसन’ पर विराजमान किया जाएगा।
कौन हैं अरुण योगीराज
रामलला की मूर्ति का चुनाव सूचना जैसे ही बहार आई पड़ोसियों और कुछ नेताओं ने योगीराज के परिजनों से भेट की और उनके बेटे की तारिफ के रूप में माता सरस्वती को माला भेंट की। योगीराज ने ही केदारनाथ में स्थापित आदि शंकराचार्य की मूर्ति और दिल्ली में india gate के पास स्थापित की गई subhash chandra bose की प्रतिमा बनाई है।
7 महीने लगे मूर्ति बनाने में
मूर्तिकार अरुण योगीराज ने रामलला की नई मूर्ति बनाने में आई चुनौतियों को साझा किया उन्होंने बताया मूर्ति एक बालक के रूप मे बनानी थी, जो दिव्य हो, क्योंकि यह प्रभु के अवतार की मूर्ति है। जो भी कोई मूर्ति को देखें उसे दिव्यता का एहसास होना चाहिए। मूर्तिकार ने आगे बताया, ‘बालत जैसे चेहरे के साथ-साथ दिव्य पहलू को ध्यान में रखते हुए मैंने करीब 6 से 7 महीने पहले अपना कार्य शुरू कर दिया था। मूर्ति के चयन से ज्यादा मेरे लिए यह महत्वपूर्ण है कि ये लोगों को पसंद आनी चाहिए । सच्ची खुशी मुझे तब होगी जब लोग इसकी सराहना करेंगे।’