मुंबई: दिल्ली में बैठे भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व ने महाराष्ट्र में अपनी सटीक रणनीति और दूरदर्शी सोच के चलते शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से बगावत करने वाले शिवसेना विधायकों के मुखिया एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनवाकर ऐसा दांव चला कि शिवसेना बुरी तरह पस्त है।
महाराष्ट्र में पिछले एक पखवाड़े में हुए राजनीतिक घटनाक्रम उद्धव गुट को हर मोर्चे पर मिली हार को लेकर शिवसेना सांसद संजय राउत बुरी तरह बौखलाए हुए हैं, इसी खीज के चलते वे कह चुके हैं कि शिंदे शिवसेना के मुख्यमंत्री नहीं हैं। हालांकि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी बागी एकनाथ शिंदे का पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। लेकिन अभी उद्धव-शिंदे गुट में रार खत्म नहीं हुई है।
इन दोनों गुटों के बीच असली लड़ाई तो अभी बाकी है। माना जा रहा है कि शिवसेना पर हक़ जमाने के लिए दो गुटों में बड़ी तकरार होना बाकी है। शिवसेना पर किस का हक़ रहेगा, ये तो आने वाली समय ही बता पायेगा, लेकिन फिलहाल शिंदे गुट का ही पलड़ा भारी है।
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उद्धव ठाकरे के खास रणनीतिक और पार्टी प्रवक्ता संजय राउत को महाराष्ट्र में हुए दस दिन तक चली राजनीतिक घमासान में हर मुकाम पर मुंह की खानी पड़ी। राउत की बागियों पर दवाब बनाने के लिए उन्हें डराने, धमकाने, उनके दफ्तरों पर तोड़फोड़ कराने ले लेकर मुंबई आकर उद्धव ठाकरे से मतभेदों का दूर करने के लिए न्यौता देने तक की कोई तरकीब काम नहीं आयी।
यहां तक कि दो बार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का बाद भी वहां से भी कोई राहत नहीं मिली और आखिर खुद ही बागियों की एकजुटता के सामने घुटने टेककर उद्धव ठाकरे को अपने आप ही अपनी सरकारी सीएम आवास और मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। अब उद्धव ठाकरे गुट के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती शिवसेना पर अपना आधिपत्य जमाये रखना है।