BJP VS Congress Political War: सैम पित्रोदा के बयान से मचा सियासी बवाल, बीजेपी दक्षिण में बना सकती है मुद्दा !
![BJP VS Congress Political War: Sam Pitroda's statement creates political uproar, BJP can create issue in South!](http://newswatchindia.com/wp-content/uploads/2024/05/MixCollage-08-May-2024-07-28-PM-412-780x470.jpg)
BJP VS Congress Political War: नेताओं के बोल को कौन जाने ! कब कौन से बोल किसी पार्टी करे लिए खलनायक ने सामान हो जाए और कब कौन से बोल और बयान किसी के लिए रामवाण बन जाए यह कौन जानता है ?राजनीति में तो हरा बात की पेंटिंग होती है। हर बात की बाल के खाल निकाले जाते हैं और उसके राजनीतिक लाभ लिए जाते हैं। राजनीतिक इतिहास को देखे तो कई बार कई बयानों को लेकर राजनीति खूब हुई। किसी पार्टी ने उसका लाभ उठाया तो किसी पार्टी की दुनिया ही उजड़ गई।
कांग्रेस के ओवरसीज अध्यक्ष सैम पित्रोदा का एक और बयान इन दिनों राजनीति को गर्म किये हुए हैं। पित्रोदा के बयान को बीजेपी अब आगे के लिए उपयोग करने में जुट गई है। जिस बीजेपी को मौजूदा चुनाव में झटके लगते दिख रहे हैं अब उसे पित्रोदा के बयान से आस मिली है। भविष्य में कुछ नया करने का मुद्दा मिल गया है। हो सकता है कि बीजेपी पित्रोदा के बयान का लाभ दक्षिण भारत में ले ले।
पीएम मोदी ने पित्रोदा के बयान की चर्चा आँध्रप्रदेश के वारंगल मे कर भी दिया है। अगर दक्षिण के राज्यों में बीजेपी ने पित्रोदा के बयान को ठीक से विश्लेषण कर दिया तो उसे आँध्रप्रदेश की 25 और तेलंगाना की 17 सीटों के चुनाव में लाभ मिल भी सकता है। पित्रोदा ने यही कहा है कि दक्षिण भारत के लोग काले होते हैं वे दक्षिण अफ़्रीकी लोगों की तरह दीखते हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर भारत के लोग चीनी की तरह दीखते हैं। हालांकि उत्तर भारत में चुनाव हो चुके हैं इसलिए पित्रोदा के बयान का लाभ बीजेपी दक्षिण भारत में उठा सकती है।
पीएम मोदी ने पित्रोदा के बयान पर हमला भी करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि जब आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाया जा रहा था तो कांग्रेस वाले उसका विरोध कर रहे थे। शायद कांग्रेस के लोगो ने मुर्मू को भी अफ़्रीकी मान लिया था।
अब कहा जा रहा है कि यह विवाद आदिवासी सौड़ाय की बहुलता वाले आँध्रप्रदेश और तेलंगाना में काफी संवेदनशील हो सकता है। काली रंग की त्वचा पर यह विवाद इन इलाकों में नया विवाद खड़ा कर सकता है।
बता दें कि आंध्रा में बीजेपी वहां की टीडीपी और जनसेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है बीजेपी को लोकसभा में छह सीटें और विधान सभा में दस सीटें मिली हुई है। इनमे से तीन सीटों पर बीजेपी की दावेदारी काफी मजबूत मानी जाती है। उधर तेलंगाना की 17 सीटों पर बीजेपी की ख़ास नजर है और वह काफी मेहनत भी कर रही है। बीजेपी को लग रहा है कि तेलंगाना में उसे आठ से दस सीटें मिल सकती है। लेकिन अब काली चमड़ी वाले बयान से बीजेपी को लग रहा है कि अगर इस मुद्दे को इन इलाकों में ठीक से फैला दिया जाए तो उसे काफी लाभ मिल सकता है।
हालांकि आंध्रा में नस्लीय विवाद कभी भी उभरे नहीं है लेकिन अब जिस तरह की बाते सामने आई है उससे लग रहा है कि बीजेपी इसका लाभ उठा सकती है। स्थानीय आदिवासी समूह में अगर इस बात को बीजेपी ठीक से प्रचारित कर जाती है और लोग इसे स्वीकार कर लेते हैं तो कांग्रेस की बड़ी परेशानी वहां हो सकती है। काली त्वचा को लेकर स्थानीय लोगों की भावनाये जागृत की जा सकती है। बीजेपी को लग रहा है कि दक्षिण भारत के लोग पित्रोदा के इस बयान को गंभीरता से ले सकते हैं।
लेकिन सच तो यही है कि पित्रोदा ने जो बयान दिया है वह सकारात्मक नजरिये से दिया गया बयान है। उन्होंने कहा था कि भारत बहुत बड़ा और विविधता वाला देश है। पूर्वोत्तर के लोग चीन के लोगो की तरह दीखते हैं और जबकि पश्चिमी इलाके में रहने वाले लोग अफगानी जैसी दीखते हैं और दक्षिण भारत के लोग काली त्वचा के कारण अफ़्रीकी लोगों जैसे दीखते हैं। इसके बाद भी पूरा भारत एक साथ खड़ा है और सामाजिक एकजुटता बानी हुई है। यही भारत की असली ताकत है। पित्रोदा का बयान सकारात्मक अर्थों में दिया गया है, लेकिन चुनावी समय में इसकी व्याख्या अलग तरह से की जा रही है।