Railway Overcharging: सुविधा वही, नाम बदला… और किराया दुगुना, क्या यही है रेलवे की स्पेशल सेवा?
भारतीय रेलवे, जो कभी आम आदमी की सवारी कही जाती थी, आज यात्रियों के लिए एक महंगा सौदा बनती जा रही है। खासकर जब बात 'स्पेशल ट्रेन' की हो, तो किराए में हो रही बेतहाशा वृद्धि आम जनता की जेब पर सीधा असर डाल रही है।
Railway Overcharging: भारतीय रेलवे, जो कभी आम आदमी की सवारी कही जाती थी, आज यात्रियों के लिए एक महंगा सौदा बनती जा रही है। खासकर जब बात ‘स्पेशल ट्रेन’ की हो, तो किराए में हो रही बेतहाशा वृद्धि आम जनता की जेब पर सीधा असर डाल रही है। हाल ही में कई यात्रियों ने शिकायत की है कि रेलवे, स्पेशल ट्रेन के नाम पर सामान्य किराए से दोगुना तक राशि वसूल रहा है, वो भी बिना किसी विशेष सुविधा के।
क्या है ‘स्पेशल ट्रेन’ का तर्क?
रेलवे प्रशासन का कहना है कि स्पेशल ट्रेनें विशेष मांग, त्योहारों, या आपातकालीन परिस्थितियों में चलाई जाती हैं। इन ट्रेनों का संचालन अतिरिक्त लागत, अलग शेड्यूल और संसाधनों की वजह से होता है, जिससे किराया सामान्य से अधिक रखा जाता है। हालांकि यात्रियों का कहना है कि जब ट्रेन और कोच वही हैं, सुविधाएं वही हैं, तो फिर केवल ‘स्पेशल’ शब्द जुड़ने से किराया दोगुना क्यों?
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बिना सूचना के अधिक किराया
कई यात्रियों ने बताया कि ऑनलाइन टिकट बुक करते समय उन्हें तब पता चलता है कि यह ट्रेन “स्पेशल” है जब किराए की राशि सामान्य से कहीं अधिक दिखती है। कई बार तो इन्हीं स्पेशल ट्रेनों का रूट, समय और कोच संरचना पूरी तरह नियमित ट्रेनों जैसी होती है। यानी ना तो विशेष सुविधा, ना ही बेहतर सेवा बस नाम बदलकर जेब ढीली।
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त्योहारों में मुसीबत
त्योहारों और छुट्टियों के मौसम में जब आम लोग अपने घरों को लौटने की तैयारी करते हैं, उस समय सामान्य ट्रेनों की जगह स्पेशल ट्रेनों को प्राथमिकता दी जाती है। इससे टिकट मिलना मुश्किल हो जाता है, और जो टिकट मिलती है, उसका किराया दो गुना या उससे अधिक होता है। इससे न केवल गरीब और मध्यमवर्गीय यात्रियों को परेशानी होती है, बल्कि रेलवे की नीतियों पर भी सवाल खड़े होते हैं।
पारदर्शिता की कमी
रेलवे की वेबसाइट या ऐप पर अक्सर यह स्पष्ट नहीं होता कि ट्रेन स्पेशल है या नहीं। यात्रियों को तब झटका लगता है जब भुगतान पृष्ठ पर जाकर किराया सामान्य से काफी ज्यादा नजर आता है। ऐसे में पारदर्शिता और सूचनाओं की स्पष्टता बेहद ज़रूरी है।
भारतीय रेलवे को चाहिए कि वह यात्रियों के हितों को ध्यान में रखते हुए किराया नीति में पारदर्शिता लाए। स्पेशल ट्रेनें यदि चलाई जा रही हैं तो उनके किराए का तर्कसंगत औचित्य सामने रखा जाए और यात्रियों को यह पहले से ही बताया जाए कि उन्हें अतिरिक्त भुगतान क्यों करना होगा। आम जनता के लिए रेलवे केवल एक यात्रा का साधन नहीं, बल्कि जीवन रेखा है, इसे केवल लाभ का जरिया नहीं बनाया जाना चाहिए।
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