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कर्नाटक में कांग्रेस की प्रचंड जीत, यूपी में ‘बाबा’ के आगे विरोधी चित्त

Politics News: कर्नाटक में बीजेपी बेदम लेकिन बीजेपी की बम-बम हुई। कर्नाटक में कांग्रेस एक बार फिर अपराजेय बनी और बीजेपी को एक बार फिर हार का स्वाद चखना पड़ा। कर्नाटक में पंजे का परचम लहराया। जनता के जनादेश में कांग्रेस की महाविजय के जश्न की गूंज साफ सुनाई दी। जीत के इस नए चैप्टर से 24 का ट्रेलर सामने आया। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड़्रा ने कहा कि ‘मैं कर्नाटक की जनता को बधाई देती हूं। उन्होंने पूरे देश में आज ये संदेश दिया है कि वो अपनी समस्याओं की राजनीति चाहते हैं। प्रियंका गांधी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक ने देश को साबित कर दिया है कि ध्यान भटकाने वाली राजनीति नहीं चलेगी।’

यूपी में योगी के नेतृत्व पर जीत की मुहर

तो, दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में हुए नगर निकाय चुनाव में बीजेपी को बंपर जीत मिली। सूबे में बीजेपी का डंका बजा। बीजेपी ने प्रदेश की लगभग सभी अहम सीटों पर जीत हासिल की। मेयर पद के लिये हुए चुनाव में बीजेपी की अप्रत्याशित सफलता ये जता और बता रही है कि योगी आदित्यनाथ का असरदार प्रचार रंग लाया। जिसके बूते बीजेपी को शहर-शहर तीसरी सरकार मयस्सर हुई। निकाय चुनाव में योगी मॉडल का दबदबा दिखा। सीएम योगी की ताबड़तोड़ रैलियों ने कमाल किया और ये पहली बार हुआ कि बीजेपी सूबे की सभी नगर निगमों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती नजर आई। और तो और नगर पालिका, नगर-पंचायत में भी बीजेपी ने अपना सिक्का जमाया।

वहीं जीत से गदगद सीएम योगी ने जीत का श्रेय बीजेपी कार्यकर्ताओं के अलावा पीएम मोदी को दिया। उन्होंने कहा कि ‘’बीजेपी के कार्यकर्ताओं की मेहनत और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश नगर निकाय के चुनाव में बीजेपी ने अब तक की सबसे बड़ी विजय प्राप्त की है”। उन्होंने आंकड़े भी बताये। कहा कि 2017 में बीजेपी ने 60 नगर पालिकाओं में विजय प्राप्त की थी लेकिन इस साल हमने शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में दोगुनी से अधिक सीटें जीती हैं।‘’

वैसे इतना तो तय है कि बाबा बुलडोजर के आगे सारे मुद्दे धरे के धरे रह गए। राजनीतिक जानकारों की मानें तो असल में ये चुनाव योगी आदित्यनाथ के लिए ‘मोदी के साये’ से निकलने का असली टेस्ट था। जिसका पूरा श्रेय सिर्फ और सिर्फ योगी आदित्यनाथ के हिस्से ही जाने की उम्मीद है। हालांकि इस जीत के मायने आगामी लोकसभा चुनाव को भी इंगित करते हैं। साथ ही ये नतीजे बयां कर रहे हैं कि यूपी के समर में ये अखिलेश के अरमानों के लिए भी ये एक झटका है। जो आरएलडी के साथ जुड़कर बीजेपी को तोड़ने का सपना देख रहे थे। जो एक दूसरे के सहारे अपना वजूद बचाने की जद्दोजहद में थे। लेकिन अफसोस कि वो सफल नहीं हो पाए।

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चुनाव नतीजों के और भी कई राजनीतिक मायने

अब कर्नाटक राज्य के साथ पंजाब और यूपी के जनादेश से पॉलिटिकल संदेश की चर्चा करें तो सवाल राजनीतिक गलियारों में उठे कि कर्नाटक में कांग्रेस कैसे अपराजेय हो गई? सवाल ये कि कर्नाटक में BJP की हार का जिम्मेदार कौन? तो, माना जा रहा है कि कर्नाटक में हिंदुत्व के मुद्दे के ऊपर जातिगत आरक्षण हावी हुआ। इसके अलावा बीजेपी की आंतरिक कलह और भ्रष्टाचार के आरोपों का मुद्दा भी बीजेपी को नुकसान पहुंचा गया। यही नहीं ध्रुवीकरण की कोशिशें भी नाकाम साबित हुईं।’ सवाल ये भी कि कांग्रेस की जीत का थर्ड फ्रंट पर असर क्या पड़ेगा? और यूपी निकाय में क्या सपा की बेवफाई की वजह से हार की मुंह दिखाई हुई? दरअसल, कर्नाटक का जनादेश बीजेपी के लिए तो बड़ा संदेश और संकेत लेकर आया ही है। अब देखना होगा कि 2024 की राह में दक्षिण के द्वार की ये पराजय बीजेपी को कितना मथने वाली है और यूपी विपक्ष को 2024 के लिए संजीवनी किससे और कैसे मिलने वाली है?

Prachi Chaudhary

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