मुंबई: महाराष्ट्र की सियासत में पिछले कई दिन के चल रही उठापटक के बीच शिंदे गुट की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र के डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल, विधायक दल नेता अजय चौधरी, चीफ व्हिप सुनील प्रभु, महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया जाने के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत के तेवर ढीले पड़ गये हैं। बागी विधायकों को धमकी देने वाले शब्दों का प्रयोग करने वाले शिवसेना प्रवक्ता के बयान एकदम से बदल गये हैं। अब वे बताने लगे हैं कि गुवाहाटी में रुके सारे विधायक बागी नहीं हैं, ऐसा कहकर वे डैमेज कंट्रोल करने में लगे हुए हैं, लेकिन अब कमान तीर से निकल चुका है।
वहीं महाराष्ट्र की सियासत में सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद एकनाथ शिंदे गुट का पलड़ा भारी है। यह देखकर भाजपा नेताओं ने भी राज्य में अपनी सक्रियता बढा दी है और भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व को महाराष्ट्र में शिवसेना के बागी विधायकों के साथ अपनी सरकार बनाने की संभावनाएं नजर आ रहीं हैं। भाजपा आला कमान ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणनीस और महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख चंद्रकांत पाटिल को इस दिशा में काम करने के निर्देश भी दे दिया है।
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उधर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भी उद्धव सरकार की मुश्किलें बढा दी हैं। राज्यपाल ने एक पत्र जारी करके मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनकी सरकार द्वारा 22 जून से 24 जून के बीच लिये गये फैसलों और पारित किय गये प्रस्तावों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है। माना जा रहा कि जल्द ही भाजपा उद्धव सरकार के अल्पमत में होने का दावा करके फ्लोर टेस्ट की मांग कर सकती है और उद्धव सरकार गिरने पर शिंदे गुट के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है। इसके लिए पूरी तैयारी कर ली गयी है।
सूत्रों का यह भी दावा है कि भाजपा की सरकार बनने की स्थिति में शिंदे गुट के आठ विधायकों का मंत्री बनाया जा सकता है, जिनमें तीन को कैबिनेट मंत्री बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत भी जानते हैं कि अब उनकी सरकार अल्पमत में है और कुछ ही दिन भी गिर सकती है। इसके बावजूद वे बागी विधायकों को बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना का वास्ता देकर सरकार बचे रहने का दिवा-स्वप्न देख रहे हैं।