Election 2023 : देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव (Elections) से पहले रेवड़ियां बांटने को लेकर मध्यप्रदेश, राजस्थान, केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। बता दें कि इस मामले को लेकर एक जनहित याचिका सुप्रीम अदालत में डाली गई थी जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सम्बंधित राज्यों से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये राज्य और सरकार चार हफ्तों के भीतर अपना जवाब अदालत में पेश करें।
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बता दें कि विधान सभा चुनाव (Assembly Elections)से पहले राज्यों में जनता को अपनी तरफ खींचने के लिए राज्य सरकार से विपक्ष भी कई तरह की मुफ्त योजनाएं चला रही है। इसको लेकर अदालत में एक जनहित याचिका डाली गई थी। याचिका में कहा गया है कि इस तरह की चुनाव लाभ वाली योजनाएं से लोगों पर भी बोझ बढ़ता जा रहा है। इस याचिका में कहा गया है कि चुनाव से पहले इस तरह की मुफ्त योजनाएं सभी पार्टियां और सरकार चला रही है और इसे रोक दिया जाना चाहिए।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका भट्टूलाल जैन द्वारा दायर किया गया है। आज सुनवाई के दौरान जैन के वकील ने अदालत को बताया कि चुनाव से पहले चुनावी राज्यों में नकदी बाँटने का खेल चलता है जो लोकतंत्र के लिए बेहद क्रूर और शर्मनाक है। ऐसा भी नहीं है कि यह सब पहली बार हो रहा है। उस वक्त यही सब दिखता है और इस खेल में सभी दल एक साथ लगे हुए रहते हैं। सच तो यह है कि राजनीतिक पार्टियां अपने लाभ के लिए यह सब करते हैं और बोझ जनता पर ही पड़ता है। ऐसे में इस तरह के खेल पर रोक लगाने की जरूरत है। अगर इस पर रोक नहीं लगाया जाता तो देश की ख़राब होगा और देश के भीतर एक अलग परम्परा शुरू हो सकती है।
बता दें कि मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पार्डीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह सब ठीक नहीं है। इसके बाद पीठ ने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और मध्यप्रदेश, राजस्थान और आरबीआई को भी नोटिस जारी करते हुए कहा कि चुनाव से पूर्व जो कुछ भी हो रहा है उस पर संज्ञान लिया जाए और सम्बंधित पार्टी चार हफ़्तों में इस पर जवाब जमा करें।
गौरतलब है कि हमारे देश में कोई भी सरकार विकास की बात तो करती है लेकिन चुनाव (Elections)आते ही विकास के नाम पर नहीं मुफ्त सेवा प्रदान करने वाली योजनाओं पर जनता वोट करने लगती है। यह कल्चर काफी समय से चला आ रहा है। पहले कुछ पार्टियां ही यह सब करती थी लेकिन अब सरकार से लेकर विपक्षी पार्टियां भी यही सब कर रही है।
दक्षिण भारत में इस तरह की योजनाए काफी पहले से चली आ रही है। वहां तो पैसे के साथ ही मंगलसूत्र से लेकर कई और तरफ की गिफ्ट देने की परिपाटी रही है। और इसका लाभ पार्टियां उठाती भी रही है। लेकिन अब यह सब उत्तर भारत के राज्यों में भी देखने को मिल रहा है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इसमें सरकार भी शामिल है और विपक्षी पार्टियां भी। जनता को भी इस कल्चर के प्रति हर समय एक मोह उत्पन्न होता जा रहा है और जनता अपनी बुनियादी मांगों से इतर कुछ पा जाने की लालच में वह सब करती नजर आ रही है जो वह पहले नहीं करती थी।