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त्रिपुरा में नया खेल : बीजेपी की सहयोगी टिपरा मोथा पार्टी ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, आंदोलन की दी चेतावनी!

Tipra Motha Party : राजनीति कैसे रंग बदलती है इसकी बानगी त्रिपुरा में देखने को मिल रही है। बीजेपी की सहयोगी रही टिपरा मोथा पार्टी (Tipra Motha Party) ने अब बीजेपी की त्रिपुरा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान किया है। टीएमपी (Tipra Motha Party) के प्रमुख प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देब बर्मा ने मुख्यमंत्री माणिक साहा पर आदिवासी विरोधी होने का आरोप लगाया है और कहा है कि इस सरकार ने जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद का गठन भी नहीं किया है। ऐसे में यह सरकार आदिवासियों की उपेक्षा कर रही है। अब हम इसके खिलाफ लड़ेंगे और राज्यवार आंदोलन भी चलाएंगे। प्रद्योत देब बर्मा कल ही सीएम साहा से मिले थे। बर्मा अब दिल्ली पहुंच गए हैं।

Tipra Motha Party

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बता दें कि इस साल त्रिपुरा में हुए चुनाव में बीजेपी की सरकार तो बन गई विपक्षी बड़ी पार्टी के रूप में टिपरा मोथा पार्टी (Tipra Motha Party) का उदय हुआ। इस पार्टी का संचालन वहां के राज घराने से आने वाले प्रद्योत बर्मा करते हैं। उनकी आदिवासी समाज में बड़ी पैठ है। हालांकि चुनाव में कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने बीजेपी को उखाड़ फेंकने की तैयारी की थी लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका। वाम दल और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़े थे लेकिन सभी को पिछड़ते हुए प्रद्योत की पार्टी ने मुख्य विपक्षी की भूमिका में आकर कड़ी हो गई। यह भी बता दें कि टीएमपी 2021 में राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण टीटीएएडीसी पर कब्ज़ा करने के बाद से ग्रेटर टिपरालैण्ड राज्य या संविधान के अनुच्छेद 2 और 3 तहत एक अलग राज्य का दर्जा देकर स्वायत्त निकाय क्षेत्रों को बढ़ाने की मांग कर रही है।

बता दें कि गुरुवार को प्रद्योत बर्मा ने सीएम साहा से मुलाकात की थी। प्रद्योत ने कहा था कि टीटीएएडीसी को पर्याप्त फंडिंग के बारे में मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से चर्चा की है। स्वायत्त निकाय को राज्य सरकार से उचित धन नहीं मिल रहा है। और अब इसके लिए और इन्तजार नहीं किया जा सकता। जिस नीति से आदिवासियों का भला नहीं हो सकता उसका विरोध किया जाएगा। और अब यह सब करना होगा।

प्रद्योत देवबर्मा ने कहा है कि उनकी पार्टी स्वायत्त निकाय से वंचित करने के खिलाफ और ग्रेटर टिपरालैंड की मांग के समर्थन में 14 अक्टूबर को एक विशाल रैली का आयोजन करेगी। सरकार आदिवासियों की विरोधी है और अब इसके खिलाफ आंदोलन ही सही रास्ता है।

बता कि प्रद्योत पहले कांग्रेस में थे। इस बार चुनाव से पहले उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और अपनी पार्टी को आगे बढ़ाया। उसने सफलता भी मिली। अब कांग्रेस के लोग प्रद्योत को बार-बार फिर से कांग्रेस में वापस लौटने की बात तो कर रहे हैं लेकिन प्रद्योत बर्मा ने साफ़ किया है कि उनका मकसद अभी आदिवासियों को हल दिलाना है। जब तक आदिवासियों को संवैधानिक अधिकार नहीं मिल जाते तब तक उनका ध्यान कही और नहीं जा सकता। बता दें कि प्रद्योत बर्मा के पिता और माता त्रिपुरा से ही कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं। प्रद्योत पार्टी छोड़ने से पहले त्रिपुरा कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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