Shaktiman horse death case: शक्तिमान घोड़ा मौत मामला: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सजा की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
Shaktiman horse death case: शक्तिमान घोड़े की मौत का मामला अभी भी जारी है। याचिकाकर्ता ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने सभी दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
Shaktiman horse death case: नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शक्तिमान घोड़े की मौत के मामले में आरोपी कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी की सजा की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ में हुई, जिसमें सभी पक्षकारों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने निर्णय को सुरक्षित कर लिया।
मामला क्या है?
यह मामला वर्ष 2016 का है, जब उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में विधानसभा घेराव के दौरान एक प्रदर्शन हुआ था। इस दौरान कथित तौर पर बीजेपी नेता और वर्तमान में उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी पर आरोप लगा कि उन्होंने पुलिस की लाठी से शक्तिमान नामक घोड़े की टांग पर हमला किया था। इस घटना में घोड़े की टांग टूट गई थी और बाद में इलाज के दौरान शक्तिमान की मौत हो गई थी। यह घटना उस समय राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आई थी और पशु अधिकार संगठनों ने भी इस पर कड़ा विरोध जताया था।
कानूनी कार्यवाही का क्रम
घटना के बाद 23 अप्रैल 2016 को पुलिस ने गणेश जोशी के खिलाफ नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा दर्ज किया था। इसके बाद 16 मई 2016 को चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई। हालांकि, जब राज्य में सरकार बदली, तो नई सरकार ने सीजेएम कोर्ट से इस केस को वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल कर दिया।
निचली अदालत ने 23 सितंबर 2021 को कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी को इस मामले में दोषमुक्त कर दिया था। अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता होशियार सिंह बिष्ट न तो शिकायतकर्ता हैं और न ही गवाह, इसलिए उनकी याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। इसके बाद अपीलीय कोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा।
हाईकोर्ट में चुनौती
निचली अदालत के इस फैसले को याचिकाकर्ता होशियार सिंह बिष्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने हाईकोर्ट से गुहार लगाई है कि निचली अदालत के निर्णय को निरस्त किया जाए और आरोपी गणेश जोशी समेत अन्य दोषियों को सजा दिलाई जाए। याचिका में यह तर्क दिया गया है कि शक्तिमान की मौत के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को बरी कर देना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।
हाईकोर्ट की सुनवाई और अगला कदम
हाईकोर्ट ने मामले की विस्तृत सुनवाई के बाद दोनों पक्षों की दलीलें सुन ली हैं। न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब सभी की निगाहें हाईकोर्ट के आने वाले फैसले पर टिकी हैं, जो इस बहुचर्चित मामले में अंतिम रूप से न्याय की दिशा तय करेगा।