Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता पर चल रही बहस के बीच बीजेपी की कभी सहयोगी रही अकाली दल ने इसका विरोध किया है। कह सकते हैं कि शिरोमणि अकाली दल ने बीजेपी सरकार की इस मेहनती योजना पर पानी फेर दिया है।
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शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने साफ़ तौर पर कहा है कि यह समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) न सिर्फ संविधान की भावना के खिलाफ है बल्कि इससे अल्पसंख्यकों में भय पैदा होगा। उन्होंने कहा कि भारत में कई जाति और धर्म के लोग आपसी सहयोग से रहते हैं और सबकी अपनी मान्यताएं भी है। सबके अपने रीति रिवाज है ऐसे में यूसीसी (UCC) को लागू करना गलत होगा। इससे देश में कई तरह की समस्या सामने आ सकती है।
अकाली दल ने कहा है कि 22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का प्रस्ताव दिया था जो देश हित में कतई नहीं है। बादल ने आयोग के सदस्य सचिव को इस बारे में एक पत्र भी लिखा है जिसमें कई बातों की चर्चा की गई है। बदला ने पत्र में लिखा है कि एकरूपता को एकता के साथ भ्रमित नहीं किया जा सकता। भारत विविधता में एकता का प्रतीक वाला देश है। लेकिन यह एकरूपता में नहीं है। केवल एक सच्चा संघीय ढांचा ही हमारी समस्या का समाधान कर सकता है और इससे ही भारत एक महाशक्ति बन सकता है। भारत की यही पहचान भी है। आज दुनिया के देश भारत को इसी निगाह से देखते रहे हैं।
बता दें कि यूसीसी बीजेपी और केंद्र सरकार की अहम योजना है। केंद्र सरकार चाहती है कि इस नियम को लागू करके अपने सभी एजेंडे को पूरा कर लें। बीजेपी की स्थापना के साथ ही उसके तीन प्रमुख एजेंडे रहे। पहला एजेंडा था अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। दूसरा एजेंडा था जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाना। बीजेपी का यह एजेंडा भी अब पूरा हो चुका है। यह बात और है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है और अदालत आगामी 2 अगस्त से लगातार इस मामले पर सुनवाई करेगा। तीसरा एजेंडा यूसीसी लागू करना है। इस कानून का अधिकतर पार्टियां विरोध कर रही है या जो पार्टियां विरोध नहीं भी कर रही है वह कह रही है कि इस मुद्दे पर बहस की जाए। सभी दलों की राय ली जाए।
अकाली दल के अध्यक्ष बादल ने कहा है कि सरकार इस विचार को सबके सामने रखें। उन्होंने सरकार से अपील भी की है कि इस मामले में सिख समुदाय की भावना का भी ख्याल रख जाये। उन्होंने कहा कि यह संवेदनशील मामला है और सीमावर्ती इलाकों में अगर कुछ हो गया तो खेल ख़राब हो सकता है। ऐसे में सबकी भावना का ख्याल रखना जरुरी है। इसलिए इस मामले में सबसे बात करने की जरूरत है।
अपने पत्र में बादल ने लिखा है कि अगर यूसीसी (Uniform Civil Code) लागू होता है तो निश्चित रूप से विभिन्न जाति, पंथ और विभिन्न धर्मों के अल्पसंख्यक समुदायों की स्वतंत्रता प्रभावित होगी। चूंकि प्रस्तावित यूसीसी का मसौदा तैयार नहीं किया गया है और विभिन्न धर्मों में वर्तमान व्यक्तिगत कानूनों में प्रस्तावित संशोधनों के सम्बन्ध में विधि आयोग द्वारा जारी नोटिस के साथ प्रसारित नहीं किया गया है इसलिए इस मुद्दे पर कोई ठोस सुझाव देना असंभव है।
बादल ने कहा कि इस मसले पर एक मजबूत मसौदा तैयार करने की जरूरत है और फिर देश के लोगों के पास इसे रखने की जरूरत भी है ताकि वे भी प्रतिक्रिया दें सकें। यह कानून जनजातियों को भी प्रभावित करेगा जो कही से भी उचित नहीं है।