क्या बीजेपी को मिलेगा शिवराज के गेम चेंजर लाडली बहना योजना का चुनावी लाभ ?
MP News: आज ही मध्य प्रदेश की सवा करोड़ महिलाओं के खाते में एक एक हजार रुपये की क़िस्त आएगी। सूबे की महिलाएं पिछले सप्ताह भर से इसका इन्तजार कर रही है। सरकार ने कहा था कि शनिवार की शाम तक सूबे की सभी सवा करोड़ महिलाओं के खाते में एक -एक हजार रुपये आएंगे और शाम को आप लोग ख़ुशी मनाये। सूबे की महिलाएं खुश हैं और आनंदित भी। महिलाओं में आज कुछ ज्यादा ही हलचल है। हर जगह इस पर चर्चा हो रही है।
मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार लम्बे समय से स्थिर है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को बड़ा झटका दिया था। कांग्रेस ने बीजेपी को हराकर सत्ता पर काबिज भी किया। लेकिन 15 महीने के भीतर बीजेपी ने कमलनाथ की सरकार को गिरा दिया। कांग्रेस के बड़े नेता सिंधिया को पहले अपने पाले में किया और फिर सिंधिया समर्थक विधायक कांग्रेस से अलग होकर बीजेपी के साथ आ गए। कमलनाथ की सरकार अल्पमत में आ गई अहुर कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा। यह सब 15 महीने के भीतर हो गया। शिवराज सिंह फिर सीएम बने। उन्हें सीएम बने रहने की आदत सी हो गई है। बीजेपी और संघ का उन्हें अभी तक आशीर्वाद मिलता रहा है। लेकिन इस बार के चुनाव में अब जनता उनसे ऊब सी गई। अब उनके चेहरे में वह दमखम नहीं रहा। न ही उनकी वाणी में अब कोई जोश है और न ही कोई नई सोंच। पत्रकारों से लेकर कई और तरह के प्रचारतंत्र के जरिए शिवराज सिंह अभी तक बीजेपी को वहाँ आगे बढ़ाते रहे हैं।
लेकिन इस बार के चुनाव में बीजेपी की हालत पतली है। बीजेपी आला कमान के साथ ही संघ को भी लगने लगा है कि इस बार शिवराज नहीं चल पाएंगे। शिवराज को भी लगने लगा है कि अबकी बार अगर वे चूक गए तो राजनीति से ही सन्यास लेना होगा। अगर चुनाव जीत गए तो एक मौका और भी मिल सकता है। मंथन हुआ। और उन्होंने एक योजना की शुरुआत की। नाम दिया लाड़ली बहना योजना। इस योजना के जरिये हर परिवार की एक महिला को हर महीने एक हजार रुपये देने की बात है। घोषणा के मुताबिक आज शाम को योजना की पहली क़िस्त आनी है। प्रदेश में हलचल है। महिलों के चेहरे पर लाली छाई हुई है।
शिवराज सिंह ने कहा कि जब उनके खाते में एक हजार रुपये आये तो ख़ुशी से एक दीया अपने घर पर जलाएं। बयान में कहा गया है कि लाभार्थी अगलेदिन से बैंक खतों से पैसा निकाल सकते हैं। इस होने से मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार राज्य की ढाई करोड़ महिला मतदाताओं में से आधी तक पहुँच बनाने में सक्षम होगी। एक अनुमान के मुताबिक मध्यप्रदेश में 230 विधान सभा क्षेत्रों में से कम से कम 18 क्षेत्रों में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक है। इन क्षेत्रों में आदिवासी बहुल बालघाट ,मंडला ,डिंडोरी ,अलीराजपुर और झाबुआ जिले शामिल हैं।
भोपाल में पांच मार्च को अपने 65 वे जन्म दिन पर इस योजना का शुभारम्भ करने के बाद पिछले दो महीने से लगातार महिलाओं को सम्बोधित रकरते रहे हैं। उन्हें पता चल गया था कि अब उनकी कहानी कमजोर होने लगी है। अब लोग उनसे ऊबने लगे हैं और उनकी आवाज से चिढ भी होने लगी है। शिवराज सूबे की महिलाओं को बहन कहते हैं और पूरा सूबा उन्हें मामा कहके पुकारता है। मामा को लगा कि इस बार बहनो को नकदी नहीं दी गई तो खेल खराब होगा। उन्होंने लाड़ली बहना योजना में नकदी का खेल किया।
इस खेल को बीजेपी बड़ा गेम चेंजर मान रही है। संभव हो कि इसका लाभ बीजेपी को मिले भी। सभी पार्टियां यही काम कर रही है। बीजेपी की शिवराज सरकार तो सालों से यही सब करती रही है। आज तक किसी भी बीजेपी सरकार ने कोई मौलिक काम नहीं किया जो भविष्य के लिए की गई हो। काम वही होते हैं जिससे तत्काल लाभ मिल जाए। राजनीति का लक्ष्य चुनाव जीतना होता है और सरकार का लक्ष्य जनता का विकास और कल्याण करना होता है। लेकिन जनता जब आज भी चावल ,दाल और नकदी पैसे की ले मारामारी कर रही हो तो देश की अंदरि हालत क्या है इसका बखान कोई भी कर सकता है। शिवराज की यह योजना कितना कारगर होती है इस पर भी सबकी निगाहें हैं। अगर चुनाव में बीजेपी को लाभ मिल गया तो इस योजना को गेम चेंजर कहा जा सकता है और ऐसा नहीं हुआ तो शिवराज की राजनीति भी रसातल में जा सकती है। क्योंकि इस चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में बीजेपी उन्हें बर्दास्त नहीं कर पायेगी।