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पुरातत्व के कुछ ऐसे साक्ष्य जो रामायण के होने का प्रमाण देते है…

रामायण काल की घटनाओं को भारत में ही कुछ लोग एक काल्पनिक घटना मानते है. वहीं विदेशी इतिहासकार रामायण में रुचि लेते नजर आते हैं. लेकिन आज हम आपको दिखाएगें इन सभी बहस से अलग कुछ ऐसे तथ्य जिन्हें देखकर आप भी सोच में पड़ जाएगें.

कुछ ऐसे पुरातत्व सबूत जो राम और रावण की कहानियों को सच साबित करती हैं…

1.सुग्रीव की गुफा

प्राचीन कहानियों के अनुसार वाली को मातंग ऋषि में ने यह श्राप दिया था कि अगर वह ऋष्यमूक पर्वत पर गया तो उसकी मृत्यु हो जाएगी, यह बात स्वयं सुग्रीव को भी पता थी  इसी कारण बाली से युद्ध के पश्चात डर के कारण सुग्रीव जिस गुफा में ठहरे थे वह गुफा आज भी ऋष्यमूक पर्वत मौजूद है. वैज्ञानिकों ने कार्बन डेटिंगके आधार पर इस गुफा को रामायण कालीन बताते है. लोगों का कहाना है की इस गुफा की पूर्ण रूप से जांच कराई जाए और सरकारी रूप यह घोषणा की जाए की यही सुग्रीव की गुफा है.

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2. राम सेतु

जिस पुल की सहायता से भगवान राम समुद्र पार कर लंका तक गये थे वो पुल आज भी मौजुद है. जो भारत से श्रीलंका तक है. नासा ने इसके बारे में भारत सरकार कई सबूत दिए है. जिससे यह पता चलता है कि यह सेतु मानव निर्मित है. वैज्ञानिक तत्व के आधार पर इसे रामायण जितना ही प्राचीन माना गया है.

3.रावण के चार हवाई अड्डे

श्रीलंका की रामायण अनुसंधान कमेटी के एक जांच के अनुसार रावण के चार हवाई अड्डे थे. यह कमेटी लगभग नौ साल से पूरे श्रीलंका का कोना-कोना छान रही है जिसके कारण कई चौकानें वाली जानकारियां प्राप्त हुई है, इस कमेटी के अध्यक्ष अशोक कैंथ के मुताबिक रामायण में जो श्री-लंका कही गई है वह आज की वर्तमान श्रीलंका ही है.  इन्होने रावण के 4 हवाई अड्डे खोजे हैं जिनके नाम है : “उसानगोडा”, “गुरुलोपोथा”, “तोतूपोलाकंदा” तथा “वरियापोला”.

4. अशोक वाटिका

श्रीलंका की रामायण अनुसंधान कमेटी ने श्रीलंका में स्थित अशोक वाटिका को भी ढूंढ निकाला है, जिधर माता सीता का हरण करने के पश्चात् उन्हें बंधक बनाकर रखा गया था…संस्था के मुताबिक एलिया पर्वतीय क्षेत्र की गुफा में माता सीता को रखा गया था जिसमे सीता माता के नाम से एक मंदिर भी है.

5. रावण का महल

श्रीलंका की रामायण अनुसंधान के मुताबिक उन्होंने लंकापति रावण का महल भी ढूंढ निकाला है जिसके अवशेष आज भी मौजूद है. संस्था के अनुसार यह वही महल है जिससे महा-पराक्रमी भगवान हनुमान ने जलाया था और जब संस्था ने इस शहर के प्राचीन होने की जाँच की तो उन्हें यह जानकर बहुत आश्चर्य हुआ कि यह जगह वास्तव में उनकी सोच से कही पुराना है.

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