नई दिल्ली: दो दशक पहले तक खुशहाल देशों में शुमार श्रीलंका आज भारी आर्थिक संकट और बदहाली से जूझ रहा है। श्रीलंका की जनता का विद्रोह यूं ही नहीं हो रहा है। आम जनता का कहना है कि कुछ सालों के दौरान श्रीलंका सरकार की गलत आर्थिक नीतियों और राजपक्षे परिवार के भ्रष्टाचार में लिप्तता के कारण ही श्रीलंका कंगाल हुआ है।
राजपक्षे परिवार के खिलाफ श्रीलंका की जनता वहां की राजधानी कोलंबो की सड़कों पर है। लाखों प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा जमाया, प्रधानमंत्री के आवास में आग तक लगा दी है। जनता में सरकार के प्रति भारी आक्रोश को देखकर राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे को राष्ट्रपति भवन छोड़कर भागना पड़ा और सुरक्षा में तैनात हजारों सैन्य और पुलिस जवान भी वहां से भाग निकले।
ये भी पढ़ें- कांग्रेस को गोवा में बड़ा झटका, नेता प्रतिपक्ष मायरल लोबो को पद से हटाया, 8 कांग्रेस विधायक होंगे भाजपाई!
राष्ट्रपति गोतबाया के अपना घर छोड़कर भागने से जनता का गुस्सा थोड़ा कम हुआ है। उन्होने वहां स्विंग पूल में स्नान किया, जिम में एक्सरसाईज की, राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठे, वहां की रसोई में खाना खाया और जमकर मस्ती की। वे राजपक्षे सरकार को उखाड़ फेंकने के संकल्प के साथ राष्ट्रपति भवन आए थे, लेकिन राष्ट्रपति खुद ही अपनी गद्दी छोड़कर भाग गये। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि देश की वतर्मान विषम स्थितियों के लिए श्रीलंका सरकार की अदूरदर्शिता, गलत नीतियां और भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराया।
वर्ष 2019 में राष्ट्रपति गोतबाया ने जनता को लुभाने के लिए टैक्स कम करने शुरू कर दिये थे, जिससे सरकार को प्राप्त होने वाला राजस्व 2020 में घटकर 656 करोड डॉलर रह गया, जबकि यह 2017 में 1095 करोड डॉलर था। श्रीलंका में कमाई का अहम जरिया पर्यटन कई वजहों से खत्म हो गया। 2019 में ही तौहीद जमात नामक मुस्लिम संगठन ने ईस्टर पर चर्च में तीन बम विस्फोट करवाए, जिनमें 260 निर्दोष नागरिक तो मारे ही गए, इससे दुनियाभर से आने वाले करीब 25 प्रतिशत पर्यटकों ने यहां आना बंद कर दिया। 2018 में यहां 23 लाख पर्यटक आए थे लेकि 2021 में विदेशी पर्यटकों की संख्या मात्र 1.94 लाख थी।
श्रीलंका राजनीति पर नजर डाली जाए तो राजपक्षे कुनबे का ही सभी प्रमुख पदों पर कब्जा है। महिंद्रा राजपक्षे प्रधानमंत्री बने तो उन्होने अपने भाई गोतबाया को राष्ट्रपति, बासिल राजपक्षे वित्त मंत्री, चामल राजपक्षे, सिंचाई व कृषि मंत्री और बेटे नामल राजपक्षे को खेल मंत्री बना दिया गया। इस तरह देश का 70 परसेंट बजट इन पांचों के नियंत्रण में आ गया। राजपक्षे परिवार ने मनमर्जी करते हुए कई विनाशकारी फैसले लिये और करीब 45 हजार करोड़ रुपए विदेश भेजे। यही रकम 2021 में देश से निर्यात हुए उत्पादों के मूल्य की एक तिहाई के बराबर है। राजपक्षे राजनीतिक परिवार की भ्रष्ट नीति के कारण ही महंगाई दिनों दिन आसमान छूती गईऔर श्रीलंका की जनता आर्थिक तंगी झेलने को मजबूर हुई।
पिछले कुछ महीनों में 80 फीसदी से ज्यादा मंहगाई बढ़ी। मई में जो मंहगाई 39.1 फीसदी थी, वह जून में बढ़कर 54.6 फीसदी हो गई है। खाद्य मंहगाई मई में जो 57.4 फीसदी थी, वो जून में बढ़कर 80.1 फीसदी हो गई है…श्रीलंका में मंहगाई की रफ्तार समूचे एशिया में सबसे अधिक है। ऐसे हालात में आम जनता दाने- दाने को मोहताज हो गयी और इस समय जो भयावह तस्वीरें श्रीलंका की दुनिया के सामने आ रही है, इसके लिए श्रीलंका की जनता नही, बल्कि राजपक्षे परिवार ही जिम्मेदार है।