Wrestler Protest: सत्ता की हनक कितनी मारक होती है इसका ताजा उदाहरण पहलवानों के खिलाफ दर्ज याचिका से हो रही है। देश की महिला पहलवानों ने बीजेपी सांसद और कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) पर यौन शोषण का मुकदमा किया और उन्हें सजा मिले इसके लिए महीने भर से जंतर मंतर (Jantar Mantar) पर धरना दे रही हैं। अभी तक सिंह पर न तो कोई करवाई हुई है और न ही उनकी गिरफ्तारी। लेकिन अब एक नया बखेड़ा खड़ा होता दिख रहा है।
धरना पर बैठे पहलवानों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने के लिए दिल्ली (Delhi) के पटियाला कोर्ट (Patiala Court) में एक याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर आज दोपहर सुनवाई होनी है। कहा जा रहा है कि जिस तरह से पहलवानों ने बीजेपी सांसद की इज्जत को उछाला है उसी तरह से पहलवानों के खिलाफ भी करवाई की जानी चाहिए। याचिका कर्ता का कहना है कि सासंद पर लगे सभी आरोप झूठे है। झूठे आरोप भी अपराध ही होते हैं ऐसे में पहलवानों पर भी केस दर्ज होना चाहिए। पहलवानों के खिलाफ लगाई गई याचिका में विनेश फोगट (Vinesh Phogat), बजरंग पूनिया (Bajrang Punia) और साक्षी मलिक (Sakshi Malik) के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं। याचिका में कहा गया है कि इन पहलवानों ने बीजेपी सांसद और पीएम मोदी (PM Modi) के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया है ऐसे में इन पर कार्रवाई होनी चाहिए। याचिका में कहा गया है कि सांसद पर लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं और सारे आरोप व्यक्तिगत लाभ के लिए लगाए गए हैं। यह याचिका बम बम महाराज की तरफ से लगाईं गई है। उनके वकील एपी सिंह ने कोर्ट में याचिका दायर की है।
कोर्ट आज इस याचिका पर सुनवाई करेगा, सुनवाई में क्या होता है इसे तो देखना बाकी है लेकिन जिस तरह का खेल देश के भीतर चल रहा है वह अद्भुत है। बीजेपी का कोई भी नेता और मंत्री इस मामले में बोलने को तैयार नहीं है। यहाँ तक कि प्रधानमंत्री मोदी विदेश में जाकर भारत का डंका पीटते नजर आये लेकिन जंतर मंतर पर बैठे पहलवानो को लेकर उन्होंने आज तक कोई बात नहीं कही है। इधर देश के भीतर अब नए संसद भवन के उद्घाटन की कहानी चल रही है। बीजेपी और सरकार के लोग कह रहे हैं कि प्रधान मंत्री ही संसद भवन का उद्घाटन करेंगे जबकि विपक्ष का कहना था कि संसदीय परंपरा के मुताबिक राष्ट्रपति को उद्घाटन करना चाहिए। सरकार नहीं मानी और अंत में कल 19 दलों ने साझा बयान जारी कर उद्घाटन समारोह का बहिष्कार कर दिया।
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ऐसा देखा जा रहा है कि सरकार और सरकार से जुड़े लोग वही काम जनता से करवाने को तैयार रहते हैं जो उन्हें अच्छा लगता है। दिल्ली सरकार को कोई ताकत नहीं मिले उसका भी इंतजाम सरकार अध्यादेश के जरिये कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इसी महीने में दिल्ली की चुनी सरकार को कुछ ताकत दी थी लेकिन केंद्र को यह सब ठीक नहीं लगा। उसने अध्यादेश जारी कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया। लेकिन पुरे मामले में पीएम मोदी मौन हैं। पहलवानों के मामले पर भी मौन और अब अध्यादेश के मामले में भी मौन। उधर संसद के उद्घाटन समारोह पर चल रही खींचतान पर भी पीएम मौन ही है। आखिर यह मौन सरकार कही देश की बेटियों के खिलाफ ही कुछ नहीं कर बैठे इसकी चिंता अब ज्यादा सताने लगी है। लोकतंत्र का यह खेल काफी मनोरंजक है जिसमे बीजेपी बढ़चढ़कर हिस्सा ले रही है।