कुशीनगर: जनपद की फाजिलनगर विधानसभा सीट से विधायक सुरेन्द्र कुशवाहा का विधायक पद से मोहभंग हो गया है। उन्होंने तय किया है कि वे विधायक का पद को नहीं छोंड़ेंगे, लेकिन विधायक का मिलने वाला वेतन नहीं लेंगे। उन्होने अब बतौर शिक्षक काम करके बच्चों को शिक्षा देने का मन बनाया है।
वर्तमान परिवेश में जहां राजनीति में आकर विधायक बनने पर लोगों का रहन सहन और तौर तरीका एकदम बदल जाता है, वहीं सुरेन्द्र कुशवाहा सादगी भरे जीवन व जनसेवा को महत्व देते हैं। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता स्वामीप्रसाद मौर्या को जमीन दिखाने वाले फाजिलनगर के विधायक सुरेन्द्र कुशवाहा ने विधायक पद का वेतन लेने से इंकार करके एक नई राजनीतिक सोच को जन्म दिया है।
फाजिलनगर के विधायक सुरेंद्र कुशवाहा ने विधानसभा चुनाव में सपा के स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे वजनदार नेता को हराया था। पेशे से सहायक अध्यापक सुरेन्द्र कुशवाहा चाहते तो अपने विद्यालय से पांच साल की अवैतनिक छुट्टी लेकर विधायकी का आनन्द ले सकते थे, मगर इनके भीतर के शिक्षक ने इसकी गवाही नहीं दी। इसलिए उन्होने विधायक का वेतन त्याग कर शिक्षक का वेतन ही स्वीकार किया और शिक्षक होने का दायित्व भी निभा रहे हैं। वे रोज सुबह दस बजे विद्यालय में पहुंचकर हाजिरी देते और फिर जितनी कक्षाएं पढ़ाने का जिम्मा है, उन्हें पढाते हैं। विद्यालय के समय के बाद वे विधायक को तौर पर क्षेत्र में जनता की सेवा करते हैं। ..