कहते हैं लोकतंत्र का राजा जनता है लेकिन यहाँ तो सरकार के सामने लोकतंत्र पस्त है
Politics News: लोकतंत्र जनता का शासन है। यह जनता के लिए ही और जनता द्वारा एक व्यवस्था है। दुनिया में जितने भी लोकतांत्रिक देश हैं वहां लोकतंत्र को कुछ ऐसे ही परिभाषित किया गया है। भारत के लोकतंत्र को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है। लेकिन सचमुच ऐसा ही है ?
अगर लोकतंत्र जनता का शासन है तो जनता की मांग पर जंतर मंतर पर पिछले 27 दिनों से बैठे पहलवानो की आवाज को सरकार क्यों नहीं सुन रही ? कई पहलवान महिलाओं ने बीजेपी सांसद बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। कई दिनों की मशक्क्त और सुप्रीम कोर्ट के दवाब के बाद बृजभूषण सिंह पर एफआईआर भी दर्ज किये गए। लेकिन उनकी गिरफ्तारी आज तक नहीं हुई। सरकार कहती है कि जांच रिपोर्ट आएगी तो आगे निर्णय होगा। फिर जाँच कर कौन रहा है ? जिस पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में महीनो लगा दिया आखिर उसकी जाँच रिपोर्ट कैसी आएगी ,सब जानते हैं। फिर दिल्ली की पुलिस भी तो केंद्र के हवाले है। जो केंद्र सरकार कहेगी वैसी ही रिपोर्ट तैयार होगी।
पहलवानो के साथ ही किसान संगठनों ने पिछले दिनों सरकार को अल्टीमेटम दिया था कि अगर 21 मई तक बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ़्तारी नहीं होती है तो आगे की रणनीति बनाई जाएगी। आज 20 तारीख है। कल 21 तारीख को अल्टीमेटम की तारीख भी ख़त्म हो जाएगी लेकिन सरकर की तरफ से अभी तक कोई निर्णय नहीं लिए गया। अब आगे क्या होगा इस पर देश की नजर लगी है।
उधर पिछले दिनों बृजभूषण शरण ने कहा कि वे योगी जी के जन्मदिन के अवसर पर अयोध्या में एक बड़ी रैली करेंगे जिसमे 11 लाख से ज्यादा लोग इकठ्ठा होंगे। इस भीड़ में बुद्धिजीवी भी होंगे और कानून के जानकार भी। इसमें साधु ,संत और महात्मा ,महंथ भी होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इस रैली में उन सभी प्रदेशों के लोग शामिल होंगे जहां के लोग जंतर मंतर पर बैठे हैं। इन बातों का क्या अर्थ हो सकता है ? आप खुद ही समझ सकते हैं।
भीड़तंत्र से लोकतंत्र की परम्परा को पस्त करने की ही तो कोशिश है। चुनाव के समय यह नेता द्वारे -द्वारे लोगों की परिक्रमा करते फिरते हैं कि हमको वोट दो। हम तुम्हारे लिए सब कुछ करेंगे। तुम्हारी हिफाजत भी करेंगे और तुम्हारा कल्याण भी। तुम्हारी हालत को बदल देंगे। सत्ता पक्ष वाले भी यही रुदाली करते हैं और विपक्ष वाले भी यह रोना रोकर जनता की परिक्रमा करते रहते हैं। जनता बहकावे में आकर वोट देती है। कभी लोभ में फंसकर हजार -दो हजार लेकर वोट देती है। कभी राम नाम पर वोट देती है तो कभी हिन्दू मुसलमान एकता तो कभी हिन्दू राष्ट्र के नाम पर वोट डालती है।
वोटों की यह राजनीति लम्बे समय से चली आ रही है। आज तक जितनी भी सरकार आई है सबके नेता मालामाल होते रहे। दरिद्र बनकर आने वाले नेता भी पांच साल बाद अमीर हो गए। उनके अमीर बनने की कहानी अगर उन्ही नेताओं से पूछिए तो कोई जवाब नहीं मिलेगा। जाहिर है सब लूट से पैसे कमाए गए हैं ताकि अगले चुनाव को फिर से जीता जा सके। लोकतंत्र का यह नया रूप है। इस खेल में सब बराबर के जिम्मेदार हैं। कोई किसी से कम नहीं।
अब फिर जंतर मंतर पर आते हैं। जंतर मंतर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। दिल्ली आने वाले सभी वाहनों की सघन जांच की जा रही है। बॉर्डर पर पुलिस की गस्ती बढ़ा दी गई है ताकि झुंड में किसान भीतर नहीं आ सके। एक अधिकारी ने कहा कि सीसीटीवी कैमरे से पूरे इलाके पर नजर रखी जा रही है। गस्त के प्रयास तेज कर दिए गए हैं। अगर जरूरत होगी तो और भी बल लगाए जा सकते हैं।
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अब आप ही सोचिये यह सब हो क्या रहा है ? क्या इस देश का कोई भी आदमी अब किसी नेता पर कोई इल्जाम नहीं लगा सकता ! क्या कोई नेता कुकर्म भी करे तो उसके जयकारे लगाए जाए ! लगता है लोकतंत्र बंधक सा हो गया है। जब जनता की आवाज ही अनसुनी हो जाए तो फिर ऐसे लोकतंत्र की जरूरत क्या है ?