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क्या अभी भी बीजेपी को नीतीश कुमार से उम्मीद लगी हुई है ?

Bihar Politics News Nitish Kumar! यह बात और है कि बीजेपी के अधिकतर नेता नीतीश कुमार पर हमला करने से बाज नहीं आते लेकिन बीजेपी के शीर्ष नेताओं को पता है कि नीतीश कुमार के एनडीए से हटने के बाद की सच्चाई क्या है ? यह सच्चाई ठीक वैसे ही है जैसे केंद्र में पीएम मोदी के चेहरे के सामने बीजेपी का कोई भी चेहरा अभी नहीं टिक रहा है। पहले मोदी के चेहरा को चमकाया गया और बाद में स्थापित किया गया। यह सब करने में करोडो खर्च भी किये गए।

यही हाल बिहार का है। कहने के लिए वहां बहुत से नेता है और कई पार्टियां हैं लेकिन नीतीश के सामने सारे चेहरे बौने ही है। कोई भी ऐसा चेहरा नहीं है जिनकी धाक जनता के बीच में हो। बिहार में कोई भी एकलौता नेता नहीं है जो नीतीश की बराबरी कर सके। जो नीतीश के सामने टिक सके। यहाँ तक कि राजद के पास भी ऐसे कोई भी नेता नहीं है।

जनता को ठगने के लिए बीजेपी के लोग कहते हैं कि अब नीतीश को एनडीए में नहीं लिया जायेगा। सवाल ये है कि क्या नीतीश कुमार बीजेपी के साथ जाने को फिर से तैयार हैं ? क्या उन्होंने बीजेपी के साथ जाने में रुचि दिखाई है ? क्या बीजेपी के नेता इस बात को आगे कह सकते हैं कि नीतीश ने उनसे बीजेपी में आने की बाते कही हो ? किसी के पास कोई सच नहीं है। नए नेताओं की अपनी समझ हो सकती है। जाति और धर्म के नाम पर वोट मिल सकते हैं। चुनाव बीजेपी जीत सकती है। सरकार बना सकती है। लेकिन बीजेपी के पास अभी कोई ऐसा नेता नहीं है जो बिहार में स्थापित हो सकता है ? बीजेपी के पास ऐसा कोई चेहरा नहीं जिसमे देश राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सकती है। वे सांसद बनते रहे ,विधायक और मंत्री बनते रहें लेकिन नेता नहीं हो सकते। सच यही है कि बीजेपी के बिहारी नेताओं को यह सब नहीं दिख रहा है।

लेकिन मोदी और शाह को यह सब पता है। अमित शाह रविवार को मुजफ्फरपुर गए थे। उनका कार्यक्रम था। शाह ने नीतीश कुमार पर बहुत कुछ कहा। खूब वार भी किये लेकिन सारे वार बचा करके ही किये गए। शाह ये सब जान बुझ कर रहे थे। वे सबसे ज्यादा वार लालू यादव पर करते रहे। शाह ने कहा कि नीतीश पालतू राम है और बिहार की जनता को पालतू राम से निजात दिलाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि पालतू राम लालू की गीओद में जाकर बैठा गए हैं और बिहार फिर से जंगल राज की तरफ बढ़ रहा है।

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शाह ने ओबीसी ,आरक्षण को लेकर भी .उन्होंने कि हालिया जातीय गणना में ओबीसी की आबादी ज्यादा दिखाई गई है ऐसे में लालू और नीतीश को अन्य पिछड़ी जाती के लोगों को ही मुख्यमंत्री बनानी चाहिए। क्या वे ऐसा करेंगे ? शाह ने कहा कि अगले विधान सभा चुनाव में बिहार की जनता बीजेपी को सत्ता सौप देगी और तब बीजेपी ओबीसी समाज के ही सत्ता सौंपेगी।

इन तमाम बातों के बीच शाह नीतीश कुमार पर बहुत ज्यादा नहीं बरसे। शाह को लग रहा है कि अभी बहुत कुछ हो सकता है। राजनीति में अंतिम सच कुछ होता नहीं। हालांकि शाह कभी कभार कुछ हमला भी करते हैं लेकिन मोदी बहुत काम हमला करते हैं। मोदी को पता है कि उन्होंने कोई हमला किया तो नीतीश का हमला बड़ा हो सकता है और उनका हमला फिर मोदी को घायल भी कर सकता है। मोदी यह भी जानते हैं कि नीतीश कुमार बीजेपी के खेल को जानते हैं। वे कभी भी बड़ा खेल करने की स्थिति में हैं। यही वजह है कि बजे के शीर्ष नेता नीतीश कुमार पर ज्यादा कुछ नहीं बोलते।

बिहार के बीजेपी नेताओं को नीतीश भाव भी नहीं देते ,अधिकतर बीजेपी नेताओं का राजनीति में आगमन नीतीश कुमार के रहते ही हुआ है। वे सबको जानते हैं और पहचानते भी हैं। सबकी राजनीतिक औकात को भी समझते हैं और सभी के जातीय खेल को भी जानते हैं। बिहार में जातियों के नेता कौन है और किसकी क्या औकात है नीतीश अच्छी तरह से समझते हैं। ऐसे में सच तो यही है कि मौजूदा समय में बीजेपी चाहे कितना भी हमला कर ले नीतीश कुमार को चुनौती देना कठिन है। उनके चेहरे के सामने बीजेपी में कोई चेहरा नहीं है। यहाँ तक कि पीएम मोदी और नीतीश के चेहरे की तुलना की जाए तो कौन किस ओर बीस पडेगा कहना मुश्किल हो जायेगा।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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