Lok Sabha Speaker News: संसद को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है। संसद जितनी मजबूत, लोकतंत्र उतना ही मजबूत। संसद की परंपरा में गिरावट, लोकतंत्र में गिरावट। जिस देश की संसद जनता के मुद्दों पर बहस करती है और नेता जनता के मुद्दों पर आपस में चर्चा करते हुए जब कोई हल निकलते हैं तो निश्चित रूप से कहा जाता है कि संसद अभी जिन्दा है और लोकतंत्र मुस्कुरा रहा है। लेकिन बीते कुछ सालों में जिस तरह से संसद में चर्चा और विमर्श का स्तर नीचे गिरता गया है उससे लगता है कि हमारी संसदीय परम्परा अब ख़त्म हो रही है, जिस संसद में कभी बड़े-बड़े नेता घंटों तक जनता के मुद्दों पर बहस करते थे अब नहीं होता। न सत्ता पक्ष ऐसा चाहता है और नहीं ही विपक्ष। दोनों पक्षों की यही चाल होती है कि संसद नहीं चल सके। कोई वाद-विवाद नहीं हो और जनता को भ्रम फैलाने वाले मुद्दों में फंसा कर रखा जाए। लेकिन सच तो यही है कि अगर संसद का यही हाल चलता रहा तो इस लोकतंत्र का क्या होगा कोई नहीं जनता !
आज पहली बार लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला (Lok Sabha Speaker News) ने कहा है कि सदनों में चर्चा और संवाद का स्तर लगातर गिरता जा रहा है और यह तब तक नहीं रुकेगा जब जनता अपने नेताओं से सवाल नहीं पूछेगी। अगर जनता अपने नेताओं से सवाल पूछना शुरू कर दे तो संसद का माहौल भी बदल सकता है और हमारी पुरानी परम्परा फिर से वापस आ सकती है। लोकसभा स्पीकर राजस्थान के उदयपुर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रमंडल संघ भारत क्षेत्र के 9वें सम्मलेन का शुभारम्भ करते हुए ये बातें कही है। उन्होंने बिना लाग लपेट के कहा कि संसद में चर्चा का स्तर लगातार गिरते जा रहा है।
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स्पीकर ने कहा कि संसद के भीतर गतिरोध, व्यवधान, नारेबाजी और असंसदीय व्यवहार को तभी रोका जा सकता है जब जनता अपने प्रतिनिधियों से उनके व्यवहार के बारे में सवाल करेगी। उन्होंने कानून निर्माण में भागीदारी गिरते जाने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि जनता अपनी भागीदारी बढ़ाए और इसमें डिजिटल माध्यम बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं।
ओम बिड़ला (Lok Sabha Speaker News) ने सहमति-असहमति पक्ष और विपक्ष को लोकतंत्र की ताकत बताते हुए यह भी कहा कि सकारात्मक मुद्दों पर सबको एकजुट होकर बात करनी चाहिए। सबको मिलकर सामूहिकता के साथ काम करना चाहिए। अगला 25 साल हमारे लिए काफी महत्व के हैं लोकतंत्र की जननी के लिए भारत की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।