Bihar News: आज पटना हाई कोर्ट ने बिहार में जातीय जनगणना पर लगी रोक को हटा दिया और इसके साथ ही बिहार की राजनीति एक बार फिर से जातीय खेल में रंगने को तैयार हो गया। बिहार में जातीय जनगणना की शुरुआत बहुत पहले ही नीतीश कुमार ने राज्य सरकार के कोष से शुरू की थी लेकिन बीजेपी के इशारे पर कुछ लोगों ने अदालत में जाकर इसका विरोध किया और हाई कोर्ट ने जातीय जनगणना पर रोक लगा दी थी। लेकिन आज पटना हाई कोर्ट ने उन सभी याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया जो जातीय जनगणना पर रोक लगाने के लिए दायर किये गए थे। अदालत ने यह भी कहा कि जो भी याचिकाएं दाखिल की गई थी उसमें कोई दम और तर्क नहीं है जिसके आधार पर इसे रोका जा सके। पटना हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद बिहार में जातीय जनगणना का रास्ता एक बार फिर से साफ़ हो गया है। अब तेजी से इस पर काम किया जायेगा। बिहार के राजनीतिक हलकों में आज के अदालती फैसले का स्वागत किया गया है। पिछड़ी जातियों में भारी ख़ुशी का माहौल है।
बिहार में जातीय जनगणना की शुरुआत होने के बाद अब देश के कई राज्यों में भी इसकी मांग की जा रही है। मध्यप्रदेश में भी विपक्ष लगातार जातीय जनगणना की मांग कर रहा है। कांग्रेस नेता कमलनाथ भी कह रहे हैं कि राज्य में कांग्रेस की सरकार आने के बाद जातीय जनगणना कराई जाएगी। बता दें कि मध्यप्रदेश में साल भर पहले से ही कई सामाजिक संगठन इसकी मांग कर रहे हैं और वे आंदोलनरत भी है। इधर उत्तर प्रदेश में भी जातीय जनगणना की मांग की जा रही है। अखिलेश यादव लगातार इसकी मांग करते रहे हैं। लेकिन अब बिहार का रास्ता साफ होने के बाद इसकी मांग और भी तेज होगी।
जातीय जनगणना को लेकर बीजेपी की परेशानी है। हालांकि यह सब केंद्र का विषय है लेकिन बीजेपी फिलहाल यह जनगणना नहीं करना चाहती है। बीजेपी को लग रहा है कि अगर यह जनगणना हो गई तो उसके वोट बैंक में सेंध लग सकती है। इसके साथ ही उसका जो धार्मिक खेल है वह भी ख़राब हो सकता है। बीजेपी जाति से आगे धर्म की राजनीति कर रही है और इस राजनीति से उसे लाभ भी होता दिख रहा है। ऐसे में बिहार में ही अगर यह जनगणना सफल हो जाता है तो बीजेपी की मुश्किलें और भी बढ़ जाएगी।
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आज पटना हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने कहा है कि अब हम सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। उनका कहना है कि बिहार सरकार को जातिगत जनगणना कराने का अधिकार नहीं है। यह केंद्र सरकार का विषय है। बता दें कि पटना हाई कोर्ट में जातीय जनगणना के खिलाफ 6 याचिकाएं दाखिल की गई थी जिसे आज हाई कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया।
बता दें कि बिहार सरकार ने पटना हाई कोर्ट में नगर निकायों और पंचायत चुनावों में पिछड़ी जातियों को कोई आरक्षण नहीं देने का हवाला दिया था। उन्होंने कहा था कि ओबीसी को 20 फीसदी ,एससी को 16 फीसदी और एसटी को एक फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है। अभी भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक 50 फीसदी आरक्षण दिया जा सकता है। सरकार ने कहा कि यह जातीय जनगणना इसलिए जरुरी है कि सरकार नगर निकाय और पंचायत चुनाव में 13 प्रतिशत और आरक्षण दें सकती है।