नोएडा के सेक्टर 93ए में स्थित ट्विन टॉवर ध्वस्त हो गया है. ट्विन टावर को जमीदोंह करने के लिए कुल 3700 किलो का बारूद लगाया था. ट्विन टावर को ढहाने के लिए इमारत में 9,640 छेद कर ये बारूद भरा गया था. बता दें कि इस बिल्डिंग को गिराने के लिए करीब 17 करोड़ रुपये खर्च किया गया है. टावर के जमीदोह होते ही चारो तरफ धुएं का बड़ा गुब्बार उठा है.
ट्विन टावर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कुतुब मीनार से ऊंची इमारत थी. जिसकी ऊंचाई 100 मीटर थी. इस टावर को ढहाने के लिए 3,700 किलोग्राम विस्फोटकों लगाए थे. एक बटन दबाने पर हुए विस्फोट के तुरंत बाद टावर पूरी तरह ध्वस्त हो गए गया. टावर के ढहते ही भारी धूल का एक बादल पैदा हो गया और इस तरह आसपास का वातावरण प्रदूषित हो गया. हालांकि, उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यावरण विभाग ने प्रदूषण के स्तर की निगरानी के लिए विध्वंस स्थल पर छह विशेष धूल मशीनें लगाई हैं.
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एपेक्स (32 मंजिला) और सेयेन (29 मंजिला) टावरों को गिराने से लगभग 35,000 क्यूबिक मीटर मलबा निकला है. जिसे साफ होने में कम से कम तीन महीने लगेंगे. 23 नवंबर 2004 को नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर-93ए में ग्रुप हाउसिंग का प्लॉट नंबर 4 एमराल्ड कोर्ट सोसायटी को आवंटित किया. सोसाइटी को 14 टावर का नक्शा आवंटित किया जिसमें सभी टावर ग्राउंड फ्लोर के साथ 9 मंजिल तक पास किए गए थे. 29 दिसंबर 2006 को नोएडा अथॉरिटी ने प्रोजेक्ट में पहला संशोधन करते हुए 2 मंजिल और बनाने का नक्शा पास कर दिया.
अब 9 मंजिल की जगह 11 मंजिल बनाने की इजाजत मिल गई. बाद में एक टावर की संख्या भी बढ़ा दी गई. कुछ दिनों बाद अथॉरिटी से एक और टावर का नक्शा पास हो गया, इस तरह 14 की जगह 16 टावर को इजाजत मिल गई. 26 नवंबर 2009 को नोएडा अथॉरिटी ने टावर नंबर 17 का नक्शा पास किया. इसमें टावर नंबर 16 और 17 पर 24 मंजिल निर्माण का नक्शा बनाया गया.
2 मार्च 2012 को फिर से एक संशोधन हुआ जिसमें टावर नंबर 16 और 17 के लिए 40 मंजिल तक निर्माण करने की इजाजत दे दी गई और ऊंचाई 121 मीटर तय की गई. इसके बाद एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के बायर्स ने विरोध करना शुरू कर दिया. क्योंकि नक्शे के हिसाब से जहां पर 32 मंजिला टावर खड़े हैं, वहां पर ग्रीन पार्क दिखाया गया था. नोएडा अथॉरिटी की इसमें पूरी मिलीभगत रही.