Maharashtra News: आज शाम चार बजे महाराष्ट्र सरकार को लेकर बड़ा फैसला होना है। फैसला तो शिंदे गुट के 16 विधायकों पर होना है। इन 16 विधायकों पर अयोग्यता की तलवार लटकी हुई दिख रही है। कहा जा रहा है कि अगर इन 16 विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया जाता है तो महाराष्ट्र की शिंदे सरकार गिर जाएगी।लेकिन क्या यह सब संभव है ? महाराष्ट्र विधान सभा के अध्यक्ष हैं राहुल नार्वेकर। ये बीजेपी से आते हैं। फैसला इन्हीं को लेना है। लम्बे समय तक नार्वेकर इस मामले को टालते ही रहे। कई बार सुप्रीम कोर्ट ने इन्हे जल्द फैसला करने की सलाह भी दी लेकिन हर बार समय बढ़ता चला गया। लेकिन पिछली बार जब नार्वेकर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 31 दिसंबर तक फैसला हो जाना चाहिए तो नार्वेकर कुछ असहज हुए। तत्पर भी हुए और उन्हें लगा है कि अब अगर कुछ नहीं किया गया तो खेल ख़राब हो सकता है।
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उन्होंने कागजी करवाई शुरू की। हालांकि उन्होंने 31 दिसंबर को भी फैसला नहीं दिया और 10 जनवरी तक का समय सुप्रीम कोर्ट से ले लिया। आज 10 जनवरी है। सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि अगर 10 जनवरी को फैसला नहीं आता है तो शीर्ष अदालत खुद ही इस फैसले को सुनाएगी और फिर उसके बाद जो होगा उसकी कल्पना भी नहीं जा सकती है। आज नार्वेकर को फैसला सुनाना है। उधर उद्धव शिवसेना को भी इस फैसले का इन्तजार है। उनकी पार्टी की टूट से ही यह सब बखेरा शुरू हुआ था। उद्धव शिवसेना को यकीन है कि जिस तरह से उनकी पार्टी को शिंदे ने तोड़ा था और उनके विधायकों को अपने साथ शिंदे ले गए थे वह गलत था और असंवैधानिक भी। लेकिन मामला अभी विधान सभा अध्यक्ष के पास है इसलिए उनका फैसला होता है यह देखने की बात होगी। शिंदे गुट के जिन 16 विधायकों पर अयोग्यता की तलवार लटकी हुई है उसमें खुद सीएम शिंदे भी शामिल हैं। ऐसे में अगर फैसला विधायकों के खिलाफ आता है तो शिंदे की विदाई तय है।
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इसके बाद महाराष्ट्र की सरकार कैसे चलेगी यह देखने की बात होगी। हालांकि शिंदे ने 2 दिन पहले नार्वेकर से मिले थे। इस मुलाकात के बाद महाराष्ट्र की राजनीति भी गर्म हो गई थी। उद्धव शिवसेना ने इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख भी किया था और हलफनामा भी दायर किया है। उधर महाराष्ट्र से उप मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा है कि सरकर को कोई खतरा नहीं है और सरकार स्थिर रहेगी। शिंदे और नार्वेकर की मुलकात को शरद पवार ने भी गलत बताया था। उन्होंने कहा कि जब किसी मामले की सुनवाई कर रहा व्यक्ति उस व्यक्ति से मिलता है जिसके बारे में सुनवाई हो रही हो तो सन्देश ही पैदा होता है। हालांकि नार्वेकर ने ठाकरे और पवार के बयानों पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि किसी मामले की सुनवाई करते समय कोई स्पीकर अन्य कोई काम नहीं कर सकता।
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शिवसेना सांसद संजय राउत का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा है कि विधान सभा स्पीकर का एक प्रोटोकॉल होता है। अगर विधानसभा स्पीकर एक पीठसीन पद पर बैठे हैं तो अपनी कुर्सी छोड़कर जो आरोपी है और जिनपर हमने याचिका दायर की है ,उनसे जाकर मुलाकात नहीं कर सकते। फिर वे कहते हैं कि वे फैसला देंगे। यह कौन सा फैसला है या मैच फिक्सिंग है। दिल्ली से लेकर यहाँ तक मैच फिक्सिंग हो रही है।